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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

12-08-2025

उत्पादन अधिक होने एवं हल्के माल ज्यादा आने से मूंग के भाव में और तेजी नहीं

  •  मूंग की गर्मी वाली फसल इस समय एमपी यूपी झारखंड एवं बिहार की चल रही है तथा हल्के भारी माल 5900/7600 रुपए प्रति कुंतल के बीच चल रहे हैं। बढिय़ा माल की कमी जरूर है, जिससे उसमें 200/300 रुपए की चाल आ सकती है, लेकिन हल्के माल लंबी तेजी आने नहीं देंगे, बढिय़ा मूंग में भी बढ़े हुए भाव पर माल बेचना चाहिए। मूंग की फसल रबी एवं खरीफ दोनों ही सीजन में आती है। गर्मी वाली मूंग यूपी के कानपुर प्रयागराज, बिहार-झारखंड के पलामू डाल्टनगंज नगर उटारी गया जहानाबाद नवादा एवं एमपी के खरगोन होशंगाबाद जबलपुर लाइन की आ रही है। फसल चारों तरफ क्वांटिटी में अधिक आई है, लेकिन मानसून इस बार समय से आ जाने से मूंग दागी हो गई है तथा बढिय़ा माल की कमी बनी गयी है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में एवरेज एवं हल्के माल की लिवाली कम करनी चाहिए, बढिय़ा माल की शॉर्टेज जरूर बनी हुई है, इसलिए उसमें कमी की संभावना दिखाई दे रही है। खरीफ एवं रबी सीजन को मिलाकर 49-50 लाख मीट्रिक टन फसल आई थी। वर्ष 2025 की खरीफ सीजन की फसल सितंबर के अंत एवं अक्टूबर माह में आने लगेगी, जो महाराष्ट्र के अकोला जलगांव औरंगाबाद परभणी एवं राजस्थान के दौसा डीडवाना केकड़ी किशनगढ़ शेखावटी मेड़ता आदि उत्पादक क्षेत्रों में बहुत बढिय़ा बोई गई है, कर्नाटक में भी बिजाई अधिक होने के समाचार मिल रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शी तो बिजाई दोगुना बता रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत सर्वे एवं पूछताछ के आधार पर 38-40 प्रतिशत मौसम अनुकूल रहा तो फसल अधिक मूंग की खरीफ सीजन में आएगी। हम मानते हैं कि मध्य प्रदेश में सरकार, न्यूनतम समर्थन मूल्य 8768 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में कुछ खरीद की है, लेकिन प्रचुर मात्रा में खरीद होने की खबर नहीं मिल रही है। सरकार मध्य प्रदेश में काफी माल खरीदने के पक्ष में थी, लेकिन उत्पादन के अनुकूल खरीद मुश्किल लग रही है, क्योंकि सरकार इतने ऊंचे भाव में मूंग की खरीद कर लेती है, जबकि मंडियों में मूंग 20/25 रुपए प्रति किलो सस्ती बिक रही है तथा यही मूंग सरकार खरीद कर मंदे भाव में ऑफ सीजन में बेचने लगती है। उससे दो नुकसान होता है- पहला कि व्यापारी अपने अनुरूप ट्रेडिंग के लिए ऊंचे भाव होने से खरीद नहीं पाते हैं। दूसरी ओर जब माल बेचना होता है, तो सरकार के मंदे भाव में बड़ी कंपनियों  को नीलामी में बेच दिए जाने से व्यापार चौपट हो जाता है। इस तरह जब सरकार ही व्यापारी बन जाएगी, तो ट्रेडर्स कहां जाएंगे। इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। फिलहाल वर्तमान भाव में तेजी का व्यापार नुकसान दे जाएगा।

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उत्पादन अधिक होने एवं हल्के माल ज्यादा आने से मूंग के भाव में और तेजी नहीं

 मूंग की गर्मी वाली फसल इस समय एमपी यूपी झारखंड एवं बिहार की चल रही है तथा हल्के भारी माल 5900/7600 रुपए प्रति कुंतल के बीच चल रहे हैं। बढिय़ा माल की कमी जरूर है, जिससे उसमें 200/300 रुपए की चाल आ सकती है, लेकिन हल्के माल लंबी तेजी आने नहीं देंगे, बढिय़ा मूंग में भी बढ़े हुए भाव पर माल बेचना चाहिए। मूंग की फसल रबी एवं खरीफ दोनों ही सीजन में आती है। गर्मी वाली मूंग यूपी के कानपुर प्रयागराज, बिहार-झारखंड के पलामू डाल्टनगंज नगर उटारी गया जहानाबाद नवादा एवं एमपी के खरगोन होशंगाबाद जबलपुर लाइन की आ रही है। फसल चारों तरफ क्वांटिटी में अधिक आई है, लेकिन मानसून इस बार समय से आ जाने से मूंग दागी हो गई है तथा बढिय़ा माल की कमी बनी गयी है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में एवरेज एवं हल्के माल की लिवाली कम करनी चाहिए, बढिय़ा माल की शॉर्टेज जरूर बनी हुई है, इसलिए उसमें कमी की संभावना दिखाई दे रही है। खरीफ एवं रबी सीजन को मिलाकर 49-50 लाख मीट्रिक टन फसल आई थी। वर्ष 2025 की खरीफ सीजन की फसल सितंबर के अंत एवं अक्टूबर माह में आने लगेगी, जो महाराष्ट्र के अकोला जलगांव औरंगाबाद परभणी एवं राजस्थान के दौसा डीडवाना केकड़ी किशनगढ़ शेखावटी मेड़ता आदि उत्पादक क्षेत्रों में बहुत बढिय़ा बोई गई है, कर्नाटक में भी बिजाई अधिक होने के समाचार मिल रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शी तो बिजाई दोगुना बता रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत सर्वे एवं पूछताछ के आधार पर 38-40 प्रतिशत मौसम अनुकूल रहा तो फसल अधिक मूंग की खरीफ सीजन में आएगी। हम मानते हैं कि मध्य प्रदेश में सरकार, न्यूनतम समर्थन मूल्य 8768 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में कुछ खरीद की है, लेकिन प्रचुर मात्रा में खरीद होने की खबर नहीं मिल रही है। सरकार मध्य प्रदेश में काफी माल खरीदने के पक्ष में थी, लेकिन उत्पादन के अनुकूल खरीद मुश्किल लग रही है, क्योंकि सरकार इतने ऊंचे भाव में मूंग की खरीद कर लेती है, जबकि मंडियों में मूंग 20/25 रुपए प्रति किलो सस्ती बिक रही है तथा यही मूंग सरकार खरीद कर मंदे भाव में ऑफ सीजन में बेचने लगती है। उससे दो नुकसान होता है- पहला कि व्यापारी अपने अनुरूप ट्रेडिंग के लिए ऊंचे भाव होने से खरीद नहीं पाते हैं। दूसरी ओर जब माल बेचना होता है, तो सरकार के मंदे भाव में बड़ी कंपनियों  को नीलामी में बेच दिए जाने से व्यापार चौपट हो जाता है। इस तरह जब सरकार ही व्यापारी बन जाएगी, तो ट्रेडर्स कहां जाएंगे। इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए। फिलहाल वर्तमान भाव में तेजी का व्यापार नुकसान दे जाएगा।


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