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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-05-2025

रेडीमेड गारमेंट सेक्टर के उपयोग आने वाले कपड़े की सबसे अधिक डिमांड

  •  रेडीमेड सेक्टर से डिमांड आने के कारण  भीलवाड़ा के कपड़ा बाजार में इन दिनों कॉटन, फैन्सी और लाईक्रा बैस कपड़े की सबसे अधिक मांग है। कपड़ा उत्पादकों का मानना है कि आने वाले समय में रेडीमेड कपड़ों का मार्केट तेजी से बढऩे वाला है इसका सबसे अधिक लाभ यहां के कपड़ा उत्पादकों को मिलेगा। साथ ही रेडीमेड सेक्टर में आने वाले समय में कई नये प्लेयर आने से भीलवाड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा सेन्टर बन जाएगा। भीलवाड़ा के कपड़ा उत्पादकों ने अपनी प्रॉडक्शन लाइन में बड़ा बदलाव करने के संकेत दिए हैं। रेडीमेड कपड़ों में भी फैन्सी कपड़ों की मांग तेजी से बढ़ रही है। रेडीमेड गारमेन्ट में कॉटन कपड़ों की अधिक मांग होने से कई मिलर्स कॉटन बेस्ड कपड़ों का उत्पादन करने लगे हैं। भीलवाड़ा में अब कॉटन कपड़े को प्रोसेस करने वाले कई प्लान्ट स्थापित होने से उत्पादकों के लिए प्रोसेस का समय काफी घट गया है। पहले कॉटन कपड़े को प्रोसेसिंग कराने की समस्या थी। बांग्लादेश में लम्बे समय से चल रही अस्थिरता के कारण वहां का रेडीमेड कपड़े का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसका लाभ भीलवाड़ा के रेडीमेड कपड़ा उत्पादकों को मिला है इस क्षेत्र में कई नये प्लेयर आने तथा कई बड़े घराने भी रेडीमेड कपड़े बनाने की बड़ी योजना लेकर काम शुरू कर रहे हैं। भीलवाड़ा में पिछले दो तीन वर्ष में पुरूषों एवं महिलाओं के पहनने वाले ट्राउजर का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा है। यहां भी बांग्लादेश की तरह रेडीमेड कपड़ों के उत्पादन में लगें श्रमिक सुगमता एवं अन्य शहरों की तुलना में सस्ते में उपलब्ध होने से लगातार नये उत्पादन केन्द्र शुरू हो रहे है। कई बड़े ब्रांड अपने मार्क के साथ जॉब वर्क भी करा रहे है। भीलवाड़ा में शर्टिंग की स्टिचिंग नहीं के बराबर होती है। यहां के रेडीमेड क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमी जयपुर से स्टिचिंग कराते है विशेष रूप से महिलाओं की कुर्तियों  बनाने का कार्य जयपुर में सबसे अधिक है। भीलवाड़ा में जॉब वर्क करने वाले प्रति ट्राउजर स्टीचिंग की रेट क्वालिटी के अनुसार 130 रुपये से लेकर 300 रुपये लेते हैं। बेहद अच्छी स्टिचिंग के लिए प्रति ट्राउजर 400 रुपया तक ले लेते है।

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रेडीमेड गारमेंट सेक्टर के उपयोग आने वाले कपड़े की सबसे अधिक डिमांड

 रेडीमेड सेक्टर से डिमांड आने के कारण  भीलवाड़ा के कपड़ा बाजार में इन दिनों कॉटन, फैन्सी और लाईक्रा बैस कपड़े की सबसे अधिक मांग है। कपड़ा उत्पादकों का मानना है कि आने वाले समय में रेडीमेड कपड़ों का मार्केट तेजी से बढऩे वाला है इसका सबसे अधिक लाभ यहां के कपड़ा उत्पादकों को मिलेगा। साथ ही रेडीमेड सेक्टर में आने वाले समय में कई नये प्लेयर आने से भीलवाड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा सेन्टर बन जाएगा। भीलवाड़ा के कपड़ा उत्पादकों ने अपनी प्रॉडक्शन लाइन में बड़ा बदलाव करने के संकेत दिए हैं। रेडीमेड कपड़ों में भी फैन्सी कपड़ों की मांग तेजी से बढ़ रही है। रेडीमेड गारमेन्ट में कॉटन कपड़ों की अधिक मांग होने से कई मिलर्स कॉटन बेस्ड कपड़ों का उत्पादन करने लगे हैं। भीलवाड़ा में अब कॉटन कपड़े को प्रोसेस करने वाले कई प्लान्ट स्थापित होने से उत्पादकों के लिए प्रोसेस का समय काफी घट गया है। पहले कॉटन कपड़े को प्रोसेसिंग कराने की समस्या थी। बांग्लादेश में लम्बे समय से चल रही अस्थिरता के कारण वहां का रेडीमेड कपड़े का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसका लाभ भीलवाड़ा के रेडीमेड कपड़ा उत्पादकों को मिला है इस क्षेत्र में कई नये प्लेयर आने तथा कई बड़े घराने भी रेडीमेड कपड़े बनाने की बड़ी योजना लेकर काम शुरू कर रहे हैं। भीलवाड़ा में पिछले दो तीन वर्ष में पुरूषों एवं महिलाओं के पहनने वाले ट्राउजर का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा है। यहां भी बांग्लादेश की तरह रेडीमेड कपड़ों के उत्पादन में लगें श्रमिक सुगमता एवं अन्य शहरों की तुलना में सस्ते में उपलब्ध होने से लगातार नये उत्पादन केन्द्र शुरू हो रहे है। कई बड़े ब्रांड अपने मार्क के साथ जॉब वर्क भी करा रहे है। भीलवाड़ा में शर्टिंग की स्टिचिंग नहीं के बराबर होती है। यहां के रेडीमेड क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमी जयपुर से स्टिचिंग कराते है विशेष रूप से महिलाओं की कुर्तियों  बनाने का कार्य जयपुर में सबसे अधिक है। भीलवाड़ा में जॉब वर्क करने वाले प्रति ट्राउजर स्टीचिंग की रेट क्वालिटी के अनुसार 130 रुपये से लेकर 300 रुपये लेते हैं। बेहद अच्छी स्टिचिंग के लिए प्रति ट्राउजर 400 रुपया तक ले लेते है।


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