इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (आईएफएफ) ने एकीकृत भुगतान प्रणाली यूपीआई पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंता जताते हुए वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। आईएफएफ ने कहा कि यूपीआई के जरिये होने वाले भुगतान के करीब 80 प्रतिशत लेनदेन दो कंपनियों के जरिये ही संचालित होते हैं। इससे प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ रहा है और छोटे भारतीय वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) प्लेटफॉर्म की वृद्धि रुक रही है। फाउंडेशन ने यूपीआई से जुड़े निर्भरता जोखिम को कम करने पर जारी अपने एक बयान में कहा कि तीसरे पक्ष के बड़े ऐप प्रदाता (टीपीएपी) अधिक छूट एवं कैशबैक जैसी पेशकशों के जरिये छोटे भुगतान ऐप को बाजार से बाहर कर दे रहे हैं। इसने कहा कि यूपीआई प्लेटफॉर्म पर लगभग 30 ऐप मौजूद हैं लेकिन सिर्फ दो ऐप ही कुल लेनदेन मात्रा का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संभाल रहे हैं। संस्था ने सुझाव दिया है कि सरकार और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) यूपीआई प्रोत्साहन व्यवस्था को नए सिरे से लागू करे ताकि छोटे ऐप प्रदाताओं को अधिक लाभ मिल सके। इसने प्रस्ताव दिया है कि किसी भी ऐप को कुल प्रोत्साहन राशि का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा न मिल सके। सरकार 2020 से रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले यूपीआई-भीम लेनदेन के प्रोत्साहन के लिए चलाई जा रही योजना के तहत यूपीआई भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बैंक और भुगतान ऐप को सब्सिडी देती है। आईएफएफ का कहना है कि इस सब्सिडी का बड़ा हिस्सा उन्हीं दो प्रमुख कंपनियों को जा रहा है, जिनका बाजार हिस्सा पहले से सबसे ज्यादा है।