नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत सरकार मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर को ग्रोथ के रास्ते पर डालने के लिए नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन लाने जा रही है। इसका मकसद 7.5 लाख करोड़ डॉलर का मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट जेनरेट करना है। सरकार ने नए प्लान के तहत 2047 तक जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग के शेयर को बढ़ाकर 25 परसेंट तक पहुंचाने का टार्गेट रखा है। इस समय तक भारत की इकोनॉमी 30 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। सुब्रमण्यम ने कहा कि नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन एक महीने में लॉन्च हो जाएगा। लेकिन यह कोई सलाहकार मंच नहीं बल्कि एक शक्तियों से लैस होगा और इसका काम प्रॉजेक्ट्स का कार्यान्वयन होगा। इस मिशन के जरिए सरकार नौकरशाही की औरचारिकताओं को कम करने के साथ ही अलग-अलग मंत्रालयों में समन्वय स्थापित करना चाहती है ताकि भारत के मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को ग्लोबल लेवल पर ले जाने में मदद मिल सके। इस नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन के तहत चार प्रमुख काम हाथ में लिए जाएंगे। पहला, शहरीकरण को 30 से बढ़ाकर 50 परसेंट करने की तैयारी करना ताकि 20-30 करोड़ लोगों को शहरों में बसने लायक सुविधाएं मिल सकें। इसी तरह एनर्जी कैपेसिटी बढ़ाने का प्लान है। इस मिशन को पुश देने के लिए स्किल्ड वरकर्स की कमी को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाना। साथ ही 40-45 परसेंट आबादी को खेती से हटाकर इंडस्ट्री में लगाने का भी टार्गेट है। सुब्रमण्यम ने कहा कि 2047 तक 7.5 ट्रिलियन डॉलर के मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट के लेवल तक पहुंचने के लिए 15 परसेंट सीएजीआर की जरूरत होगी जो अभी के मुकाबले दोगुनी है।