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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

05-06-2025

शुल्क मुक्त आयात आगे एक्सटेंड होने से मटर में मंदा

  •  देश में सफेद मटर की खेती केवल सब्जियों के लिए किसानों ने किया था, सूखी मटर का उत्पादन केवल 10-12 प्रतिशत मुश्किल से रह गया है। दूसरी ओर  आयातक बंदरगाहों पर स्टाक के माल की बिकवाली 75-80 प्रतिशत औने-पौने भाव में कर चुके थे, इसे देखकर सरकार द्वारा शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दी गई है, जिसके चलते एक बार फिर मंदे का दलदल बन गया है तथा अब कारोबारी मटर का खेल समाप्त समझ रहे हैं इसका प्रभाव उड़द मूंग तुवर मसूर चना सभी दलहनों पर मंदे के रूप में पड़ा है। चालू सीजन में मटर की बिजाई तो अधिक की गई थी, लेकिन 80 प्रतिशत सब्जियों में फली बिक जाने से तैयार मटर का उत्पादन केवल 10-15 प्रतिशत ही मंडियों में आया  है। हम मानते हैं कि कनाडा में पुराना माल अभी बचा है, लेकिन भारत के अलावा अन्य देशों की भी मांग चलने से वहां 15-20 डॉलर प्रति टन हाजिर शिपमेंट के भाव बढ़ाकर बोलने लगे थे। इन हालातों को देखकर सरकार द्वारा शुल्क मुक्त आयात की अवधि 31 मई से बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दिया गया, जिससे जो मटर पोर्ट पर 36 रुपए प्रति किलो बिक रही थी, उसके भाव पुन: टूटकर 33.50 रुपए पर आ गए हैं। यहां भी जो मटर 41 रुपए बिक रही थी, उसके भाव 38 रुपए बोलने लगे हैं तथा छनी हुई 39 रुपए तक कारोबारी बोल रहे हैं। गौरतलब है कि मटर घरेलू उत्पादन कम होने तथा हाल ही में कनाडा में भाव बढ़ जाने से आयात पड़ता ज्यादा सस्ता नहीं लग रहा है, लेकिन वहां अगली फसल के लिए बिजाई बढ़ जाएगी। दूसरी ओर घरेलू उत्पादन बहुत ही कम रह जाने से इसमें मंदा रुकने आसार दिखाई देने लगे हैं। अत: इसमें फिर घबराने की जरूरत नहीं है। घरेलू उत्पादन बहुत ही निराशाजनक है तथा पहले के आए हुए माल काफी कट चुके हैं। यूपी एमपी में इस बार सर्दी कम होने से यील्ड बहुत ही कम निकला है। किसान मंदे भाव देखकर दूसरी फसलें अधिक बिजाई किये थे। सब्जियों में आलू टमाटर गोभी एवं हरी मिर्च की खेती ज्यादा किसानों ने किया था। इसका प्रभाव सफेद मटर के उत्पादन पर प्रतिकूल पड़ा था। बिजाई के समय से फरवरी तक सफेद मटर के लिए मौसम प्रतिकूल रहा है। जिस कारण ललितपुर झांसी लाइन के साथ-साथ किसी भी मंडी में इस बार सीजन पर भी माल का प्रेशर नहीं बन पाया है।  यहां मई के अंतिम सप्ताह में  बिना छनी हुई 41 रुपए कच्चे माल का व्यापार हो गया था, लेकिन शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ते ही लुढक़ कर इसके भाव 38 रह गए हैं। छोटे कारोबारी, जो तेजी मंदी के लिए व्यापार कर रहे थे, उनका माल पूरी तरह कट चुका है। विदेशों से अब तक 22-23 लाख मीट्रिक टन मटर आ चुकी है, जिसमें 18-19 लाख मीट्रिक टन खप चुकी है। अत: अगले एक माह के अंतराल और मंदा नहीं लग रहा है।

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शुल्क मुक्त आयात आगे एक्सटेंड होने से मटर में मंदा

 देश में सफेद मटर की खेती केवल सब्जियों के लिए किसानों ने किया था, सूखी मटर का उत्पादन केवल 10-12 प्रतिशत मुश्किल से रह गया है। दूसरी ओर  आयातक बंदरगाहों पर स्टाक के माल की बिकवाली 75-80 प्रतिशत औने-पौने भाव में कर चुके थे, इसे देखकर सरकार द्वारा शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दी गई है, जिसके चलते एक बार फिर मंदे का दलदल बन गया है तथा अब कारोबारी मटर का खेल समाप्त समझ रहे हैं इसका प्रभाव उड़द मूंग तुवर मसूर चना सभी दलहनों पर मंदे के रूप में पड़ा है। चालू सीजन में मटर की बिजाई तो अधिक की गई थी, लेकिन 80 प्रतिशत सब्जियों में फली बिक जाने से तैयार मटर का उत्पादन केवल 10-15 प्रतिशत ही मंडियों में आया  है। हम मानते हैं कि कनाडा में पुराना माल अभी बचा है, लेकिन भारत के अलावा अन्य देशों की भी मांग चलने से वहां 15-20 डॉलर प्रति टन हाजिर शिपमेंट के भाव बढ़ाकर बोलने लगे थे। इन हालातों को देखकर सरकार द्वारा शुल्क मुक्त आयात की अवधि 31 मई से बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दिया गया, जिससे जो मटर पोर्ट पर 36 रुपए प्रति किलो बिक रही थी, उसके भाव पुन: टूटकर 33.50 रुपए पर आ गए हैं। यहां भी जो मटर 41 रुपए बिक रही थी, उसके भाव 38 रुपए बोलने लगे हैं तथा छनी हुई 39 रुपए तक कारोबारी बोल रहे हैं। गौरतलब है कि मटर घरेलू उत्पादन कम होने तथा हाल ही में कनाडा में भाव बढ़ जाने से आयात पड़ता ज्यादा सस्ता नहीं लग रहा है, लेकिन वहां अगली फसल के लिए बिजाई बढ़ जाएगी। दूसरी ओर घरेलू उत्पादन बहुत ही कम रह जाने से इसमें मंदा रुकने आसार दिखाई देने लगे हैं। अत: इसमें फिर घबराने की जरूरत नहीं है। घरेलू उत्पादन बहुत ही निराशाजनक है तथा पहले के आए हुए माल काफी कट चुके हैं। यूपी एमपी में इस बार सर्दी कम होने से यील्ड बहुत ही कम निकला है। किसान मंदे भाव देखकर दूसरी फसलें अधिक बिजाई किये थे। सब्जियों में आलू टमाटर गोभी एवं हरी मिर्च की खेती ज्यादा किसानों ने किया था। इसका प्रभाव सफेद मटर के उत्पादन पर प्रतिकूल पड़ा था। बिजाई के समय से फरवरी तक सफेद मटर के लिए मौसम प्रतिकूल रहा है। जिस कारण ललितपुर झांसी लाइन के साथ-साथ किसी भी मंडी में इस बार सीजन पर भी माल का प्रेशर नहीं बन पाया है।  यहां मई के अंतिम सप्ताह में  बिना छनी हुई 41 रुपए कच्चे माल का व्यापार हो गया था, लेकिन शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ते ही लुढक़ कर इसके भाव 38 रह गए हैं। छोटे कारोबारी, जो तेजी मंदी के लिए व्यापार कर रहे थे, उनका माल पूरी तरह कट चुका है। विदेशों से अब तक 22-23 लाख मीट्रिक टन मटर आ चुकी है, जिसमें 18-19 लाख मीट्रिक टन खप चुकी है। अत: अगले एक माह के अंतराल और मंदा नहीं लग रहा है।


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