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07-06-2025

उड़द में लंबी तेजी का व्यापार नुकसानदायक रहेगा

  •  उड़द में गत वर्ष की भारी तेजी को देखकर देश-विदेश के उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई बंपर हुई थी तथा फसल भी शत-प्रतिशत उतरी है, इस वजह से मंदे का रुख बना हुआ है, लेकिन नीचे वाले भाव में टेंपरेरी दो-तीन रुपए किलो बढ़ सकते हैं, लेकिन  लंबी तेजी में नहीं बैठना चाहिए। वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड भाव उड़द के बनने के बाद किसानों द्वारा गत वर्ष बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना माल नहीं होने से अपेक्षित मंदा नहीं आ पाया। इसमें लगातार सटोरियों की सट्टेबाजी से बाजार टूटता चला गया। दूसरी ओर रंगून के साथ-साथ ब्राजील में भी किसानों द्वारा बिजाई अधिक किया था। उधर मौसम अनुकूल होने से खरीफ सीजन की फसल बढिय़ा आई थी तथा पुराना स्टॉक भी बच गया। उधर बर्मा में भी फसल 37-38 प्रतिशत अधिक होने की खबर मिल रही है। यही कारण है कि वहां के कारोबारी लगातार बिकवाल आ रहे हैं। वर्तमान में सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर लाइन में उड़द की बिजाई 50-55 प्रतिशत अधिक हुई थी, जिस कारण उत्पादन अधिक हुआ है। वहां आवक का दबाव लगातार बढऩे से दिल्ली पहुंच में 7500/7600 रुपए बिकने के बाद घटकर 6900/7100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव यहां रह गए हैं। इधर चेन्नई में भी आयातक हाजिर माल के भाव पिछले एक माह में 450 रुपए घटना के बाद आज 150 रुपए मजबूती पर 7500 रुपए एसक्यू क्वालिटी के बोलने लगे हैं तथा एफ ए क्यू क्वालिटी के भाव 6700 रुपए वहां रह गए हैं। दाल मिलें माल लेने से पीछे हट गई है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद ग्राहकी की भारी कमी बनी हुई है, कारोबारी एवं दाल मिलों के माल पिछले डेढ़ महीने तक के बिके हुए हैं। यही कारण है कि बाजारों में दूर-दूर तक सन्नाटा का माहौल बना हुआ है। यहां भी उड़द एसक्यू, जो वर्ष 2023-24 में 10600 रुपए बिक गई थी, उसके भाव केवल 7800 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। बीते माह के अंतराल ही इसमें 450/500 रुपए की गिरावट आ गई थी। इसी अनुपात में एफ ए क्यू के भाव भी 7100 रुपए के निम्न स्तर पर आ गए हैं। व्यापारी वर्ग का मानना है कि लगातार जबलपुर लाइन से लोडिंग चल रही है तथा दाल की बिक्री उस हिसाब से नहीं है। नई फसल सितंबर में आ जाएगी तथा मानसून भी अनुकूल रहने की मौसम विभाग की भविष्यवाणी आ रही है। मौसम विभाग के अनुसार 2009 के बाद पहली बार मानसून समय से आ रहा है तथा केरल में पहुंच गया है। गौरतलब है कि यूपी में भी हरी उड़द सुल्तानपुर लाइन में आ रही है, लेकिन उसकी खपत वही हो रही है। मध्य प्रदेश में इस बार उड़द की फसल बहुत बढिय़ा आई है तथा नई फसल खरीफ सीजन वाली 3 महीने बाद आएगी, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जरूरत का ही व्यापार करना चाहिए।  बाजार में भी जो सटोरिए आगे पीछे के सौदे करते थे, वह भी इस समय मंदे के चलते काफी कम रह गया है।

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उड़द में लंबी तेजी का व्यापार नुकसानदायक रहेगा

 उड़द में गत वर्ष की भारी तेजी को देखकर देश-विदेश के उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई बंपर हुई थी तथा फसल भी शत-प्रतिशत उतरी है, इस वजह से मंदे का रुख बना हुआ है, लेकिन नीचे वाले भाव में टेंपरेरी दो-तीन रुपए किलो बढ़ सकते हैं, लेकिन  लंबी तेजी में नहीं बैठना चाहिए। वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड भाव उड़द के बनने के बाद किसानों द्वारा गत वर्ष बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना माल नहीं होने से अपेक्षित मंदा नहीं आ पाया। इसमें लगातार सटोरियों की सट्टेबाजी से बाजार टूटता चला गया। दूसरी ओर रंगून के साथ-साथ ब्राजील में भी किसानों द्वारा बिजाई अधिक किया था। उधर मौसम अनुकूल होने से खरीफ सीजन की फसल बढिय़ा आई थी तथा पुराना स्टॉक भी बच गया। उधर बर्मा में भी फसल 37-38 प्रतिशत अधिक होने की खबर मिल रही है। यही कारण है कि वहां के कारोबारी लगातार बिकवाल आ रहे हैं। वर्तमान में सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर लाइन में उड़द की बिजाई 50-55 प्रतिशत अधिक हुई थी, जिस कारण उत्पादन अधिक हुआ है। वहां आवक का दबाव लगातार बढऩे से दिल्ली पहुंच में 7500/7600 रुपए बिकने के बाद घटकर 6900/7100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव यहां रह गए हैं। इधर चेन्नई में भी आयातक हाजिर माल के भाव पिछले एक माह में 450 रुपए घटना के बाद आज 150 रुपए मजबूती पर 7500 रुपए एसक्यू क्वालिटी के बोलने लगे हैं तथा एफ ए क्यू क्वालिटी के भाव 6700 रुपए वहां रह गए हैं। दाल मिलें माल लेने से पीछे हट गई है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद ग्राहकी की भारी कमी बनी हुई है, कारोबारी एवं दाल मिलों के माल पिछले डेढ़ महीने तक के बिके हुए हैं। यही कारण है कि बाजारों में दूर-दूर तक सन्नाटा का माहौल बना हुआ है। यहां भी उड़द एसक्यू, जो वर्ष 2023-24 में 10600 रुपए बिक गई थी, उसके भाव केवल 7800 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। बीते माह के अंतराल ही इसमें 450/500 रुपए की गिरावट आ गई थी। इसी अनुपात में एफ ए क्यू के भाव भी 7100 रुपए के निम्न स्तर पर आ गए हैं। व्यापारी वर्ग का मानना है कि लगातार जबलपुर लाइन से लोडिंग चल रही है तथा दाल की बिक्री उस हिसाब से नहीं है। नई फसल सितंबर में आ जाएगी तथा मानसून भी अनुकूल रहने की मौसम विभाग की भविष्यवाणी आ रही है। मौसम विभाग के अनुसार 2009 के बाद पहली बार मानसून समय से आ रहा है तथा केरल में पहुंच गया है। गौरतलब है कि यूपी में भी हरी उड़द सुल्तानपुर लाइन में आ रही है, लेकिन उसकी खपत वही हो रही है। मध्य प्रदेश में इस बार उड़द की फसल बहुत बढिय़ा आई है तथा नई फसल खरीफ सीजन वाली 3 महीने बाद आएगी, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जरूरत का ही व्यापार करना चाहिए।  बाजार में भी जो सटोरिए आगे पीछे के सौदे करते थे, वह भी इस समय मंदे के चलते काफी कम रह गया है।


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