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07-06-2025

कालीमिर्च : सुस्ती जारी रह सकती है

  •  केरल और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून पहुंच चुका है। इसके आगमन के बाद से अभी तक इन राज्यों में अच्छी वर्षा भी हई है। अत: आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च में सुस्ती बनी रह सकती है। केरल और कर्नाटक देश में कालीमिर्च के अग्रणी उत्पादक राज्य हैं। इन दोनों राज्यों में इस बार मानसून का आगमन सामान्य से कई दिन पहले ही हो गया था। इतना ही नहीं, इसके बाद से वहां अच्छी वर्षा भी होने की खबरें आ रही हैं। इससे आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। बहरहाल, इससे पूर्व कर्नाटक में कालीमिर्च की नई फसल की अच्छी आवक हो रही थी। हालांकि इससे पूर्व चालू सीजन के दौरान केरल के बाद कर्नाटक में भी कालीमिर्च की नई फसल करीब 50 प्रतिशत ही आने का अनुमान व्यक्त किया गया था। केरल में भी कालीमिर्च का उत्पादन करीब 20-25 प्रतिशत कमजोर आने के अनुमान व्यक्त किए जा रहे थे। केरल में करीब चार-साढ़े चार महीनों पहले से ही कालीमिर्च की नई फसल की आवक का श्रीगणेश हो गया था। इसके बाद करीब एक महीने से कर्नाटक में भी मरकरा कालीमिर्च की फसल मंडिय़ों में आ रही है। अब जाकर इसकी आवक बढऩे लगी है। इतना ही नहीं, इस बार इसका पूरा दबाव बनने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है क्योंकि फसल करीब आधी ही आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वैसे बाजारों में ऐसी चर्चा चल रही है कि सौंठ और कालीमिर्च के निर्यातक, स्टॉकिस्ट इसके स्टॉक में कूद गए हैं। केरल में इसकी कीमत करीब 570-580 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास खुली थी। बहरहाल, आपूर्ति कमजोर बनी होने की वजह से घरेलू बाजारों में हाल ही में इस प्रमुख किराना जिंस में तेजी भी आई है। दूसरी ओर, हाल ही के वर्षों में केरल में कालीमिर्च के व्यापार में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। राज्य के कालीमिर्च किसान सीधे ही खपतकर्ता राज्यों को इस प्रमुख किराना जिंस की आपूर्ति कर रहे हैं। राज्य की कोच्चि समेत अन्य बड़ी मंडिय़ों में इसकी आवक नगण्य ही बनी हुई है। हालांकि केरल के ग्रामीण तथा देहाती क्षेत्रों में न केवल नई फसल ही आ रही है बल्कि अन्य खपतकार राज्यों के लिए किसानों द्वारा वहीं से इसकी आपूर्ति के सौदे भी किए जा रहे हैं। बीते कुछ समय से केरल की कोच्चि समेत अन्य प्रमुख मंडिय़ों में कालीमिर्च का थोक व्यापार सुस्त बना हुआ है। आवक भी नीची बताई जा रही है। पूर्व में रहे विपरीत मौसम और इसकी वजह से कर्नाटक और केरल जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से कालीमिर्च की आपूर्ति सामान्य से तंग बनी हुई थी। आपूर्ति और उपलब्धता सामान्य से तंग होने और लिवाली बढऩे यहां स्थित थोक किराना बाजार में कालीमिर्च मरकरा 720-730 रुपए प्रति किलोग्राम का निचला स्तर छूने के बाद हाल ही में 10 रुपए बढक़र फिलहाल 730/740 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। इससे पूर्व इसमें 10-15 रुपए की मंदी आई थी। कोच्चि में इसकी कीमत हाल ही में थोड़ी बढक़र 670/685 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 25-40 रुपए की तेजी आई थी। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में देश से कुल 950.10 करोड़ रुपए कीमत की 19,055.13 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 16,125.92 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 664.25 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च सुस्त ही बनी रह सकती है।

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कालीमिर्च : सुस्ती जारी रह सकती है

 केरल और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून पहुंच चुका है। इसके आगमन के बाद से अभी तक इन राज्यों में अच्छी वर्षा भी हई है। अत: आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च में सुस्ती बनी रह सकती है। केरल और कर्नाटक देश में कालीमिर्च के अग्रणी उत्पादक राज्य हैं। इन दोनों राज्यों में इस बार मानसून का आगमन सामान्य से कई दिन पहले ही हो गया था। इतना ही नहीं, इसके बाद से वहां अच्छी वर्षा भी होने की खबरें आ रही हैं। इससे आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। बहरहाल, इससे पूर्व कर्नाटक में कालीमिर्च की नई फसल की अच्छी आवक हो रही थी। हालांकि इससे पूर्व चालू सीजन के दौरान केरल के बाद कर्नाटक में भी कालीमिर्च की नई फसल करीब 50 प्रतिशत ही आने का अनुमान व्यक्त किया गया था। केरल में भी कालीमिर्च का उत्पादन करीब 20-25 प्रतिशत कमजोर आने के अनुमान व्यक्त किए जा रहे थे। केरल में करीब चार-साढ़े चार महीनों पहले से ही कालीमिर्च की नई फसल की आवक का श्रीगणेश हो गया था। इसके बाद करीब एक महीने से कर्नाटक में भी मरकरा कालीमिर्च की फसल मंडिय़ों में आ रही है। अब जाकर इसकी आवक बढऩे लगी है। इतना ही नहीं, इस बार इसका पूरा दबाव बनने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है क्योंकि फसल करीब आधी ही आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वैसे बाजारों में ऐसी चर्चा चल रही है कि सौंठ और कालीमिर्च के निर्यातक, स्टॉकिस्ट इसके स्टॉक में कूद गए हैं। केरल में इसकी कीमत करीब 570-580 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास खुली थी। बहरहाल, आपूर्ति कमजोर बनी होने की वजह से घरेलू बाजारों में हाल ही में इस प्रमुख किराना जिंस में तेजी भी आई है। दूसरी ओर, हाल ही के वर्षों में केरल में कालीमिर्च के व्यापार में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। राज्य के कालीमिर्च किसान सीधे ही खपतकर्ता राज्यों को इस प्रमुख किराना जिंस की आपूर्ति कर रहे हैं। राज्य की कोच्चि समेत अन्य बड़ी मंडिय़ों में इसकी आवक नगण्य ही बनी हुई है। हालांकि केरल के ग्रामीण तथा देहाती क्षेत्रों में न केवल नई फसल ही आ रही है बल्कि अन्य खपतकार राज्यों के लिए किसानों द्वारा वहीं से इसकी आपूर्ति के सौदे भी किए जा रहे हैं। बीते कुछ समय से केरल की कोच्चि समेत अन्य प्रमुख मंडिय़ों में कालीमिर्च का थोक व्यापार सुस्त बना हुआ है। आवक भी नीची बताई जा रही है। पूर्व में रहे विपरीत मौसम और इसकी वजह से कर्नाटक और केरल जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से कालीमिर्च की आपूर्ति सामान्य से तंग बनी हुई थी। आपूर्ति और उपलब्धता सामान्य से तंग होने और लिवाली बढऩे यहां स्थित थोक किराना बाजार में कालीमिर्च मरकरा 720-730 रुपए प्रति किलोग्राम का निचला स्तर छूने के बाद हाल ही में 10 रुपए बढक़र फिलहाल 730/740 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। इससे पूर्व इसमें 10-15 रुपए की मंदी आई थी। कोच्चि में इसकी कीमत हाल ही में थोड़ी बढक़र 670/685 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 25-40 रुपए की तेजी आई थी। मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में देश से कुल 950.10 करोड़ रुपए कीमत की 19,055.13 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में इसकी 16,125.92 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 664.25 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में हाजिर में कालीमिर्च सुस्त ही बनी रह सकती है।


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