TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

18-06-2025

जीरा : मंदी पर अस्थाई ब्रेक के आसार

  •  ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की आवक सीमित ही बनी होने के बाद भी इसकी कीमत में रुक-रुककर मंदी आ रही है। मानसून सीजन भी चल रहा है। इसकी वजह से घरेलू और निर्यात बिक्री भी सुस्त ही बनी रहने की आस है। अत: आगामी दिनों में जीरे की मंदी पर अस्थाई ब्रेक लगने के आसार हैं। देश में फिलहाल मानसून का सीजन चल रहा है। मानसून केरल में सामान्य से करीब 8 दिन पहले ही पहुंचने और तेजी से देश के कई अन्य राज्यों की ओर बढऩे के बाद फिलहाल इसके और आगे बढऩे पर अस्थाई ब्रेक की स्थिति बनी हुई है। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री में कमी जाने के बाद भी ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि ऊंझा में जीरे की करीब 8-10 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी लिवाली का अभाव बना हुआ है। हालांकि पूर्व में ऊंझा में जीरे की आवक सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 72-75 हजार बोरियों के स्तर पर पहुंच गई थी। इस बार गुजरात में जीरे की बिजाई वार्षिक आधार पर करीब 15 प्रतिशत घटकर 4,76,500 लाख हेक्टेयर में हुई है। गुजरात की मंडिय़ों में जीरे में व्यापारिक गतिविधियां भी सुधरने लगी हैं। ऊंझा में जीरे की कीमत भी हाल ही में 70-75 रुपए और मंदा होकर फिलहाल 4060/4100 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 160-180 रुपए की मंदी आई थी। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 300-400 रुपए और मंदा होकर फिलहाल 21,600/22,200 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 1500-1600 रुपए की गिरावट आई थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। आगामी जुलाई महीने में चीन में जीरे की नई फसल भी होनी है। अभी तक प्राप्त हुई सूचनाओं के अनुसार नए सीजन में चीन में जीरे का उत्पादन सामान्य कुछ कम होने का अनुमान है। अगले महीने चीन, तुर्की और सीरिया में नई फसल शुरू होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश से 6178.86 करोड़ रुपए कीमत के 2,29,881.06 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 1,65,269.45 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 5797.23 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों मे जीरे की मंदी पर अस्थाई तौर पर ब्रेक लग सकता है।

Share
जीरा : मंदी पर अस्थाई ब्रेक के आसार

 ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की आवक सीमित ही बनी होने के बाद भी इसकी कीमत में रुक-रुककर मंदी आ रही है। मानसून सीजन भी चल रहा है। इसकी वजह से घरेलू और निर्यात बिक्री भी सुस्त ही बनी रहने की आस है। अत: आगामी दिनों में जीरे की मंदी पर अस्थाई ब्रेक लगने के आसार हैं। देश में फिलहाल मानसून का सीजन चल रहा है। मानसून केरल में सामान्य से करीब 8 दिन पहले ही पहुंचने और तेजी से देश के कई अन्य राज्यों की ओर बढऩे के बाद फिलहाल इसके और आगे बढऩे पर अस्थाई ब्रेक की स्थिति बनी हुई है। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री में कमी जाने के बाद भी ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि ऊंझा में जीरे की करीब 8-10 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी लिवाली का अभाव बना हुआ है। हालांकि पूर्व में ऊंझा में जीरे की आवक सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 72-75 हजार बोरियों के स्तर पर पहुंच गई थी। इस बार गुजरात में जीरे की बिजाई वार्षिक आधार पर करीब 15 प्रतिशत घटकर 4,76,500 लाख हेक्टेयर में हुई है। गुजरात की मंडिय़ों में जीरे में व्यापारिक गतिविधियां भी सुधरने लगी हैं। ऊंझा में जीरे की कीमत भी हाल ही में 70-75 रुपए और मंदा होकर फिलहाल 4060/4100 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 160-180 रुपए की मंदी आई थी। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 300-400 रुपए और मंदा होकर फिलहाल 21,600/22,200 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 1500-1600 रुपए की गिरावट आई थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। आगामी जुलाई महीने में चीन में जीरे की नई फसल भी होनी है। अभी तक प्राप्त हुई सूचनाओं के अनुसार नए सीजन में चीन में जीरे का उत्पादन सामान्य कुछ कम होने का अनुमान है। अगले महीने चीन, तुर्की और सीरिया में नई फसल शुरू होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में देश से 6178.86 करोड़ रुपए कीमत के 2,29,881.06 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 1,65,269.45 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 5797.23 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों मे जीरे की मंदी पर अस्थाई तौर पर ब्रेक लग सकता है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news