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02-04-2025

AI कर सकता है दिल की गंभीर अनियमितता वाले रोगियों की पहचान

  •  आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) वैज्ञानिकों को उन मरीजों की पहचान करने में मदद कर सकती है जिन्हें दिल की गंभीर अनियमितता (एरिथमिया) का खतरा है, जो दिल का दौरा और अचानक मृत्यु का कारण बन सकती है। पेरिस के इंसर्म, पेरिस सिटे विश्वविद्यालय और पेरिस के सार्वजनिक अस्पतालों के समूह (एपी-एचपी) के शोधकर्ताओं ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के सहयोग के साथ मिलकर एक नया अध्ययन किया है। इस अध्ययन में, उन्होंने इंसानी दिमाग की नकल करने वाले कृत्रिम न्यूरॉन्स का एक नेटवर्क बनाया है। शोधकर्ताओं ने 2,40,000 से अधिक मरीजों के इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) डेटा का विश्लेषण किया। इस एआई आधारित एल्गोरिदम ने 70 प्रतिशत मामलों में ऐसे मरीजों की पहचान कर ली, जिन्हें अगले दो हफ्तों में घातक एरिथमिया का खतरा था। प्रतिवर्ष, अचानक हृदय गति रुकने के कारण दुनियाभर में 50 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। यह तकनीक हृदय की अनियमित धडक़नों (एरिथमिया) को पहले से पहचानने में मदद कर सकती है। अगर यह समस्या गंभीर हो जाए, तो यह घातक हो सकती है। इस अध्ययन के तहत, कार्डियोलॉग्स (फिलिप्स गु्रप) नामक कंपनी के इंजीनियरों ने पेरिस सिटी यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क तैयार किया। इसका मकसद अचानक हृदय गति रुकने से होने वाली मौतों की रोकथाम में सुधार करना है। शोधकर्ताओं ने छह देशों (अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चेक गणराज्य) से जुटाए गए 2,40,000 मरीजों के ईसीजी डेटा का अध्ययन किया। इस प्रक्रिया में कई लाख घंटे के हृदय स्पंदनों का विश्लेषण किया गया। एआई की मदद से वैज्ञानिकों ने ऐसे नए संकेत खोजे हैं जो एरिथमिया के जोखिम का संकेत दे सकते हैं।  पेरिस कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च सेंटर (पीएआरसीसी) के डॉ. लॉरेंट फियोरीना के अनुसार हमने 24 घंटे के हार्ट इलेक्ट्रिकल सिग्नल का विश्लेषण किया। इससे हमें यह समझने में मदद मिली कि किन मरीजों में अगले दो हफ्तों में गंभीर एरिथमिया विकसित होने की संभावना है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह घातक कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में बदल सकता है। हालांकि यह तकनीक अभी परीक्षण के चरण में है, लेकिन अध्ययन में यह 70 प्रतिशत मामलों में जोखिमग्रस्त मरीजों की पहचान करने और 99.9 प्रतिशत मामलों में सुरक्षित मरीजों को अलग करने में सक्षम रही। भविष्य में, इस एल्गोरिदम का उपयोग अस्पतालों में जोखिमग्रस्त मरीजों की निगरानी के लिए किया जा सकता है। यदि इसकी कार्यक्षमता और बेहतर हुई, तो इसे रक्तचाप मापने वाले होल्टर मॉनिटर और स्मार्टवॉच जैसे उपकरणों में भी शामिल किया जा सकता है। 

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AI कर सकता है दिल की गंभीर अनियमितता वाले रोगियों की पहचान

 आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) वैज्ञानिकों को उन मरीजों की पहचान करने में मदद कर सकती है जिन्हें दिल की गंभीर अनियमितता (एरिथमिया) का खतरा है, जो दिल का दौरा और अचानक मृत्यु का कारण बन सकती है। पेरिस के इंसर्म, पेरिस सिटे विश्वविद्यालय और पेरिस के सार्वजनिक अस्पतालों के समूह (एपी-एचपी) के शोधकर्ताओं ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के सहयोग के साथ मिलकर एक नया अध्ययन किया है। इस अध्ययन में, उन्होंने इंसानी दिमाग की नकल करने वाले कृत्रिम न्यूरॉन्स का एक नेटवर्क बनाया है। शोधकर्ताओं ने 2,40,000 से अधिक मरीजों के इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) डेटा का विश्लेषण किया। इस एआई आधारित एल्गोरिदम ने 70 प्रतिशत मामलों में ऐसे मरीजों की पहचान कर ली, जिन्हें अगले दो हफ्तों में घातक एरिथमिया का खतरा था। प्रतिवर्ष, अचानक हृदय गति रुकने के कारण दुनियाभर में 50 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। यह तकनीक हृदय की अनियमित धडक़नों (एरिथमिया) को पहले से पहचानने में मदद कर सकती है। अगर यह समस्या गंभीर हो जाए, तो यह घातक हो सकती है। इस अध्ययन के तहत, कार्डियोलॉग्स (फिलिप्स गु्रप) नामक कंपनी के इंजीनियरों ने पेरिस सिटी यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क तैयार किया। इसका मकसद अचानक हृदय गति रुकने से होने वाली मौतों की रोकथाम में सुधार करना है। शोधकर्ताओं ने छह देशों (अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चेक गणराज्य) से जुटाए गए 2,40,000 मरीजों के ईसीजी डेटा का अध्ययन किया। इस प्रक्रिया में कई लाख घंटे के हृदय स्पंदनों का विश्लेषण किया गया। एआई की मदद से वैज्ञानिकों ने ऐसे नए संकेत खोजे हैं जो एरिथमिया के जोखिम का संकेत दे सकते हैं।  पेरिस कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च सेंटर (पीएआरसीसी) के डॉ. लॉरेंट फियोरीना के अनुसार हमने 24 घंटे के हार्ट इलेक्ट्रिकल सिग्नल का विश्लेषण किया। इससे हमें यह समझने में मदद मिली कि किन मरीजों में अगले दो हफ्तों में गंभीर एरिथमिया विकसित होने की संभावना है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो यह घातक कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में बदल सकता है। हालांकि यह तकनीक अभी परीक्षण के चरण में है, लेकिन अध्ययन में यह 70 प्रतिशत मामलों में जोखिमग्रस्त मरीजों की पहचान करने और 99.9 प्रतिशत मामलों में सुरक्षित मरीजों को अलग करने में सक्षम रही। भविष्य में, इस एल्गोरिदम का उपयोग अस्पतालों में जोखिमग्रस्त मरीजों की निगरानी के लिए किया जा सकता है। यदि इसकी कार्यक्षमता और बेहतर हुई, तो इसे रक्तचाप मापने वाले होल्टर मॉनिटर और स्मार्टवॉच जैसे उपकरणों में भी शामिल किया जा सकता है। 


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