एक समय था जब व्यक्ति अपनी और अपने परिवार की जरूरतों की पूर्ति में ही जीवन खपा देता था। ऐसा कर वह खुश व संतुष्टि भी पा लेता था। लेकिन आधुनिक दौर में हम जरूरत से ज्यादा महत्वकांक्षा यानि डिजायर को अहम मानने लगे हैं और इसकी पूर्ति के लिये कार्यरत रहते हैं। कन्ज्यूमर फाइनेंस कम्पनी होम के्रडिट ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि आज अधिक से अधिक लोग लोन लेने के लिये डिजिटल रूट को फॉलो कर रहे हैं। सातवीं बार किये गये सर्वे के परिणाम 18 से 55 वर्ष के करीब 3,500 ऋण लेने वालों पर आधारित हैं। करीब 17 टीयर वन और टू शहरों के लोगों को सर्वे में शामिल किया गया जो अलग-अलग इनकम गु्रप और प्रोफेशन से थे। पुरुषों की एवरेज आयु 33 वर्ष और मासिक इनकम करीब 34,000 रुपये थी। सर्वे के परिणाम के अनुसार भारत में अब केवल जरूरत के लिये ऋण नहीं लिये जाते बाते अपनी आकांक्षा पूर्ति के लिये जाते हैं। एक समय था जब परिवार की किसी जरूरत की पूर्ति के लिये लोन लिया जाता था लेकिन आज तो परिदृश्य बदल चुका है। यह देखा गया कि अधिकांश स्मार्टफोन, होम एप्लायंसेज (46 प्रतिशत)के लिये लोन लिया गया। इसे ऐसे समझें कि कनक्टिविटी और कम्फर्ट के लिये लोन राशि लेना उचित समझा गया। 25 प्रतिशत ने बिजनस को शुरू करने या विस्तार देने के लिये लोन लिया। 28 प्रतिशत ने होम ओनरशिप लेने के लिये लोन लिया। होम के्रडिट इन्डिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर ने कहा कि ‘हाओ इन्डिया बॉरोज 7.0’ सर्वे में यह हाइलाइट हुआ कि देश का के्रडिट कल्चर बदल रहा है। पहले लोग ‘सरवाइवल’ के लिये लोन लेते थे जबकि आज ‘सक्सेस’ के लिये लोन लेने लगे हैं। जैनरेशन जेड, मिलेनियल्स, फीमेल्स और छोटे शहरों के लोग भी डिजिटल लेंडिंग रिवॉलूशन का हिस्सा बन रहे हैं। निम्न मध्यमवर्गीय वर्ग भी अपनी महत्वकांक्षाओं के प्रति गम्भीर हो रहा है और इसका उपयोग एंटरपे्रन्योरशिप, होम ओनरशिप और एज्युकेशन के लिये कर रहा है। सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत ऑनलाइन लोन लेना प्रीफर कर रहे हैं। यह ईयर-ऑन-ईयर लेवल पर 10 प्रतिशत बढ़ा है। मिलेनियल्स में 54 प्रतिशत, जैन जी में 50 प्रतिशत यह ट्रेंड बढ़ा है। इससे यह पता चलता है कि टेक सेवी युवाओं का आत्मविश्वास कितना ज्यादा है। डिजिटल फाइनेंशियल एडॉप्शन में महिलाएं भी आगे हंै। करीब 66 प्रतिशत ऑनलाइन शॉपिंग करती हैं और फाइनेंशियल एज्युकेशन को बढ़ाने के प्रति गम्भीर हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में वे पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं। सर्वे के परिणामों से यह भी पता चला है कि ट्रांसपेरेंसी और ट्रस्ट की उम्मीदें बढ़ी हैं। 66 प्रतिशत के्रडीबल लेंडर्स से लोन लेना प्रीफर करते हैं, बेशक उन्हें हाई ईएमआई देनी पड़े। यह सेंटीमेंट मैट्रो और टीयर वन शहरों के मिलेनियल्स में ज्यादा देखा गया। कुल मिलाकर सर्वे के परिणाम युवा भारत की लेडिंग सोच का आइना दिखा रहा है।