वियतनाम दुनिया का अकेला देश है जिसने तीन न्यूक्लियर और मिलिटरी पावर्स को युद्ध के मैदान में पटखनी दी है। ये हैं फ्रांस, अमेरिका और चीन। ये तीनों की यूएन के वीटो मेंबर भी हैं। लेकिन बात दरअसल यह है कि जिस तरह चीन ने पहले सिंगल चाइल्ड पॉलिसी को खत्म किया और कितने भी बच्चे हों सरकार चाइल्ड इंसेंटिव देने लगी है। उसी तरह चीन के पड़ौसी कम्यूनिस्ट देश वियतनाम ने भी टू-चाइल्ड पॉलिसी को दाखिल दफ्तर कर दिया है। 1988 में लागू की गई टू-चाइल्ड पॉलिसी का मकसद जनसंख्या पर अंकुश लगाना था। उस दौर में वियतनाम की कुल प्रजनन दर चार से अधिक जन्मों तक पहुंच गई थी। चीन की तरह ही वियतनाम ने इस पॉलिसी को कड़ाई से लागू किया था और इसका उल्लंघन पाया जाने पर जुर्माना, बोनस में कटौती, और यहां तक कि नौकरी से निकालने का भी नियम था। चीन की ही तरह वियतनाम भी गिरती बर्थरेट से परेशान है ऐसे में टू-चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया गया है। वियतनाम की सरकार को यह बड़ा कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि लगातार तीन वर्ष से बर्थ रेट रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे गिर गई थी। रिप्लेसमेंट लेवल यानी जितनी मौतें होती हैं उतने ही जन्म हों ताकि जनसंख्या स्थिर रहे। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वियतनाम की कुल बर्थरेट 2021 में 2.11 से घटकर 2023 में 1.96 हो गई और दिसंबर 2023 में यह 1.91 तक पहुंच गई, जो अब तक की सबसे निचली दर है। रिप्लेसमेंट रेट 2.1 मानी जाती है। बर्थरेट में गिरावट विशेष रूप से शहरी और आर्थिक रूप से समृद्ध इलाकों में तेज है। जिसमें हनोई और हो ची मिन्ह सिटी जैसे मेट्रो शहर शामिल हैं।