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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

29-08-2024

उत्पादन बढने से इसबगोल भूसी में तेजी नहीं

  •  इसबगोल का उत्पादन अधिक होने से चौतरफा मंडियों में माल का प्रेशर बना हुआ है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इस बार निर्यातकों की पूछ परख अनुकूल नहीं होने से बाजार चार महीने में भाव काफी नीचे आ गया है तथा उत्पादन एवं खपत को देखते हुए नई फसल आने तक तेजी नहीं दिखाई दे रही है। इसबगोल का उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान के बीकानेर मेड़ता बालोतरा जोधपुर जैसलमेर एवं गुजरात के काठियावाड़ पोरबंदर मेहसाणा एवं पूरे सौराष्ट्र में होता है। राजस्थान में जो भी इसबगोल का उत्पादन होता है, उसके भूसी निकालने वाले प्लांट अधिकतर गुजरात के उंझा काठियावाड़ के साथ-साथ सौराष्ट्र में लगे हुए हैं। इसका उत्पादन वर्ष 2022-23 के अंतराल 4.3 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था, जो सामान्य की अपेक्षा 60 फीसदी कम था। यही कारण है कि इसबगोल के भाव वहां की मंडियों में 290/295 रुपए प्रति किलो हो गए थे। बीते वर्ष इसबगोल भूसी भी कम निकलने से यहां 650/675 से छलांग लगाकर गत अक्टूबर-नवंबर में 1050 रुपए प्रति किलो उपर में बन गई थी, जो वर्तमान में 650/750 रुपए के बीच अलग-अलग क्वालिटी में यहां रह गई है। इसकी नई फसल जनवरी-फरवरी से शुरू हो गई है तथा इस बार इसबगोल के भाव 128/130 रुपए प्रति किलो उत्पादक मंडियों में रह गए हैं, यह गत वर्ष 290/295 रुपए ऊपर में बिक गया था तथा इसकी भूसी क्वालिटी के अनुसार जो यहां ऊपर में 1050 रुपए बिक गई थी, उसके भाव घटकर 700/750 रुपए प्रति किलो रह गई हैं तथा थोड़ा एवरेज माल 650/660 रुपए प्रति किलो रह गए हैं। भूसी के कुल उत्पादन का 37-38 प्रतिशत निर्यात होता है, जो बीते वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से भारी मात्रा में निर्यात हुआ था। इस बार यूएसए, यूएई सहित यूरोपीय देशों में नीचे भाव चल रहे हैं, जिस कारण यहां से निर्यात अनुकूल नहीं होने से अभी तक काफी कम सौदे हुए है तथा घरेलू मांग भी उत्पादन को देखते हुए अनुकूल नहीं है, जिसके चलते लगभग 38-40 प्रतिशत भाव गिर गए हैं। इसबगोल से इसकी भूसी निकालने के प्लांट ऊंझा एवं आसपास के क्षेत्रों में लगे हुए हैं। वहां ईसबगोल की आपूर्ति गत वर्ष की अपेक्षा 50 प्रतिशत अधिक हो चुकी है, जिससे भूसी निकालने वाले हर भाव में माल बेच रहे हैं, इन परिस्थितियों में बाजार टूटता जा रहा है तथा आगे भी बढऩे की गुंजाइश नहीं है। अत: स्टॉक की बजाय मजूरी का काम करते रहना चाहिए।

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उत्पादन बढने से इसबगोल भूसी में तेजी नहीं

 इसबगोल का उत्पादन अधिक होने से चौतरफा मंडियों में माल का प्रेशर बना हुआ है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इस बार निर्यातकों की पूछ परख अनुकूल नहीं होने से बाजार चार महीने में भाव काफी नीचे आ गया है तथा उत्पादन एवं खपत को देखते हुए नई फसल आने तक तेजी नहीं दिखाई दे रही है। इसबगोल का उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान के बीकानेर मेड़ता बालोतरा जोधपुर जैसलमेर एवं गुजरात के काठियावाड़ पोरबंदर मेहसाणा एवं पूरे सौराष्ट्र में होता है। राजस्थान में जो भी इसबगोल का उत्पादन होता है, उसके भूसी निकालने वाले प्लांट अधिकतर गुजरात के उंझा काठियावाड़ के साथ-साथ सौराष्ट्र में लगे हुए हैं। इसका उत्पादन वर्ष 2022-23 के अंतराल 4.3 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ था, जो सामान्य की अपेक्षा 60 फीसदी कम था। यही कारण है कि इसबगोल के भाव वहां की मंडियों में 290/295 रुपए प्रति किलो हो गए थे। बीते वर्ष इसबगोल भूसी भी कम निकलने से यहां 650/675 से छलांग लगाकर गत अक्टूबर-नवंबर में 1050 रुपए प्रति किलो उपर में बन गई थी, जो वर्तमान में 650/750 रुपए के बीच अलग-अलग क्वालिटी में यहां रह गई है। इसकी नई फसल जनवरी-फरवरी से शुरू हो गई है तथा इस बार इसबगोल के भाव 128/130 रुपए प्रति किलो उत्पादक मंडियों में रह गए हैं, यह गत वर्ष 290/295 रुपए ऊपर में बिक गया था तथा इसकी भूसी क्वालिटी के अनुसार जो यहां ऊपर में 1050 रुपए बिक गई थी, उसके भाव घटकर 700/750 रुपए प्रति किलो रह गई हैं तथा थोड़ा एवरेज माल 650/660 रुपए प्रति किलो रह गए हैं। भूसी के कुल उत्पादन का 37-38 प्रतिशत निर्यात होता है, जो बीते वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से भारी मात्रा में निर्यात हुआ था। इस बार यूएसए, यूएई सहित यूरोपीय देशों में नीचे भाव चल रहे हैं, जिस कारण यहां से निर्यात अनुकूल नहीं होने से अभी तक काफी कम सौदे हुए है तथा घरेलू मांग भी उत्पादन को देखते हुए अनुकूल नहीं है, जिसके चलते लगभग 38-40 प्रतिशत भाव गिर गए हैं। इसबगोल से इसकी भूसी निकालने के प्लांट ऊंझा एवं आसपास के क्षेत्रों में लगे हुए हैं। वहां ईसबगोल की आपूर्ति गत वर्ष की अपेक्षा 50 प्रतिशत अधिक हो चुकी है, जिससे भूसी निकालने वाले हर भाव में माल बेच रहे हैं, इन परिस्थितियों में बाजार टूटता जा रहा है तथा आगे भी बढऩे की गुंजाइश नहीं है। अत: स्टॉक की बजाय मजूरी का काम करते रहना चाहिए।


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