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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

07-06-2025

बाजरा : यहां से तेजी की उम्मीद

  •  बाजरे की नई फसल सितंबर-अक्टूबर में आकर स्टॉक एवं खपत वाले उद्योगों में अब धीरे-धीरे शॉर्टेज में आने लगा है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है। कारोबारी पहले ही, सरकार द्वारा बिकवाली किए जाने से माल काट चुके हैं, इसलिए मंडियों में माल बहुत काम बचा है। अभी खपत के लिए 4 माह का समय बाकी है। यही कारण है कि गत 10-15 दिन के अंतराल मंदा पूरी तरह से रुक गया है तथा अगले एक माह में 100 रुपए  बढ़ जाएगा। बाजरे की फसल पिछले 8 महीने से आ रही है तथा सरकारी गैर सरकारी माल काफी कट चुकी हैं, इसका मुख्य उत्पादन राजस्थान यूपी एवं हरियाणा के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। उसके अलावा पश्चिमी बिहार एवं मध्य प्रदेश में भी बाजरे की फसल आती है। इस बार बाजरे की बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना बाजरा पाइप लाइन में नहीं होने से जो माल आता गया, वह 15-20 दिनों तक खलिहानों से ही बिकता रहा है, बीच-बीच में सरकार द्वारा स्टॉक के माल टेंडर द्वारा देश की मंडियों में टेंडर द्वारा बेचा गया था, लेकिन अब माल टेंडर में भी संभवत: बिकने वाले नहीं हैं। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांट वाले भी एक बार फिर लिवाली में आ गए। सीजन के शुरू में भी अच्छी लिवाली रही, जिससे मंडियों में स्टॉक इस बार ज्यादा नहीं हो पाया है। हम मानते हैं कि जनवरी के बाद से सरकार द्वारा इथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपए प्रति कुंतल के भाव में 24 लाख टन एवं कुछ दिन पहले फिर से 28 लाख टन चावल बेचने की घोषणा की गई है, इसका प्रभाव जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है, जिससे घटने की गुंजाइश नहीं है। नई फसल आने में अभी चार-पांच महीने का समय बाकी है। अत:आज के भाव में व्यापार आगे चलकर कुछ दिन बाद ही 100 रुपए का लाभ दे जाएगा। इस बार इसका उत्पादन 170-175 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन खाद्यान्नों में इसकी खपत कुल उत्पादन का 27 प्रतिशत अधिक हो गयी है। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांटों के पास माल कम बचा है। एथेनॉल कंपनियों का प्रभाव चावल के चलते जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। अब बाजरा, इटावा औरैया कासगंज छर्रा एटा मैनपुरी लाइन में नीचे में  2200/2210 रुपए तथा राजस्थान के भीलवाड़ा दुर्ग शेखावाटी मरुधर लाइन में इसके भाव 2250/2260 रुपए प्रति क्विंटल पर आकर ठहर गए हैं। इधर मौली बरवाला पहुंच में बाजरे की मांग सूखे माल के 2400/2430 रुपए प्रति क्विंटल तक होने लगी है, जबकि बढिय़ा सूखे बाजरा 2450 रुपए तक भी बिकने के समाचार मिल रहे हैं, इन भावों में माल प्रचुर मात्रा में नहीं मिल रहा है। इसकी नई फसल आए 8 महीने हो चुके हैं तथा सितंबर से पहले अब कोई बाजरा आने वाला नहीं है, साठी बाजरा आगरा मथुरा लाइन में चालू माह में आता है, लेकिन उसकी बिजाई भी कम हुई है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव  100/125 रुपए की तेजी लग रही है।

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बाजरा : यहां से तेजी की उम्मीद

 बाजरे की नई फसल सितंबर-अक्टूबर में आकर स्टॉक एवं खपत वाले उद्योगों में अब धीरे-धीरे शॉर्टेज में आने लगा है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है। कारोबारी पहले ही, सरकार द्वारा बिकवाली किए जाने से माल काट चुके हैं, इसलिए मंडियों में माल बहुत काम बचा है। अभी खपत के लिए 4 माह का समय बाकी है। यही कारण है कि गत 10-15 दिन के अंतराल मंदा पूरी तरह से रुक गया है तथा अगले एक माह में 100 रुपए  बढ़ जाएगा। बाजरे की फसल पिछले 8 महीने से आ रही है तथा सरकारी गैर सरकारी माल काफी कट चुकी हैं, इसका मुख्य उत्पादन राजस्थान यूपी एवं हरियाणा के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। उसके अलावा पश्चिमी बिहार एवं मध्य प्रदेश में भी बाजरे की फसल आती है। इस बार बाजरे की बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना बाजरा पाइप लाइन में नहीं होने से जो माल आता गया, वह 15-20 दिनों तक खलिहानों से ही बिकता रहा है, बीच-बीच में सरकार द्वारा स्टॉक के माल टेंडर द्वारा देश की मंडियों में टेंडर द्वारा बेचा गया था, लेकिन अब माल टेंडर में भी संभवत: बिकने वाले नहीं हैं। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांट वाले भी एक बार फिर लिवाली में आ गए। सीजन के शुरू में भी अच्छी लिवाली रही, जिससे मंडियों में स्टॉक इस बार ज्यादा नहीं हो पाया है। हम मानते हैं कि जनवरी के बाद से सरकार द्वारा इथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपए प्रति कुंतल के भाव में 24 लाख टन एवं कुछ दिन पहले फिर से 28 लाख टन चावल बेचने की घोषणा की गई है, इसका प्रभाव जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है, जिससे घटने की गुंजाइश नहीं है। नई फसल आने में अभी चार-पांच महीने का समय बाकी है। अत:आज के भाव में व्यापार आगे चलकर कुछ दिन बाद ही 100 रुपए का लाभ दे जाएगा। इस बार इसका उत्पादन 170-175 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन खाद्यान्नों में इसकी खपत कुल उत्पादन का 27 प्रतिशत अधिक हो गयी है। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांटों के पास माल कम बचा है। एथेनॉल कंपनियों का प्रभाव चावल के चलते जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। अब बाजरा, इटावा औरैया कासगंज छर्रा एटा मैनपुरी लाइन में नीचे में  2200/2210 रुपए तथा राजस्थान के भीलवाड़ा दुर्ग शेखावाटी मरुधर लाइन में इसके भाव 2250/2260 रुपए प्रति क्विंटल पर आकर ठहर गए हैं। इधर मौली बरवाला पहुंच में बाजरे की मांग सूखे माल के 2400/2430 रुपए प्रति क्विंटल तक होने लगी है, जबकि बढिय़ा सूखे बाजरा 2450 रुपए तक भी बिकने के समाचार मिल रहे हैं, इन भावों में माल प्रचुर मात्रा में नहीं मिल रहा है। इसकी नई फसल आए 8 महीने हो चुके हैं तथा सितंबर से पहले अब कोई बाजरा आने वाला नहीं है, साठी बाजरा आगरा मथुरा लाइन में चालू माह में आता है, लेकिन उसकी बिजाई भी कम हुई है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव  100/125 रुपए की तेजी लग रही है।


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