भारत में फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र टेक्नोलॉजी और डिजिटल इनोवेशन द्वारा संचालित एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए तैयार हो रहा है, यह देश को इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित होने में मदद करेगा। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। एसोचैम द्वारा आयोजित फूड टेक कॉन्फ्रेंस में जारी एसोचैम-पीडब्ल्यूसी की संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया कि उद्योग 4.0 से जुड़ी टेक्नोलॉजी (एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन) से फूड प्रोसेसिंग, स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट के तरीके में परिवर्तन ला रहा हैं। इन इनोवेशंस से ऑपरेशनल दक्षता, फूड सिक्योरिटी, क्वालिटी कंट्रोल और सप्लाई चेन पारदर्शिता में सुधार हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल फूड रोबोटिक्स बाजार के वर्ष 2032 तक 6.08 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत के पास इन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासकर जब यह फसल के काटने के समय होने वाले नुकसान जैसी गंभीर चुनौतियों का समाधान करता है, जिससे देश को एन्यूअली अनुमानित 1.53 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है। एसोचैम के जनरल सेके्रटरी ने कहा कि विकसित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा, इसके फूड प्रोसेसिंग इको-सिस्टम के परिवर्तन से काफी हद तक प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट में उद्योग के सामने आने वाले चैलेंजेज को भी बताया गया है। इसमें सप्लाई चेन ट्रेसेबिलिटी, सीमित प्रसंस्करण कवरेज, पर्यावरण संबंधी चिंताएं और कुशल मैनपावर की कमी शामिल है। पीडब्ल्यूसी इंडिया के एग्री एंड फूड सेक्टर पार्टनर ने कहा कि उभरती खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर बातचीत, पक्षकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है जिससे इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके। भारत में फूड प्रोसेसिंग सेगमेंट में जबरदस्त संभावनाएं हैं।