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11-06-2025

कम रिटर्न: 7-8 लाख हाई नेटवर्थ टैक्सपेयर्स पर विभाग की नजर

  •  आयकर विभाग ने उन हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जो सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई कर रहे हैं, लेकिन अपनी वास्तविक आय आयकर रिटर्न में नहीं दिखा रहे। सरकारी सूत्रों के अनुसार विभाग ऐसे 7-8 लाख व्यक्तियों की गतिविधियों की निगरानी कर रहा है। सरकारी डेटा के मुताबिक करीब 7-8 लाख व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) और फर्म एक करोड़ से अधिक सालाना कमा रही हैं, लेकिन इनमें से केवल 3.5 लाख ने ही वित्त वर्ष 2023-24 में इतनी आय पर आईटीआर दाखिल किया है। अधिकारी के अनुसार इन एचएनआई के खर्च और लेन-देन की जानकारी जुटाने के लिए टीसीएस, टीडीएस, फॉरेन रेमिटेंस और जीएसटी डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। साथ ही ...360-डिग्री प्रोफाइलिंग...की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, अब एचएनआई वर्ग के खर्च और आय के बीच अंतर को ट्रेक कर टैक्स बेस बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में भी इसी रणनीति के तहत 10 लाख से अधिक की लक्जरी वस्तुओं पर टीसीएस लगाया गया है, जिससे खर्च पर नजर रखने में मदद मिली है। विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ व्यापारी फर्जी खर्च या नकली इनवॉइस बनाकर मुनाफा कम दिखाते हैं, वहीं कुछ फर्जी डिडक्शन क्लेम कर टैक्स देनदारी कम करते हैं। रियल एस्टेट, होटल और रिटेलिंग में अब भी कैश ट्रांजेक्शन आयकर विभाग के लिए अब भी बड़े चैलेंज हैं।

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कम रिटर्न: 7-8 लाख हाई नेटवर्थ टैक्सपेयर्स पर विभाग की नजर

 आयकर विभाग ने उन हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जो सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक कमाई कर रहे हैं, लेकिन अपनी वास्तविक आय आयकर रिटर्न में नहीं दिखा रहे। सरकारी सूत्रों के अनुसार विभाग ऐसे 7-8 लाख व्यक्तियों की गतिविधियों की निगरानी कर रहा है। सरकारी डेटा के मुताबिक करीब 7-8 लाख व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) और फर्म एक करोड़ से अधिक सालाना कमा रही हैं, लेकिन इनमें से केवल 3.5 लाख ने ही वित्त वर्ष 2023-24 में इतनी आय पर आईटीआर दाखिल किया है। अधिकारी के अनुसार इन एचएनआई के खर्च और लेन-देन की जानकारी जुटाने के लिए टीसीएस, टीडीएस, फॉरेन रेमिटेंस और जीएसटी डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। साथ ही ...360-डिग्री प्रोफाइलिंग...की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, अब एचएनआई वर्ग के खर्च और आय के बीच अंतर को ट्रेक कर टैक्स बेस बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में भी इसी रणनीति के तहत 10 लाख से अधिक की लक्जरी वस्तुओं पर टीसीएस लगाया गया है, जिससे खर्च पर नजर रखने में मदद मिली है। विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ व्यापारी फर्जी खर्च या नकली इनवॉइस बनाकर मुनाफा कम दिखाते हैं, वहीं कुछ फर्जी डिडक्शन क्लेम कर टैक्स देनदारी कम करते हैं। रियल एस्टेट, होटल और रिटेलिंग में अब भी कैश ट्रांजेक्शन आयकर विभाग के लिए अब भी बड़े चैलेंज हैं।


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