उड़द तुवर में 2 दिन के अंतराल 100/200 रुपए प्रति क्विंटल के करीब तेजी आ गई है तथा दाल मिलों की मांग को देखते हुए 100 रुपए की और तेजी आ सकती है, लेकिन वर्तमान के बढ़े भाव में माल बेचना चाहिए, क्योंकि लंबी तेजी का उक्त दोनों दलहनों में कोई विशेष लॉजिक दिखाई नहीं दे रहा है। तुवर में चालू माह के अंतराल धीरे-धीरे बाजार बढऩे लगे हैं, जबकि दली हुई दाल की बिक्री उस हिसाब से अनुकूल नहीं है। यह तेजी केवल सटोरियों द्वारा मंदे भाव में पिछले दिनों फुल जुलाई का माल झटक लिया था, जिससे लगातार बढ़ाकर भाव बोलने लगे हैं। हालांकि देसी विदेशी दोनों उत्पादक क्षेत्रों में तुवर की फसल बहुत बढिय़ा आई है। घरेलू उत्पादन गत वर्ष 34 लाख मीट्रिक टन हुआ था, वह इस बार रबी खरीफ सीजन को मिलाकर 52 लाख मैट्रिक टन के करीब होने का अनुमान आ रहा है। दूसरी ओर मटर के भाव काफी नीचे होने से बिहार बंगाल असम उड़ीसा एवं कुछ पूर्वी उत्तर प्रदेश में तुवर की दाल में मिक्सिंग चल रही है। जिस कारण दाल की चालानी मांग अनुकूल नहीं है। पिछले दिनों नीचे में लेमन तुवर 6500 रुपए प्रति कुंतल बिकने के बाद दाल मिलों एवं स्टॉकिस्टों को यह भाव सस्ते दिखाई देने लगे थे, जिस कारण बिकवाली के अभाव में इसके भाव 6750 हो गए हैं। उधर बर्मा में भी जो लेमन तुवर 725 डॉलर प्रति टन रह गई थी, उसके भाव 740 डॉलर प्रति टन बोलने लगे हैं। इसलिए खरीद चलने से वर्तमान चेन्नई में 6450 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास लेमन तुवर बोलने लगे हैं, जबकि यहां व्यापार 6750 रुपए तक हुआ है। अत: पक्के मालों में ग्राहकी को देखते हुए एक बार बढ़े भाव में 200/300 रुपए का मुनाफा भी लेते रहना चाहिए। इसके अलावा उड़द भी नीचे में 7750 रुपए बिकने के बाद दाल मिलों एवं कुछ सटोरियों की लिवाली से बढक़र यहां 7950 हो गया है। आज शाम को कुछ थोक में 7980 रुपए भी बिकने की खबर थी। इसके अलावा एफ ए क्यू के भाव भी 7350 से बढक़र 7470 रुपए प्रति कुंतल हो गए हैं। बर्मा में एफ ए क्यू के भाव 790 एवं एसक्यू के भाव 865 डॉलर प्रति टन पर 15 डॉलर बढ़ गए हैं। मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में उड़द की बिजाई बहुत बढिय़ा हुई है। दूसरी ओर चेन्नई में भी रंगून से चले हुए स्टीमर लगने वाले हैं, इन परिस्थितियों में इसमें भी ज्यादा तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए तथा 150/200 रुपए बढऩे पर माल बेचते रहना चाहिए ।