इनमें से केवल स्विट्जरलैंड ही जाना-माना नाम है। लेकिन भारत ने इस ब्लॉक में शामिल नॉर्वे, आइसलैंड और लीशटेंस्टाइन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति जता दी है। हाल ही कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल स्विट्जरलैंड के दौर पर थे। इन चार देशों ने भारत में 100 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट करने का भी प्लान भी सामने रखा है। हालांकि यह भी कहा है कि भारत को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को बेहतर करने की जरूरत है। स्विटजरलैंड ज्यूलरी, हाथ घडिय़ों और प्रेसिशन मैन्युफैक्चरिंग का पावरहाउस है। साथ ही स्विस चॉकलेट्स का भी बड़ा ग्लोबल मैन्युफैक्चरर है। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर से यह एफटीए लागू हो जाएगा। अभी भारत स्विस चॉकलेट पर 30 परसेंट इंपोर्ट टैरिफ लगाता है। ऐसा माना जा रहा है कि इस एग्रीमेंट का सबसे ज्यादा फायदा हाई एंड टेक्नोलॉजी के लिहाज से होगा। स्विटजरलैंड की दवा कंपनियां भारत के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को लेकर बार-बार सवाल उठाती रही हैं। माना जा रहा है कि एफटीए लागू होने के बाद स्विट्जरलैंड की फार्मा कंपनियां भारत में बड़ा निवेश कर सकती हैं। आपको याद होगा नेस्ले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमएफएन स्टेटस को लेकर एक फैसला दिया था जिसके बाद स्विट्जरलैंड ने भारत का एमएफएन स्टेटस कैंसल कर दिया था। यूरोप के इन चार देशों के साथ एग्रीमेंट के बाद 90 परसेंट इंपोर्ट पर टैरिफ घटाया जाएगा।