मैंथा खेती की फसल का रकबा गत वर्षों के मुकाबले घटकर मात्र 35 से 40 प्रतिशत तक ही मान रहे व्यापारी गत 3-4 वर्षों का स्टॉक भी निपटा हुआ मान रहे हैं। किसान अब मैंथा खेती से पलायन करके पालेज व मक्का खेती तथा गन्ना खेती की ओर चला गया है। इस साल किसानों ने गेहूं की फसल के साथ लगाना भी छोड़ दिया। बढ़ती महंगाई तथा लेबर की मजदूरी तथा प्लांटों की निकाासी का भाड़ा जोडक़र किसान को मिलते 900 रुपए के दाम बेचकर 700 रुपए रह जाते हैं। इसलिए डिब्बे पर चलता कारोबार तथा स्थानीय मंडियों में चलता जून का एडवांस वायदा कारोबार के चलते किसान मैंथा फसल छोडक़र अन्य जिंसों में जा चुका है।नेचुरल मैंथा तेल द्वारा तैयार मैंथोल बोल्ड क्रिस्टल की मांग अब धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, तथा सिंथेटिक की डिमांड अब धीरे-धीरे कमजोर सुनी जा रही है। कुछ मैंथा के पुराने व्यापारी एवं कारोबारी आज भी टरपीनलैस बोल्ड क्रिस्टल का भाव लगभग 1250 रुपए सुना गया तथा साधारण बोल्ड क्रिस्टल का भाव 1160 रुपए से 1165 रुपए सुना गया है। मैंथा बाजारों में तेल की बिक्री बहुत कम घटकर आ रही है। फिर सटोरियों द्वारा जून वायदा मंदा करके फर्जी बेचान कर रहे हैं। इसलिए जीएलसी मैंथा तेल चंदौसी 998 रुपए सुनस गया, जिसके कंजलिंग तेल का भाव 970 रुपए भुगतान होगा। अधिकांशत: स्टॉक बीते चार-पांच सालों के खाली हो चुके हैं, इसलिए तेल की बिक्री बहुत कम आ रही है।बरेली, फरीदपुर, जलालाबाद, कलान, साडी, बिलग्राम तथा माधौगंज ये पूरी लाइन खाली हैं। बिहार, अकबरपुर, बसरवारी, गोंडा, बहराइच, गाजीपुर, लखीमपुर, गायघाट लाइन पर तेल की फसल घटकर बहुत कम है। मध्य प्रदेश की मैंथा फसल 35-40 हजार से घटकर 1500 से 2000 ड्रम पर बोली गयी। बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब का किसान केवल मैंथा जड़ैं बचाने को खेती कम जरूरत के रकबा में बो रहा है। सम्भल, अमरोहा, गवां, हसनपुर, गजरौला की मैंथा खेती नगण्य स्थिति में आ गयी। नेचुरल मैंथा की डिमांड बढक़र आई तो सीजन का तेल 1200 रुपए से ऊपर जाना चाहिए। कुछ पुराने जानकार अब नेचुरल की मांग निरंतर बढ़ती हुई मान रहे हैं। जून के एडवांस वायदा कारोबार में मोटे सौदों का बेचान फर्जी हो चुका है, इसलिए आज भी 950/960 रुपए की कंजलिंग, 15 जून के बाद की बिक रही है, किंतु तेल की आवक 20 जून के बाद ही मानी जानी चाहिए।