उत्तर भारत के प्लाटों में देसी घी का उत्पादन घटने एवं बटर के निर्यात बढऩे से इसमें और शॉर्टेज बन गई तथा फेडरेशन भी खरीद रहे हैं, जिससे देसी घी एवं दूध पाउडर में अकड़ बरकरार बनी हुई है। प्लांट 80 प्रतिशत बंद हो चुके हैं, जिससे यहां से थोड़ा ठहरने के बाद 20 रुपए प्रति किलो की और तेजी लग रही है उत्तर भारत में लिक्विड दूध किया पूर्ति एक महीने के अंतराल 50 प्रतिशत घटकर 67-68 लाख लीटर दैनिक रह गई है, जिससे इस देशी घी का उत्पादन घटकर 400-410 मेट्रिक टन दैनिक रह गया है तथा दूध पाउडर का उत्पादन भी 540-545 मीट्रिक टन रह गया है, जबकि नए सीजन हेतु प्लांट चलने में पूरा अभी 6 महीने का समय बाकी है। यद्यपि चालू सीजन में मौसम अनुकूल होने तथा व्यांत अच्छा होने से लिक्विड दूध का उत्पादन बढऩे का सरकारी व गैर सरकारी अनुमान रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बटर के ऊंचे भाव होने तथा पुराना माल स्टॉक में नहीं होने से देसी घी में सरपट तेजी का रुख बना हुआ है। पिछले माह भी 400 रुपए बढक़र देसी घी प्रीमियम क्वालिटी के भाव 8950/9150 रुपए प्रति टीन हो गए, कंपनियों ने उपभोक्ता पैक में भी भाव 50 रुपए लीटर बढा दिये। यूपी हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश पंजाब आदि सभी प्रांतों को मिलाकर पूरे सीजन में लिक्विड दूध का सकल उत्पादन अनुमान 19.5 करोड़ टन का आया है। बटर के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे होने से देसी घी उत्तर भारत की कंपनियों में कम बन रहा है। दूसरी ओर शादियों की चौतरफा चालानी मांग चलने से पिछले माह हाजिर में 400 रुपए प्रति टीन की उल्लेखनीय तेजी आ चुकी है। लिक्विड दूध के भाव भी वीएलसी के 61/62 तथा टैंकर वाले क्वालिटी के अनुसार 58/59 रुपए प्रति लीटर में खरीदना पड़ रहा है, जिससे निर्माता कंपनियों को देसी घी के पड़ते कम लग रहे हैं। इधर सरकार द्वारा देसी घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने से व्यापार करने में काफी कठिनाई पड़ रही है। इसका सीधा प्रभाव पशुपालक किसानों पर पड़ रहा है। सरकार से आग्रह है कि इसे 12 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया जाए। दूध पाउडर के भाव भी तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र में पहले की अपेक्षा महंगे हो गए हैं, क्योंकि निर्यातक वहां से माल खरीद रहे हैं। दूध पाउडर के भाव भी हाजिर माल की कमी से बढक़र 320/330 रुपए प्रति किलो के एट पार पड़ रहे है।