गत सप्ताह लिक्विड दूध की आपूर्ति में 5 लाख लीटर की औसतन वृद्धि हुई, लेकिन उससे लिक्विड दूध पॉली पैक की आपूर्ति में कुछ सुगमता हो गई, लेकिन रक्षाबंधन हेतु मिठाईयों के लिए मावा निर्माताओं की मांग से बाजार घट नहीं पाए। उधर घरेलू व निर्यात मांग बढऩे के बावजूद दक्षिण के माल से दूध पाउडर में सुस्ती बनी रही। वहीं देसी ही अंदर रेट बिक रहे हैं, लेकिन कंपनियां अभी घटा नहीं रही है, क्योंकि सभी कंपनियों में फैट की कमी है तथा प्लांट चलने में दो महीने से ऊपर का समय बाकी है। अत: दूध पाउडर एवं देसी घी मंदा नहीं लग रहा है। आलोच्य सप्ताह अधिकतर राज्यों में अच्छी बरसात हो रही से मौसम थोड़ा ठंडा हो गया, इसके प्रभाव से उत्तर भारत की कंपनियों में लिक्विड दूध की आपूर्ति 5 लाख लीटर बढक़र 73-74 लाख लीटर दैनिक उत्तर भारत के प्लांटों में हुई। देसी घी प्रीमियम क्वालिटी के 8700/8950 रुपए प्रति टीन के बीच यहां बिक रहे हैं, जबकि कंपनियां 150/200 रुपए ऊंचे बोल रही हैं। मिलावटी देसी घी 6500/7500 के बीच आरएम वैल्यू के हिसाब से ठिकाना पहुंच में बेच देते हैं। वहीं दक्षिण एवं महाराष्ट्र के दूध पाउडर, दिल्ली एनसीआर में आकर 250/255 रुपए उत्तर भारत की मंडियों में पहुंच में चल रहे हैं। इस वजह से उत्तर भारत की कंपनियों को भी ग्राहकी के अभाव में भाव सुस्ती पर व्यापार करना पड़ रहा है। लिक्विड दूध में रक्षाबंधन एवं श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अनुरूप कमी एवं दूध पाउडर मावा हेतु बिकने से उक्त अवधि में दूध बढक़र 59-60 रुपए प्रति लीटर हो गए। इधर दूध पाउडर भी प्रीमियम क्वालिटी 300/310 रुपए के निम्न स्तर पर टिके हुए हैं तथा इन भावों में भी कोई विशेष व्यापार नहीं हो रहा है। उधर निर्यात मांग पूरी तरह ठंडी पड़ गई है, क्योंकि महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में दूध पाउडर 220/230 रुपए प्रति किलो के बीच चल रहे हैं। जो भारतीय बंदरगाहों से पड़ते में निर्यात हो रहे हैं। उत्तर भारत की कंपनियों को लिक्विड दूध महंगा खरीद करने से पड़ते नहीं लग रहे हैं। इस वजह से यहां दूध पाउडर का व्यापार घट गया है तथा इन भावों में भी कोई विशेष व्यापार नहीं हो रहा है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं रक्षाबंधन में मावा पनीर की अधिक खपत होती है, इस वजह से अगले सप्ताह में भी मंदे की गुंजाइश नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन अब तेजी का भी कोई लॉजिक नहीं लग रहा है। इधर मिलावटी माल, देसी घी के व्यापार को परेशान जरूर कर रहे हैं, लेकिन कंपनियों में बटर का स्टॉक काफी घट जाने से देसी की अंडर रेट बिक रहा है। तथा अभी एक डेढ़ सप्ताह टिका रहेगा।