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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-12-2025

फाइन डाइनिंग रेस्तरां बने ‘Experience’ सेंटर्स

  •  एक समय था जब हम रेस्तरां डाइनिंग के लिये जाते थे, लेकिन अब यह ‘कल्चर सेंटर्स’ भी बन रहे हैं। हमने रेस्तरां में लाइव म्यूजिक इवेंट तो देखें हैं पर अब बहुत कुछ नया देखने को मिल रहा है। अब यदि आप मैट्रो, टीयर वन सिटीज के किसी रेस्तरां में जायें तो वहां पर कोई अकेडेमिक सेशन, कुकरी सेशन, हैल्थ टॉक आयोजित होता देखें तो चौंके नहीं। इसे ‘एक्सपेरीमेंटल डाइनिंग’ कहते हैं। डाइनिंग आउट कल्चर में यह बदलाव देखा जा रहा है। देश की अनेक कॉफी शॉप, रेस्तरां अब इटिंग, ड्रिंकिंग तक सीमित नहीं है, यहां पर लेक्चर, पेंटिंग, पॉटरी मेकिंग, थियेटर, बोर्ड गेम्स आदि देखने को मिल सकते हैं। यही नहीं अब यह नये कनेक्शन बनाने का प्लेटफॉर्म भी बन रहे हैं। रेस्तरां विजिटर्स को एंगेज रखने के लिये क्रिएटिव एक्टीविटीज जैसे क्ले मॉडलिंग, मग पेंटिंग, कैनवास पेंटिंग आदि कर सकते हैं। कई रेस्तरां तो कुकिंग क्लासेज भी ऑर्गेनाइज करते हैं। जाने-माने रेस्टोरेंटर जोरावर कालरा के अनुसार रेस्तरां अब फूड सर्विंग सेंटर नहीं हैं, यह एक्सपीरियंस, नॉवल्टी सर्व करते हैं। हर बार कस्टमर जब आये तो नया क्या देखे, इसका जुगाड़ किया जाने लगा है। करीब एक दशक पूर्व तक हम डाइनिंग के दौरान लाइव म्यूजिक सुनने तक सीमित थे। क्लब, बार में डांस परफॉरमेंस कॉमन थे लेकिन फाइन डाइनिंग स्पेस में भी एक्टीविटीज होने लगी हंै। दिल्ली में लांच हुए ड्रामीक्यू रेस्तरां में थियेटर परफॉरमेंस होती हैं और विजिटर्स को यह नयापन पसंद आया है। यही नहीं भजन लविंग जैनरेशन के लिये भी स्पेस क्रिएट की जा रही है। कल्चरल शिफ्ट टीयर वन सिटीज में डाइनिंग आउट को मीनिंगफुल, इमरसिव एक्सपीरियंस बनाने का कल्चर देश में पनप रहा है। वैसे भी अब लोग डाइनिंग आउट के लिये किसी ओकेजन का इंतजार नहीं करते, जब मूड हुआ लैविश डाइनिंग के लिये चले जाते हैं। इसे कल्चरल शिफ्ट की परिभाषा दे सकते हैं, जो हॉस्पीटेलिटी वल्र्ड को नयापन देने का काम कर रही है। इससे कस्टमर स्फेसिफिक रेस्तरां में जाना पसंद करेगा, क्योंकि वह जानता है कि उसकी पसंद की एक्टीविटी कहां चल रही होगी। हम जानते हैं कि यह कॉम्पीटीशन वाली इंडस्ट्री है और मल्टीपल ऑप्शंस हैं। ऐसे में केवल फूड, कॉकटेल्स से आकर्षित कर लेना आसान नहीं है, एक्सपीरियंस देना होगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार ओल्ड हॉस्पीटेलिटी कल्चर के अनुसार क्वालिटी और कस्टमर सैटिसफैक्शन अहम हैं और यही रहेंगे। एक्सपीरियंस देने का काम नये एक्सपेरीमेंट (प्रयोग) करेंगे। वह रेस्तरां का एम्बियांस हो सकता है, इवेंट्स हो सकते हैं, हॉस्पीटेलिटी में नयापन हो सकती है।

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फाइन डाइनिंग रेस्तरां बने ‘Experience’ सेंटर्स

 एक समय था जब हम रेस्तरां डाइनिंग के लिये जाते थे, लेकिन अब यह ‘कल्चर सेंटर्स’ भी बन रहे हैं। हमने रेस्तरां में लाइव म्यूजिक इवेंट तो देखें हैं पर अब बहुत कुछ नया देखने को मिल रहा है। अब यदि आप मैट्रो, टीयर वन सिटीज के किसी रेस्तरां में जायें तो वहां पर कोई अकेडेमिक सेशन, कुकरी सेशन, हैल्थ टॉक आयोजित होता देखें तो चौंके नहीं। इसे ‘एक्सपेरीमेंटल डाइनिंग’ कहते हैं। डाइनिंग आउट कल्चर में यह बदलाव देखा जा रहा है। देश की अनेक कॉफी शॉप, रेस्तरां अब इटिंग, ड्रिंकिंग तक सीमित नहीं है, यहां पर लेक्चर, पेंटिंग, पॉटरी मेकिंग, थियेटर, बोर्ड गेम्स आदि देखने को मिल सकते हैं। यही नहीं अब यह नये कनेक्शन बनाने का प्लेटफॉर्म भी बन रहे हैं। रेस्तरां विजिटर्स को एंगेज रखने के लिये क्रिएटिव एक्टीविटीज जैसे क्ले मॉडलिंग, मग पेंटिंग, कैनवास पेंटिंग आदि कर सकते हैं। कई रेस्तरां तो कुकिंग क्लासेज भी ऑर्गेनाइज करते हैं। जाने-माने रेस्टोरेंटर जोरावर कालरा के अनुसार रेस्तरां अब फूड सर्विंग सेंटर नहीं हैं, यह एक्सपीरियंस, नॉवल्टी सर्व करते हैं। हर बार कस्टमर जब आये तो नया क्या देखे, इसका जुगाड़ किया जाने लगा है। करीब एक दशक पूर्व तक हम डाइनिंग के दौरान लाइव म्यूजिक सुनने तक सीमित थे। क्लब, बार में डांस परफॉरमेंस कॉमन थे लेकिन फाइन डाइनिंग स्पेस में भी एक्टीविटीज होने लगी हंै। दिल्ली में लांच हुए ड्रामीक्यू रेस्तरां में थियेटर परफॉरमेंस होती हैं और विजिटर्स को यह नयापन पसंद आया है। यही नहीं भजन लविंग जैनरेशन के लिये भी स्पेस क्रिएट की जा रही है। कल्चरल शिफ्ट टीयर वन सिटीज में डाइनिंग आउट को मीनिंगफुल, इमरसिव एक्सपीरियंस बनाने का कल्चर देश में पनप रहा है। वैसे भी अब लोग डाइनिंग आउट के लिये किसी ओकेजन का इंतजार नहीं करते, जब मूड हुआ लैविश डाइनिंग के लिये चले जाते हैं। इसे कल्चरल शिफ्ट की परिभाषा दे सकते हैं, जो हॉस्पीटेलिटी वल्र्ड को नयापन देने का काम कर रही है। इससे कस्टमर स्फेसिफिक रेस्तरां में जाना पसंद करेगा, क्योंकि वह जानता है कि उसकी पसंद की एक्टीविटी कहां चल रही होगी। हम जानते हैं कि यह कॉम्पीटीशन वाली इंडस्ट्री है और मल्टीपल ऑप्शंस हैं। ऐसे में केवल फूड, कॉकटेल्स से आकर्षित कर लेना आसान नहीं है, एक्सपीरियंस देना होगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार ओल्ड हॉस्पीटेलिटी कल्चर के अनुसार क्वालिटी और कस्टमर सैटिसफैक्शन अहम हैं और यही रहेंगे। एक्सपीरियंस देने का काम नये एक्सपेरीमेंट (प्रयोग) करेंगे। वह रेस्तरां का एम्बियांस हो सकता है, इवेंट्स हो सकते हैं, हॉस्पीटेलिटी में नयापन हो सकती है।


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