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09-06-2025

अकेलापन बन रहा दिल का दुश्मन

  •  AI ने दिल के अकेलेपन की ये दो लाइणा सुनाईं...

    दिल की गलियों में जब सन्नाटा होता है,

    तब अकेलापन बहुत गहरा और खामोश होता है।
    दिल भी बड़ी अजीब चीज है, खुश होता है तो बल्लियों उछल पड़ता है। लेकिन यह कब खुश होगा कौन समझ पाया है। जैसे भी हो इसे खुश रखना आपका जिम्मेदारी है। कहते हैं सिगरेट-शराब दिल के लिए हैं खराब। लेकिन दुनिया जानती है यही तो दिल की दवा हैं। सुनते आए हैं एक्सरसाइज करने से दिल खुश रहता है लेकिन दुनिया को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव भी तो ट्रेडमिल पर ही थे। दिग्गज हार्ट स्पेशलिस्ट रमाकांत पांडा कहते हैं हार्ट डिजीज का कारण जेनेटिक (फैमिली हिस्ट्री) भी हो सकता है और आपके खान-पान का तरीका भी। लेकिन अब यंगिस्तान में सोशियल आइसोलेशन हार्ट डिजीज का बड़ा कारण बन रहा है। सोशियल आइसोलेशन यानी अकेलापन...। वो कहते हैं ना अपने आप में मस्त...यह आपके दिल को धीरे-धीरे पस्त कर रहा है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन रमाकांत पांडा कहते हैं कि दिल केवल पम्प करने की मशीन नहीं है। ये इमोशनल और सोशियल हेल्थ के लिए रामबाण दवा है। फैमिली कल्चर हमारे देश की पहचान है जिसमें अकेलापन था ही नहीं। नोक-झोंक और टकराव से अलगाव नहीं होता था। जॉइंट फैमिली टूटने से आजादी तो मिल गई लेकिन करियर और फाइनेंस दिल-दिमाग पर प्रेशर बढ़ाए जा रहे हैं। बकुछ अपनी पसंद का (पर्सनेलाइज) मिल गया लेकिन परिवार बोझ बन गया। इस बोझ को हल्का करने के लिए ड्रिंक और स्मोकिंग कब लत बन जाते हैं पता ही नहीं चलता।  लेकिन कहानी यहां से तो शुरू होती है। इंस्टाग्राम पर लाइक नहीं मिले तो दिल डूब जाता है और डिप्रेशन छा जाता है। डिजिटल दुनिया में हजारों फॉलोवर हैं लेकिन फ्लेट में आप अकेले हैं। 6 फीट का दोस्त पीछे छूट गया और 6 इंच का स्मार्टफोन बेस्ट बडी बन गया। परिवार है तो भी कौने-कौने में बिखरा हुआ है। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टेंड, हॉस्पीटल, होटल, रेस्त्रां की चहल-पहल में भी डिजिटल लिए प्राइवेसी तलाशते हैं। डॉ. पांडा कहते हैं कि सोशियल मीडिया आपकी इमोशन्स के साथ खेल रहा है...स्ट्रेस और ईश्र्या (जेलसी) बढ़ा रहा है। फोमो यानी फीयर ऑफ मिसिंग आउट या कहें तो पीछे रह जाने का डर बढ़ रहा है। इंस्टाग्राम आपको इमोशनल बैंकरप्ट बना रहा है ना खुशी का अहसास होता है ना हंसी आती है। यह लत क्रोनिक स्ट्रेस बढ़ा रही है। जब दबा हुआ स्ट्रेस फटता है तो आपकी अजीब सी...कई बार वॉयलेंट (हिंसक) हरकत खबर बन जाती है। बात सिर्फ जेन एल्फा या जेन•ाी की नहीं टीनेजर्स अकेलेपन के दलदल में धंसे जा रहे हैं और हेवी ड्रिंकर और चेन स्मोकर बन रहे हैं। नतीजा बेतरतीब ब्लड पे्रशर और हार्टरेट टीनेजर्स के शरीर को खोखला कर रहे हैं। एक पुरानी पिच्चर आपने देखी होगी...जाने भी दो यारो...अंग्रेजी में ...लेट इट गो...और मारवाड़ी में ...जाण दै नै...टाबर छै जाबा द्यो...को लाइफ मंत्रा बना लो। किसी फॉर्मूले पर चलने की जरूरत नहीं है। जिसमें खुशी मिले वो करो...बेपरवाह बन जाओ, गुस्सा आए तो दबाओ मत...मौका मिल जाए तो हंस लो, थोड़ी ब्रीदिंग और एक्सरसाइज करो। जोश और होड़ में हार्ड एक्सरसाइज ना करो। थोड़ी लाइफस्टाइल बदल लो। कहीं पढ़ा होगा ...हंस मत...()...प्यार हो जाएगा। तो...हो जाने दो...स्टे हैपी...स्टे हैल्दी।
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अकेलापन बन रहा दिल का दुश्मन

 AI ने दिल के अकेलेपन की ये दो लाइणा सुनाईं...

दिल की गलियों में जब सन्नाटा होता है,

तब अकेलापन बहुत गहरा और खामोश होता है।
दिल भी बड़ी अजीब चीज है, खुश होता है तो बल्लियों उछल पड़ता है। लेकिन यह कब खुश होगा कौन समझ पाया है। जैसे भी हो इसे खुश रखना आपका जिम्मेदारी है। कहते हैं सिगरेट-शराब दिल के लिए हैं खराब। लेकिन दुनिया जानती है यही तो दिल की दवा हैं। सुनते आए हैं एक्सरसाइज करने से दिल खुश रहता है लेकिन दुनिया को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव भी तो ट्रेडमिल पर ही थे। दिग्गज हार्ट स्पेशलिस्ट रमाकांत पांडा कहते हैं हार्ट डिजीज का कारण जेनेटिक (फैमिली हिस्ट्री) भी हो सकता है और आपके खान-पान का तरीका भी। लेकिन अब यंगिस्तान में सोशियल आइसोलेशन हार्ट डिजीज का बड़ा कारण बन रहा है। सोशियल आइसोलेशन यानी अकेलापन...। वो कहते हैं ना अपने आप में मस्त...यह आपके दिल को धीरे-धीरे पस्त कर रहा है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन रमाकांत पांडा कहते हैं कि दिल केवल पम्प करने की मशीन नहीं है। ये इमोशनल और सोशियल हेल्थ के लिए रामबाण दवा है। फैमिली कल्चर हमारे देश की पहचान है जिसमें अकेलापन था ही नहीं। नोक-झोंक और टकराव से अलगाव नहीं होता था। जॉइंट फैमिली टूटने से आजादी तो मिल गई लेकिन करियर और फाइनेंस दिल-दिमाग पर प्रेशर बढ़ाए जा रहे हैं। बकुछ अपनी पसंद का (पर्सनेलाइज) मिल गया लेकिन परिवार बोझ बन गया। इस बोझ को हल्का करने के लिए ड्रिंक और स्मोकिंग कब लत बन जाते हैं पता ही नहीं चलता।  लेकिन कहानी यहां से तो शुरू होती है। इंस्टाग्राम पर लाइक नहीं मिले तो दिल डूब जाता है और डिप्रेशन छा जाता है। डिजिटल दुनिया में हजारों फॉलोवर हैं लेकिन फ्लेट में आप अकेले हैं। 6 फीट का दोस्त पीछे छूट गया और 6 इंच का स्मार्टफोन बेस्ट बडी बन गया। परिवार है तो भी कौने-कौने में बिखरा हुआ है। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टेंड, हॉस्पीटल, होटल, रेस्त्रां की चहल-पहल में भी डिजिटल लिए प्राइवेसी तलाशते हैं। डॉ. पांडा कहते हैं कि सोशियल मीडिया आपकी इमोशन्स के साथ खेल रहा है...स्ट्रेस और ईश्र्या (जेलसी) बढ़ा रहा है। फोमो यानी फीयर ऑफ मिसिंग आउट या कहें तो पीछे रह जाने का डर बढ़ रहा है। इंस्टाग्राम आपको इमोशनल बैंकरप्ट बना रहा है ना खुशी का अहसास होता है ना हंसी आती है। यह लत क्रोनिक स्ट्रेस बढ़ा रही है। जब दबा हुआ स्ट्रेस फटता है तो आपकी अजीब सी...कई बार वॉयलेंट (हिंसक) हरकत खबर बन जाती है। बात सिर्फ जेन एल्फा या जेन•ाी की नहीं टीनेजर्स अकेलेपन के दलदल में धंसे जा रहे हैं और हेवी ड्रिंकर और चेन स्मोकर बन रहे हैं। नतीजा बेतरतीब ब्लड पे्रशर और हार्टरेट टीनेजर्स के शरीर को खोखला कर रहे हैं। एक पुरानी पिच्चर आपने देखी होगी...जाने भी दो यारो...अंग्रेजी में ...लेट इट गो...और मारवाड़ी में ...जाण दै नै...टाबर छै जाबा द्यो...को लाइफ मंत्रा बना लो। किसी फॉर्मूले पर चलने की जरूरत नहीं है। जिसमें खुशी मिले वो करो...बेपरवाह बन जाओ, गुस्सा आए तो दबाओ मत...मौका मिल जाए तो हंस लो, थोड़ी ब्रीदिंग और एक्सरसाइज करो। जोश और होड़ में हार्ड एक्सरसाइज ना करो। थोड़ी लाइफस्टाइल बदल लो। कहीं पढ़ा होगा ...हंस मत...()...प्यार हो जाएगा। तो...हो जाने दो...स्टे हैपी...स्टे हैल्दी।

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