भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की वैल्यू 2030 तक 800 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है और यह देश की कुल जीडीपी में 11 प्रतिशत का योगदान देगा। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। इस वृद्धि में बढ़त की वजह सरकारी पहल, तकनीक का एकीकरण, स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होना है। इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, लॉजिस्टिक्स लागत में एक प्रतिशत की कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना 15 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। रणनीतिक निवेश, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन पॉलिसी और वर्कफोर्स डवलपमेंट, लॉजिस्टिक्स सेक्टर में गति बनाए रखने वाले स्तंभ हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि सप्लाई चेन के आधुनिकरण और एकीकरण के कारण यह सेक्टर 2027 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉसिली (एनएलपी), पीएम गतिशक्ति और टेक्नोलॉजी एकीकरण जैसी सरकारी पहलों के कारण यह क्षेत्र तेजी से संगठित, कुशल और प्रतिस्पर्धी बन रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 मिलियन से अधिक लोग परिवहन, स्टोरेज, कोल्ड चेन और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी में काम करते हैं और वर्ष 2027 तक इस क्षेत्र में 10 मिलियन और लोगों को रोजगार मिलेगा। लॉजिस्टिक्स पार्क, मल्टीमॉडल परिवहन गलियारे और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने एसएमई और बड़े उद्यमों को वैश्विक स्तर पर विस्तार करने में सक्षम बनाया है। वर्तमान में, लॉजिस्टिक्स भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 13-14 प्रतिशत का योगदान देता है, जो वैश्विक औसत 8-9 प्रतिशत से काफी अधिक है।