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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

20-06-2025

उत्पादक मंडियों में मखाने की कमी से 200 की और तेजी संभव

  •  मखाने का उत्पादन कम होने एवं विश्व स्तरीय खपत बढऩे से उत्पादक मंडियों में शॉर्टेज की स्थिति बनने लगी है, जबकि असली खपत अगले साढ़े तीन महीने तक रहने वाली है, इस वजह से उत्पादक मंडियों के कारोबारी बिकवाल नहीं हैं। फलत: वहां 2 दिनों के अंतराल 50/60 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है तथा रुक-रुक कर इसमें 200 रुपए और बढऩे के आसार बन गए हैं। मखाने का उत्पादन चालू सीजन में कम रहा है। दूसरी ओर पुराना स्टॉक नये माल आने पर समाप्त हो गया था, जिससे शुरू से ही बाजार तेज ही चल रहा है तथा रुक-रुक कर तेजी बनी हुई है। होली नवरात्रि के समय में बाजार में करेक्शन आया था, वह जिससे एक बार मखाना कारोबारियों का मनोबल टूट गया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि मखाना उत्पादक सभी मंडियों में माल की कमी बनी हुई है तथा उत्तर भारत के कारोबारियों को यह अंदेशा था कि ग्राहकी कम होने से उत्पादक मंडियों में बाजार घटे जाएगा, लेकिन इसके विपरीत बाजार उत्पादक मंडियों में ज्यादा बढ़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि बिहार बंगाल की मंडियों से ही  हरियाणा राजस्थान पंजाब हिमाचल यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी सीधे माल खपत वाले केंद्रों पर जाने से दिल्ली में उस अनुपात में ग्राहकी नहीं रही है। यही कारण है कि गत 2 दिनों के अंतराल 50/60 रुपए बढक़र गेरावाड़ी 1050/1060 रुपए पूर्णिया 1030/1050 रुपए, हरिशचंद्रपुर 1100/1120 तथा हरदा मंडी में 1150 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंचा है। नई फसल अगस्त में आएगी, उससे पहले अधिक जबरदस्त है, जिसमें मखाने की खपत पूरी कर पाना मुश्किल हो जाएगा। उस अनुपात में बिहार बंगाल के किसी मंडी में माल नहीं है, इन परिस्थितियों में मखाना नयी फसल आने से पहले 150/200 रुपए प्रति किलो और बढ़ सकता है। इस बार दिल्ली मंडी में अन्य मंडियों की अपेक्षा व्यापार कमजोर चल रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि जो व्यापार वाया दिल्ली होता था, वह सीधे उत्पादक मंडियों से खपत व वितरक वाली मंडियों में जाने लगा है, जिससे यहां भाव कम बढ़ रहे हैं, जबकि उत्पादक मंडियों में 75/100 रुपए तक 2-3 दिन के अंतराल तेजी आ गई है। अभी खपत के लिए लंबा समय बाकी है तथा 1 से 6 जुलाई तक शादियां हैं।, जिसमें मखाने की खपत प्रचुर मात्रा में होने वाली है तथा स्नैक्स कंपनियां अधिक खरीद रही है तथा सबके खरीद पॉइंट गुलाब बाग दरभंगा पूर्णिया गेराबाड़ी उत्तर दिनाजपुर दालखोला मालदा आदि मंडियों में बन चुका है। इस वजह से आज की तारीख में दिल्ली में व्यापार कम से कम सौ-डेढ़ सौ रुपए में हो रहा है यहां भाव नीचे हैं इन परिस्थितियों को देखते हुए अगले 5-7 दिनों में जैसे ही दिल्ली जयपुर अमृतसर लुधियाना लखनऊ कानपुर ग्वालियर सहारनपुर लाइन में स्टाक घटेगा, वैसे ही बाजार बढऩे लगेगा तथा अच्छी तेजी के आसार हैं। उत्पादक मंडियों में भाव एवं स्टॉक को देखते हुए मखाने में 200 रुपए तक की तेजी दिखाई दे रही है।

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उत्पादक मंडियों में मखाने की कमी से 200 की और तेजी संभव

 मखाने का उत्पादन कम होने एवं विश्व स्तरीय खपत बढऩे से उत्पादक मंडियों में शॉर्टेज की स्थिति बनने लगी है, जबकि असली खपत अगले साढ़े तीन महीने तक रहने वाली है, इस वजह से उत्पादक मंडियों के कारोबारी बिकवाल नहीं हैं। फलत: वहां 2 दिनों के अंतराल 50/60 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है तथा रुक-रुक कर इसमें 200 रुपए और बढऩे के आसार बन गए हैं। मखाने का उत्पादन चालू सीजन में कम रहा है। दूसरी ओर पुराना स्टॉक नये माल आने पर समाप्त हो गया था, जिससे शुरू से ही बाजार तेज ही चल रहा है तथा रुक-रुक कर तेजी बनी हुई है। होली नवरात्रि के समय में बाजार में करेक्शन आया था, वह जिससे एक बार मखाना कारोबारियों का मनोबल टूट गया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि मखाना उत्पादक सभी मंडियों में माल की कमी बनी हुई है तथा उत्तर भारत के कारोबारियों को यह अंदेशा था कि ग्राहकी कम होने से उत्पादक मंडियों में बाजार घटे जाएगा, लेकिन इसके विपरीत बाजार उत्पादक मंडियों में ज्यादा बढ़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि बिहार बंगाल की मंडियों से ही  हरियाणा राजस्थान पंजाब हिमाचल यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी सीधे माल खपत वाले केंद्रों पर जाने से दिल्ली में उस अनुपात में ग्राहकी नहीं रही है। यही कारण है कि गत 2 दिनों के अंतराल 50/60 रुपए बढक़र गेरावाड़ी 1050/1060 रुपए पूर्णिया 1030/1050 रुपए, हरिशचंद्रपुर 1100/1120 तथा हरदा मंडी में 1150 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंचा है। नई फसल अगस्त में आएगी, उससे पहले अधिक जबरदस्त है, जिसमें मखाने की खपत पूरी कर पाना मुश्किल हो जाएगा। उस अनुपात में बिहार बंगाल के किसी मंडी में माल नहीं है, इन परिस्थितियों में मखाना नयी फसल आने से पहले 150/200 रुपए प्रति किलो और बढ़ सकता है। इस बार दिल्ली मंडी में अन्य मंडियों की अपेक्षा व्यापार कमजोर चल रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि जो व्यापार वाया दिल्ली होता था, वह सीधे उत्पादक मंडियों से खपत व वितरक वाली मंडियों में जाने लगा है, जिससे यहां भाव कम बढ़ रहे हैं, जबकि उत्पादक मंडियों में 75/100 रुपए तक 2-3 दिन के अंतराल तेजी आ गई है। अभी खपत के लिए लंबा समय बाकी है तथा 1 से 6 जुलाई तक शादियां हैं।, जिसमें मखाने की खपत प्रचुर मात्रा में होने वाली है तथा स्नैक्स कंपनियां अधिक खरीद रही है तथा सबके खरीद पॉइंट गुलाब बाग दरभंगा पूर्णिया गेराबाड़ी उत्तर दिनाजपुर दालखोला मालदा आदि मंडियों में बन चुका है। इस वजह से आज की तारीख में दिल्ली में व्यापार कम से कम सौ-डेढ़ सौ रुपए में हो रहा है यहां भाव नीचे हैं इन परिस्थितियों को देखते हुए अगले 5-7 दिनों में जैसे ही दिल्ली जयपुर अमृतसर लुधियाना लखनऊ कानपुर ग्वालियर सहारनपुर लाइन में स्टाक घटेगा, वैसे ही बाजार बढऩे लगेगा तथा अच्छी तेजी के आसार हैं। उत्पादक मंडियों में भाव एवं स्टॉक को देखते हुए मखाने में 200 रुपए तक की तेजी दिखाई दे रही है।


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