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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

17-06-2025

गर्मी की फसल कम से बाजरे में तेजी की उम्मीद

  •  गर्मी वाले बाजरे की फसल पश्चिमी यूपी में प्रत्यक्षदर्शी कम बता रहे हैं, इसे देखते हुए भविष्य में मुख्य फसल आने से पहले बाजरे में तेजी की संभावना दिखाई दे रही है।बाजरा खरीफ सीजन का स्टॉक कम है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है। वर्तमान में बाजरे की फसल राया मथुरा भरतपुर आगरा लाइन में तैयार खड़ी है, वहां कटाई एवं आवक भी शुरू हो गई है। नया ग्रीन बाजरा 2250/2350 रुपए प्रति क्विंटल नमी के हिसाब से मंडियों में बिक रहा है तथा गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27-28 प्रतिशत आवक कम हो रही है। किसानों द्वारा बिजाई भी कम किया गया था, क्योंकि पानी की कीमत से उत्पादन लागत महंगी हो गई है, इन परिस्थितियों में पुराने बाजरे की कदर बढऩे लगी है। खरीफ की फसल पिछल 8 महीने से आ रही है तथा सरकारी गैर सरकारी माल काफी कट चुकी हैं। इसका मुख्य उत्पादन खरीफ सीजन का राजस्थान यूपी एवं हरियाणा में होता है। उसके अलावा पश्चिमी बिहार एवं मध्य प्रदेश में भी बाजरे की फसल आती है। बीते सीजन में बाजरे की बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना बाजरा पाइप लाइन में नहीं होने से जो माल आता गया,  वह हाथों-हाथ बिकता गया। हालांकि बीच-बीच में सरकार द्वारा स्टॉक के माल टेंडर द्वारा देश की मंडियों में बेचा गया था, लेकिन अब माल टेंडर में भी संभवत: बिकने वाले नहीं हैं। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांट वाले भी एक बार फिर लिवाली में आ गए। सीजन के शुरू में भी अच्छी लिवाली रही, जिससे मंडियों में स्टॉक इस बार ज्यादा नहीं हो पाया है। हम मानते हैं कि जनवरी के बाद से सरकार द्वारा इथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपए प्रति कुंतल के भाव में 24 लाख टन एवं कुछ दिन पहले फिर से 28 लाख टन चावल बेचने की घोषणा की गई है, इसका प्रभाव जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। नई फसल आने में अभी चार-पांच महीने का समय बाकी है। अत: आज के भाव में व्यापार आगे चलकर कुछ दिन बाद ही 100 रुपए का लाभ दे जाएगा। इस बार इसका उत्पादन 170-175 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन खाद्यान्नों में इसकी खपत कुल उत्पादन का 27 प्रतिशत अधिक हो गयी है। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांटों के पास माल कम बचा है। एथेनॉल कंपनियों का प्रभाव चावल के चलते जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। अब बाजरा, इटावा औरैया कासगंज छर्रा एटा मैनपुरी लाइन में नीचे में  2240/2250 रुपए तथा राजस्थान के भीलवाड़ा दुर्ग शेखावाटी मरुधर लाइन में इसके भाव 2260/2270 रुपए प्रति क्विंटल पर आकर ठहर गए हैं। इधर मौली बरवाला पहुंच में बाजरे की मांग सूखे माल के 2400/2450 रुपए प्रति क्विंटल तक होने लगी है, इन भावों में माल प्रचुर मात्रा में नहीं मिल रहा है। इसकी नई फसल आए 8 महीने हो चुके हैं तथा सितंबर से पहले अब कोई बाजरा आने वाला नहीं है, साठी बाजरा आगरा मथुरा लाइन में आ रहा है, लेकिन उसकी बिजाई भी कम हुई है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव  100/125 रुपए की तेजी लग रही है।

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गर्मी की फसल कम से बाजरे में तेजी की उम्मीद

 गर्मी वाले बाजरे की फसल पश्चिमी यूपी में प्रत्यक्षदर्शी कम बता रहे हैं, इसे देखते हुए भविष्य में मुख्य फसल आने से पहले बाजरे में तेजी की संभावना दिखाई दे रही है।बाजरा खरीफ सीजन का स्टॉक कम है, क्योंकि उत्पादक मंडियों में आवक पूरी तरह समाप्त हो गई है। वर्तमान में बाजरे की फसल राया मथुरा भरतपुर आगरा लाइन में तैयार खड़ी है, वहां कटाई एवं आवक भी शुरू हो गई है। नया ग्रीन बाजरा 2250/2350 रुपए प्रति क्विंटल नमी के हिसाब से मंडियों में बिक रहा है तथा गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27-28 प्रतिशत आवक कम हो रही है। किसानों द्वारा बिजाई भी कम किया गया था, क्योंकि पानी की कीमत से उत्पादन लागत महंगी हो गई है, इन परिस्थितियों में पुराने बाजरे की कदर बढऩे लगी है। खरीफ की फसल पिछल 8 महीने से आ रही है तथा सरकारी गैर सरकारी माल काफी कट चुकी हैं। इसका मुख्य उत्पादन खरीफ सीजन का राजस्थान यूपी एवं हरियाणा में होता है। उसके अलावा पश्चिमी बिहार एवं मध्य प्रदेश में भी बाजरे की फसल आती है। बीते सीजन में बाजरे की बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पुराना बाजरा पाइप लाइन में नहीं होने से जो माल आता गया,  वह हाथों-हाथ बिकता गया। हालांकि बीच-बीच में सरकार द्वारा स्टॉक के माल टेंडर द्वारा देश की मंडियों में बेचा गया था, लेकिन अब माल टेंडर में भी संभवत: बिकने वाले नहीं हैं। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांट वाले भी एक बार फिर लिवाली में आ गए। सीजन के शुरू में भी अच्छी लिवाली रही, जिससे मंडियों में स्टॉक इस बार ज्यादा नहीं हो पाया है। हम मानते हैं कि जनवरी के बाद से सरकार द्वारा इथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपए प्रति कुंतल के भाव में 24 लाख टन एवं कुछ दिन पहले फिर से 28 लाख टन चावल बेचने की घोषणा की गई है, इसका प्रभाव जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। नई फसल आने में अभी चार-पांच महीने का समय बाकी है। अत: आज के भाव में व्यापार आगे चलकर कुछ दिन बाद ही 100 रुपए का लाभ दे जाएगा। इस बार इसका उत्पादन 170-175 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन खाद्यान्नों में इसकी खपत कुल उत्पादन का 27 प्रतिशत अधिक हो गयी है। दूसरी ओर डिस्टिलरी प्लांटों के पास माल कम बचा है। एथेनॉल कंपनियों का प्रभाव चावल के चलते जितना पडऩा था, वह पड़ चुका है। अब बाजरा, इटावा औरैया कासगंज छर्रा एटा मैनपुरी लाइन में नीचे में  2240/2250 रुपए तथा राजस्थान के भीलवाड़ा दुर्ग शेखावाटी मरुधर लाइन में इसके भाव 2260/2270 रुपए प्रति क्विंटल पर आकर ठहर गए हैं। इधर मौली बरवाला पहुंच में बाजरे की मांग सूखे माल के 2400/2450 रुपए प्रति क्विंटल तक होने लगी है, इन भावों में माल प्रचुर मात्रा में नहीं मिल रहा है। इसकी नई फसल आए 8 महीने हो चुके हैं तथा सितंबर से पहले अब कोई बाजरा आने वाला नहीं है, साठी बाजरा आगरा मथुरा लाइन में आ रहा है, लेकिन उसकी बिजाई भी कम हुई है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव  100/125 रुपए की तेजी लग रही है।


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