दुनियाभर की एल्कोबेव कंपनियों को भारत बड़ा भा रहा है। एक ओर जहां ज्यादातर देशों में लिकर बिजनस मैच्यॉर होकर लो ग्रोथ के रास्ते पर बढ़ रहा है वहीं भारत जैसे यंग देश में लिकर को लेकर नैतिकता की दीवारें नीची हो रही हैं और इसीलिए ग्लोबल लिकर कंपनियों को भारत में ग्रोथ का बड़ा हैडरूम नजर आ रहा है। यह तो बात हुई ग्रोथ पॉटेंशियल की। मामला दरअसल यह भी है कि भारत में शराब पीने वाला कस्टमर अब तेजी से अपग्रेड हो रहा है और महंगे ब्रांड्स की ओर शिफ्ट कर रहा है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट कहती हैं कि टॉप ब्रांड्स के टोटल सेल्स वॉल्यूम में प्रीमियम व्हिस्की का शेयर 39 परसेंट तक पहुंच चुका है। जबकि रेगुलर सेगमेंट का शेयर पिछले 5 सालों से हर साल 5 परसेंट घट रहा है। रिपोर्ट कहती हैं कि भारत की लिकर इंडस्ट्री अब क्वांटिटी के बजाय क्वॉलिटी के रास्ते पर आगे बढ़ रही है और व्हिस्की मैन्युफैक्चरर्स अब आम के बजाय खास आदमी के प्रीमियम लेबल्स पर फोकस कर रहे हैं। एल्कोहल सेक्टर की बड़ी कंपनियां अब लो-मार्जिन कैटेगरी प्रोडक्ट्स से बाहर निकलकर हाई मार्जिन सेगमेंट्स की ओर शिफ्ट हो रही हैं। देशी भाषा में बात करें तो चीप बू•ा आउट ऑफ फैशन हो रही है और प्रीमियम व्हिस्की नया ट्रेंड बन रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लिकर के इंडियन कंज्यूमर्स बदल रहे हैं और बेहतर प्रोफिटेबिलिटी के साथ मार्केट को ज्यादा क्लासी, प्रीमियम ब्रांड्स की ओर ले जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019 से 2024 के बीच रेगुलर सेगमेंट ने 5 परसेंट की निगेटिव सीएजीआर देखी जबकि जबकि मिड और अपर प्रेस्टीज सेगमेंट्स में 11 परसेंट और 6 परसेंट ग्रोथ हुई। मिड और प्रेस्टीज टीयस में मजबूत डिमांड की वजह से प्रेस्टीज एंड अबव (पी एंड ए) सेगमेंट ने 2024 में 6 परसेंट की ग्रोथ हुई। टॉप 4 प्लेयर्स के ओवरऑल वॉल्यूम में इन सेगमेंट्स की हिस्सेदारी 2019 में 27 परसेंट से बढक़र 2024 में 39 परसेंट हो गई। सबसे तेज ग्रोथ वाले ब्रांड्स की चर्चा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आइकोनिक व्हाइट (एलाइड ब्लेंडर्स ने 2022 के अंत में लॉन्च किया था) का वॉल्यूम 2024 में 181 परसेंट बढक़र 4.5 मिलियन केस (बक्सा) तक पहुंच गया। इसी दौरान रेडिको खेतान की आफ्टर डार्क व्हिस्की का वॉल्यूम भी 2024 में 78 परसेंट बढ़ा। दूसरी ओर मास मार्केट ब्रांड्स की डिमांड घट रही है। पर्नोड रिकार्ड की इम्पीरियल ब्लू की सेल में पिछले 5 सालों में सालाना 3 परसेंट की गिरावट आई। वहीं एलाइड ब्लेंडर्स की ऑफिसर्स चॉइस व्हिस्की की सेल्स 9 परसेंट और रेडिको खेतान की 8पीएम और 8पीएम प्रीमियम ब्लैक में 19 और 27 परसेंट की गिरावट आई। इस शिफ्ट के कारण कुछ कंपनियां मास मार्केट सैगमेंट से निकलने की तैयारी में हैं। पर्नोड रिकार्ड इम्पीरियल ब्लू ब्रांड को बेचने की कोशिश में है ताकि रॉयल स्टैग और ब्लेंडर्स प्राइड जैसे हाई मार्जिन ब्रांड्स पर फोकस बढाया जा सके। चर्चा है कि यूनाइटेड स्पिरिट्स भी पोर्टफोलियो रीफ्रेश कर रही है। कंपनी के रॉयल चैलेंज, सिग्नेचर, और ब्लैक डॉग जैसे ब्रांड्स ने पिछले 3 सालों में डबल डिजिट कंपाउंड ग्रोथ दिखाई है।