इस बार रंगून में आई हुई फसल 23-24 प्रतिशत अधिक है, वहां भी निर्यातकों के माल ऊंचे भाव के स्टॉक में पड़े हुए हैं। दूसरी ओर घरेलू उत्पादन भी बढऩे की संभावना है, क्योंकि मौसम अनुकूल होने से बिजाई चौतरफा अधिक हो रही है, इन सबके बावजूद भी जुलाई माह के अंतराल नीचे वाले भाव में दाल मिलों की पकड़ मजबूत होने एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से 500 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है। आने वाली फसल को देखते हुए अब यहां से और तेजी नहीं लग रही है। उड़द की बिजाई मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में 18 प्रतिशत अधिक होने की किसानी खबर आ रही है, क्योंकि उड़द के ऊंचे भाव मिलने से बिजाई का मनोबल चौतरफा बढ़ा था। इस बार रंगून में भी उत्पादन अधिक होने से लगातार हाजिर लोडिंग चल रही है, चेन्नई वाले भी आए हुए माल में रिस्क नहीं उठा रहे हैं, कोलकाता में पिछले दिनों उतरे हुए एफ ए क्यू माल दबा हुआ है, इन परिस्थितियों में अभी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए। पिछले महीने नीचे के भाव से 30/35 डॉलर प्रति टन भाव बढ़ गया, क्योंकि वहां निर्यातक लोडिंग करने से पीछे हट गए। दूसरी ओर यहां पाइपलाइन में माल की कमी होने तथा दाल धोया एवं छिलका की चौतरफा मांग सुधरने से 500 रुपए बढक़र एसक्यू 8000 रुपए एवं एफ ए क्यू 7550 रुपए प्रति कुंतल हो गई, लेकिन इस बढ़े हुए भाव में दो दिन से ग्राहकी कमजोरी है, जिससे 100 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा आ गया है। चेन्नई में भी इनके भाव इसी अनुपात में तेज हो गए। रंगून में एसक्यू के भाव 820 से बढक़र 845 डॉलर प्रति टन हो गए हैं। एफ ए क्यू के भाव भी 780-785 डॉलर पहुंच गए हैं। यहां वर्तमान में यहां भाव 7900 रह गए हैं। हालांकि चेन्नई से 50 रुपए प्रति कुंतल यहां व्यापार ऊंचे और भाव में हो रहा है, लेकिन मांग कमजोर होने तथा कोलकाता से मंदे भाव में बिकवाली को देखते हुए उड़द में और तेजी रिस्की लग रही है। उड़द का उत्पादन इस बार 38 लाख मीट्रिक टन से बढक़र 49-50 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान आ रहा है, क्योंकि एमपी की गर्मी वाली फसल भी 25-26 प्रतिशत अधिक आई थी, लातूर उदगीर के साथ-साथ शिवपुरी कटनी जबलपुर लाइन में भी बिजाई अधिक हो रही है। इधर रंगून वाले लगातार घटाकर माल के बेचू आ रहे हैं। अभी गर्मी वाली देसी उड़द स्टॉक में पड़ी हुई है तथा रंगूनी माल भी चेन्नई कोलकाता दिल्ली लगातार उतर रहा है तथा इस महीने बाद दूसरी फसल आ जाएगी। अत: वर्तमान भाव पर माल बेचकर चलना चाहिए। हम मानते हैं कि यूपी के माल स्टाक में कोई नहीं बचा है।, मध्य प्रदेश के पुराने नए माल भी अब धीरे-धीरे काफी खप चुके हैं तथा आयातक माल मंगाने में ज्यादा इंटरेस्टेड नहीं है, इन सब के बावजूद भी रंगून से मंदे भाव में शिपमेंट को देखकर बाजार भविष्य में तेज नहीं लगता है। दाल छिलका एवं धोया की बिक्री यहां दो दिनों से कमजोर है।