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22-08-2025

विपरीत परिस्थितियों का असर एविएशन इंडस्ट्री पर भी पड़ा

  •  भारत की घरेलू एयरलाइन इंडस्ट्री का ऑपरेटिंग प्रॉफिट वित्त वर्ष 26 (चालू वित्त वर्ष) में 20,000 करोड़ रुपए से लेकर 21,000 करोड़ रुपए के बीच रह सकता है। यह जानकारी जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई। क्रिसिल रेटिंग्स ने रिपोर्ट में कहा कि वार्षिक विमान ट्रैफिक में वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की हिस्सेदारी 50-55 प्रतिशत से बीच होती है और इसमें तेज वृद्धि होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार,पहली तिमाही में मांग में कमी और यील्ड में अनुमानित गिरावट के कारण इस वित्त वर्ष में वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के 23,500 करोड़ रुपए की तुलना में मध्यम रहने की उम्मीद है। यह कोविड-19 के बाद के तीन वित्तीय वर्षों में देखी गई मजबूत रिकवरी के विपरीत है। रिपोर्ट के अनुसार, कम परिचालन लाभ के कारण, एयरलाइनों के लोन मीट्रिक इस वित्तीय वर्ष में कम होंगे। हालांकि, कुछ एयरलाइनों की बेहतर तरलता और नियोजित इक्विटी निवेश के कारण क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी। रिपोर्ट में बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में, उद्योग को दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहला, भारत की पश्चिमी सीमा पर तनाव के कारण कई हवाई अड्डों पर एक सप्ताह के लिए परिचालन बंद होना, जिसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का मार्ग बदलना पड़ा और उड़ान का समय बढ़ गया। दूसरा, जून में एक बड़ी विमान दुर्घटना के कारण डिमांड सेंटीमेंट कमजोर हो गया और प्रभावित एयरलाइन को कड़ी सुरक्षा जांच के कारण क्षमता में कटौती करनी पड़ी। रिपोर्ट में अनुसार, इन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण मांग में कमी आई और क्षमता का उपयोग कम हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पहली तिमाही में यात्री यातायात वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में इसमें तेजी वृद्धि देखने को मिल सकता है, क्योंकि चिंताएं धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, जिससे इस वित्त वर्ष में यातायात वृद्धि 7-9 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो पिछले वित्त वर्ष में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि के अनुरूप है। क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर ने कहा कि इस वित्त वर्ष में यील्ड में कमी मुख्यत: पहली तिमाही में कम मांग के कारण है। गत वित्त वर्ष में 3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में पैसेंजर यील्ड में 2-4 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है।

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विपरीत परिस्थितियों का असर एविएशन इंडस्ट्री पर भी पड़ा

 भारत की घरेलू एयरलाइन इंडस्ट्री का ऑपरेटिंग प्रॉफिट वित्त वर्ष 26 (चालू वित्त वर्ष) में 20,000 करोड़ रुपए से लेकर 21,000 करोड़ रुपए के बीच रह सकता है। यह जानकारी जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई। क्रिसिल रेटिंग्स ने रिपोर्ट में कहा कि वार्षिक विमान ट्रैफिक में वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की हिस्सेदारी 50-55 प्रतिशत से बीच होती है और इसमें तेज वृद्धि होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार,पहली तिमाही में मांग में कमी और यील्ड में अनुमानित गिरावट के कारण इस वित्त वर्ष में वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के 23,500 करोड़ रुपए की तुलना में मध्यम रहने की उम्मीद है। यह कोविड-19 के बाद के तीन वित्तीय वर्षों में देखी गई मजबूत रिकवरी के विपरीत है। रिपोर्ट के अनुसार, कम परिचालन लाभ के कारण, एयरलाइनों के लोन मीट्रिक इस वित्तीय वर्ष में कम होंगे। हालांकि, कुछ एयरलाइनों की बेहतर तरलता और नियोजित इक्विटी निवेश के कारण क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी। रिपोर्ट में बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में, उद्योग को दो चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहला, भारत की पश्चिमी सीमा पर तनाव के कारण कई हवाई अड्डों पर एक सप्ताह के लिए परिचालन बंद होना, जिसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का मार्ग बदलना पड़ा और उड़ान का समय बढ़ गया। दूसरा, जून में एक बड़ी विमान दुर्घटना के कारण डिमांड सेंटीमेंट कमजोर हो गया और प्रभावित एयरलाइन को कड़ी सुरक्षा जांच के कारण क्षमता में कटौती करनी पड़ी। रिपोर्ट में अनुसार, इन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण मांग में कमी आई और क्षमता का उपयोग कम हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पहली तिमाही में यात्री यातायात वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में इसमें तेजी वृद्धि देखने को मिल सकता है, क्योंकि चिंताएं धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, जिससे इस वित्त वर्ष में यातायात वृद्धि 7-9 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो पिछले वित्त वर्ष में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि के अनुरूप है। क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर ने कहा कि इस वित्त वर्ष में यील्ड में कमी मुख्यत: पहली तिमाही में कम मांग के कारण है। गत वित्त वर्ष में 3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में पैसेंजर यील्ड में 2-4 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है।


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