डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टरों (डीआईआई) ने भारतीय शेयरों में इस वर्ष अब तक 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है, जो फॉरेन इंवेस्टरों द्वारा की जा रही बिकवाली के बीच बाजारों को स्थिर करने में उनके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। प्रोविजनल एनएसई डेटा से पता चलता है कि म्यूचुअल फंड, बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और अन्य घरेलू संस्थानों ने 2025 में अब तक शेयरों में 5.13 लाख करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की है, जबकि 2024 में रिकॉर्ड 5.25 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की थी। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, डोमेस्टिक बाईंग बढ़ी है, जबकि फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टरों (एफपीआई) लगातार बिकवाली के दौर में आ गए हैं। उन्होंने इस वर्ष सेकेंडरी मार्केट से 1.6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली की है और 2024 में लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली की थी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, दलाल स्ट्रीट पर हालिया अस्थिरता के बावजूद, एफपीआई द्वारा की गई भारी बिकवाली के जवाब में डीआईआई द्वारा की गई काउंटर-खरीदारी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट और 2022 की बिकवाली सहित पिछले उदाहरणों की तुलना में अधिक है। डीआईआई फ्लो ने एफआईआई के बिकवाली दबाव, प्रमोटरों द्वारा बड़ी मात्रा में बिकवाली और निजी इक्विटी फंडों द्वारा मुनाफावसूली के इंपैक्ट को कम करने में मदद की। हालांकि, मजबूत डोमेस्टिक फ्लो के बावजूद व्यापक बेनेफिट नहीं हुआ है। पिछले 12 महीनों में सभी सभी प्रमुख इंडेक्सों ने स्थिर से लेकर नकारात्मक प्रदर्शन किया है। 2025 में एक अस्थिर वर्ष के बाद, सेंसेक्स सालाना आधार पर 1.96 प्रतिशत ऊपर रहा, जबकि निफ्टी 3.28 प्रतिशत बढ़ा। इसके विपरीत, बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 3.8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, जबकि बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 6.7 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर रही। बजट के राजकोषीय प्रोत्साहन और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के मौद्रिक प्रोत्साहन, दोनों ही देरी से काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं। यह, म्यूचुअल फंडों में आने वाली भारी लिक्विडिटी के साथ, बाजार को समर्थन देता रहेगा। 2025 में डोमेस्टिक इंस्टीट्यशनल इंवेस्टरों (डीआईआई) का फ्लो सालाना आधार पर निफ्टी के औसत मार्केट कैप के 2.2 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 2007 के बाद से उच्चतम स्तर है।