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09-12-2025

रियल्टी प्रोजेक्ट्स में लग्जरी फीचर्स पर हाई प्रीमियम बना गेमचेंजर

  •  आदित्य बिरला एस्टेट के डिविजन बिरला एस्टेट्स ने वर्ली स्थित लग्जरी प्रोजेक्ट ‘बिरला नियारा’ में एक 2434 स्कवायर फीट का अपार्टमेंट सेलआउट किया है। सेलिंग प्राइस 85,090 रुपये प्रति स्कवायर फीट थी। मार्च, 2025 में यह प्रॉपर्टी रजिस्टर की गई। अपे्रल माह में एक अन्य प्रॉपर्टी  रजिस्टर हुई, जिसे लोकल डवलपर ने बिल्ट किया था। इसकी सेलिंग प्राइस 42,007 रुपये प्रति स्कवायर फुट थी। रियल एस्टेट डेटा एनेलिटिक्स फर्म जापकी ने यह कहा है कि बिरला प्रॉपर्टी और लोकल डवलपर द्वारा विकसित प्रापर्टी में अंतर करीब 103 प्रतिशत का है। यह एक उदाहरण है, जो बताता है कि टॉप और लोकल ब्राण्ड के द्वारा रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी की सेलिंग प्राइस में कितना ज्यादा अंतर है। बोरीवली ईस्ट में ‘ओबेरॉय स्काई सिटी’ में एक अपार्टमेंट को इसी माह 51,712 रुपये प्रति स्कवायर फीट में सेलिंग प्राइस पर सोल्ड किया गया है। रजिस्ट्रेशन डेटा के अनुसार इसी लोकेलिटी में लोकल डवलपर के द्वारा डवलप किये गये अपार्टमेंट को 26,463 रुपये प्रति स्कवायर फीट में सोल्ड आउट किया गया। अंतर करीब 95 प्रतिशत का रहा। ब्राण्डेड प्रॉपर्टीज क्वालिटी कंस्ट्रक्शन के वादे के साथ आती हैं और हैवी प्रीमियम लेती हैं। इससे यह पता चलता है कि देश के प्रॉपर्टी मार्केट में ‘प्रीमियमाइजेशन’ का ट्रेंड पनप रहा है। अंतर की बात करें तो कुछ वर्ष पूर्व यह करीब 20-30 प्रतिशत ही था। अब औसत 50-60 प्रतिशत का है। ऐसा केवल मुम्बई शहर में ही नहीं देखा जा रहा बल्कि पुणे में भी देखा जा रहा है। यहां पर पंचशील रियल्टी ने जून माह में खराड़ी लोकेलिटी में एक प्रोजेक्ट को करीब 25,907 रुपये प्रति स्कवायर फुट में सोल्ड किया है। समान एरिया में लोकल डवलपर ने  केवल 13,979 रुपये प्रति स्कवायर फीट में अपार्टमेंट बेचा। एनेलिटिक फर्म जापकी के को-फाउंडर के अनुसार लोकल स्मॉल डवलपर्स वह फीचर्स नहीं दे पाते, जो बड़े ब्राण्ड्स ऑफर करते हैं। बायर्स बेहतर ‘पोस्ट पजेशन एक्सपीरियंस’ चाहते हैं और इसलिये फीचर्स का ज्यादा प्रीमियम दे देते हैं। प्रेस्टीज एस्टेट्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार उनके प्रोजेक्ट टॉप क्लाइंटेल द्वारा लिये जाते हैं और वे बेहतर क्वालिटी, लोकेशन पर हैं। समय से डिलीवरी, ट्रांसपेरेंसी और कस्टमर-सेंट्रिक एप्रोच के कारण उनका ट्रेक रिकॉर्ड मजबूत है। क्लाइंट उन पर भरोसा करते हैं। आर्किटेक्ट, डिजाइनर, कन्सल्टेंट्स और कॉन्ट्रेक्टर्स हाई क्वालिटी स्टेंडर्ड मेनटेन करते हैं। हाउस ऑफ अभिनंदन लोडा के प्रवक्ता के अनुसार सुविधाएं (अमेनिटीज) प्रॉपर्टीज में बड़ा रोल अदा करती हैं। प्रोजेक्ट में करीब 45 प्रतिशत जमीन वे सुविधाओं के लिये रिजर्व रखते हैं। ओपन स्पेस होता है और यही बात उन्हें यूनिक बनाती है। यदि एक्सपीरियंस दिया जायेगा, तो प्रीमियम लिया ही जायेगा। एनारॉक प्रॉपर्टी कन्सल्टेंट्स के चेयरमैन के अनुसार बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईटी पाक्र्स आदि प्रॉपर्टी प्राइस को करीब 30-80 प्रतिशत बढ़ा देते हैं। इसके अलावा सेलिंग प्राइस में लोकेशन भी काफी महत्वपूर्ण होती है। ब्राण्ड वैल्यू का इम्पेक्ट काफी स्ट्रांग होता है, जो बायर को आकर्षित करता है। इसीलिये रियलटी प्रोजेक्ट्स की प्राइसिंग में अंतर देख जाता है। बायर भी इस बात को बखूबी समझते हैं कि जितना गुड़ डाला जायेगा, मिठास उतनी ही मिलेगी।

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रियल्टी प्रोजेक्ट्स में लग्जरी फीचर्स पर हाई प्रीमियम बना गेमचेंजर

 आदित्य बिरला एस्टेट के डिविजन बिरला एस्टेट्स ने वर्ली स्थित लग्जरी प्रोजेक्ट ‘बिरला नियारा’ में एक 2434 स्कवायर फीट का अपार्टमेंट सेलआउट किया है। सेलिंग प्राइस 85,090 रुपये प्रति स्कवायर फीट थी। मार्च, 2025 में यह प्रॉपर्टी रजिस्टर की गई। अपे्रल माह में एक अन्य प्रॉपर्टी  रजिस्टर हुई, जिसे लोकल डवलपर ने बिल्ट किया था। इसकी सेलिंग प्राइस 42,007 रुपये प्रति स्कवायर फुट थी। रियल एस्टेट डेटा एनेलिटिक्स फर्म जापकी ने यह कहा है कि बिरला प्रॉपर्टी और लोकल डवलपर द्वारा विकसित प्रापर्टी में अंतर करीब 103 प्रतिशत का है। यह एक उदाहरण है, जो बताता है कि टॉप और लोकल ब्राण्ड के द्वारा रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी की सेलिंग प्राइस में कितना ज्यादा अंतर है। बोरीवली ईस्ट में ‘ओबेरॉय स्काई सिटी’ में एक अपार्टमेंट को इसी माह 51,712 रुपये प्रति स्कवायर फीट में सेलिंग प्राइस पर सोल्ड किया गया है। रजिस्ट्रेशन डेटा के अनुसार इसी लोकेलिटी में लोकल डवलपर के द्वारा डवलप किये गये अपार्टमेंट को 26,463 रुपये प्रति स्कवायर फीट में सोल्ड आउट किया गया। अंतर करीब 95 प्रतिशत का रहा। ब्राण्डेड प्रॉपर्टीज क्वालिटी कंस्ट्रक्शन के वादे के साथ आती हैं और हैवी प्रीमियम लेती हैं। इससे यह पता चलता है कि देश के प्रॉपर्टी मार्केट में ‘प्रीमियमाइजेशन’ का ट्रेंड पनप रहा है। अंतर की बात करें तो कुछ वर्ष पूर्व यह करीब 20-30 प्रतिशत ही था। अब औसत 50-60 प्रतिशत का है। ऐसा केवल मुम्बई शहर में ही नहीं देखा जा रहा बल्कि पुणे में भी देखा जा रहा है। यहां पर पंचशील रियल्टी ने जून माह में खराड़ी लोकेलिटी में एक प्रोजेक्ट को करीब 25,907 रुपये प्रति स्कवायर फुट में सोल्ड किया है। समान एरिया में लोकल डवलपर ने  केवल 13,979 रुपये प्रति स्कवायर फीट में अपार्टमेंट बेचा। एनेलिटिक फर्म जापकी के को-फाउंडर के अनुसार लोकल स्मॉल डवलपर्स वह फीचर्स नहीं दे पाते, जो बड़े ब्राण्ड्स ऑफर करते हैं। बायर्स बेहतर ‘पोस्ट पजेशन एक्सपीरियंस’ चाहते हैं और इसलिये फीचर्स का ज्यादा प्रीमियम दे देते हैं। प्रेस्टीज एस्टेट्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार उनके प्रोजेक्ट टॉप क्लाइंटेल द्वारा लिये जाते हैं और वे बेहतर क्वालिटी, लोकेशन पर हैं। समय से डिलीवरी, ट्रांसपेरेंसी और कस्टमर-सेंट्रिक एप्रोच के कारण उनका ट्रेक रिकॉर्ड मजबूत है। क्लाइंट उन पर भरोसा करते हैं। आर्किटेक्ट, डिजाइनर, कन्सल्टेंट्स और कॉन्ट्रेक्टर्स हाई क्वालिटी स्टेंडर्ड मेनटेन करते हैं। हाउस ऑफ अभिनंदन लोडा के प्रवक्ता के अनुसार सुविधाएं (अमेनिटीज) प्रॉपर्टीज में बड़ा रोल अदा करती हैं। प्रोजेक्ट में करीब 45 प्रतिशत जमीन वे सुविधाओं के लिये रिजर्व रखते हैं। ओपन स्पेस होता है और यही बात उन्हें यूनिक बनाती है। यदि एक्सपीरियंस दिया जायेगा, तो प्रीमियम लिया ही जायेगा। एनारॉक प्रॉपर्टी कन्सल्टेंट्स के चेयरमैन के अनुसार बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईटी पाक्र्स आदि प्रॉपर्टी प्राइस को करीब 30-80 प्रतिशत बढ़ा देते हैं। इसके अलावा सेलिंग प्राइस में लोकेशन भी काफी महत्वपूर्ण होती है। ब्राण्ड वैल्यू का इम्पेक्ट काफी स्ट्रांग होता है, जो बायर को आकर्षित करता है। इसीलिये रियलटी प्रोजेक्ट्स की प्राइसिंग में अंतर देख जाता है। बायर भी इस बात को बखूबी समझते हैं कि जितना गुड़ डाला जायेगा, मिठास उतनी ही मिलेगी।


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