रूस-यूक्रेन वॉर व ट्रंप टैरिफ के इंपैक्ट के बाद अब ग्लोबल सहित इंडियन स्टॉक मार्केट स्टेबल हो गए हैं। चालू कैलेंडर ईयर में अब तक निफ्टी-50 इंडेक्स में 6 प्रतिशत की बढ़त आ चुकी है। हालांकि, वेल्यूएशन के लिहाज से देखें तो अमरीका को छोड़ दें तो इंडियन स्टॉक मार्केट का वेल्यूएशन अन्य सभी प्रमुख देशों के स्टॉक मार्केट्स के वेल्यूएशन की तुलना में काफी अधिक है। ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज द्वारा जारी डाटा के मुताबिक इंडिया का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की अर्निंग के आधार पर 21.8 गुना के पीई-मल्टीपल के वेल्यूएशन पर ट्रेड कर रहा है। इसकी तुलना में चीन के स्टॉक मार्केट 41 प्रतिशत डिस्काउंट पर, ब्राजील के 62 प्रतिशत, साउथ कोरिया के 56 प्रतिशत, इंडोनेशिया के 45 प्रतिशत, ब्रिटेन के 38 प्रतिशत व जर्मनी के स्टॉक मार्केट 38 प्रतिशत डिस्काउंट पर फिलहाल ट्रेड कर रहे हैं। केवल अमरीकी स्टॉक मार्केट ही इंडियन मार्केट के वेल्यूएशन के लगभग आस-पास ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इंडियन मार्केट को अन्य प्रमुख ग्लोबल मार्केट्स से इतना अधिक प्रीमियम वेल्यूएशन मिलना क्या जायज़ है? इंडियन इकोनोमी में ग्रोथ का सिलसिला जहां जारी है पर ग्रोथ रेट धीमी अवश्य पड़ रही है। इसके अलावा कंजंप्शन स्लोडाउन के इंडिकेशन भी कंपनियों के फाइनेंशियल परफोर्मेंस में मिलने लगे हैं। ऐसे में देखना होगा कि इंडियन मार्केट के वेल्यूएशन आगे चलकर अन्य ग्लोबल मार्केट्स के अनुरूप एडजस्ट होते हैं या नहीं?
