जामुन की गुठली (बीज) का चूर्ण (पाउडर) प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। आयुर्वेद में इसका विशेष महत्व है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसके औषधीय गुणों के कारण यह घरेलू नुस्खों में भी लोकप्रिय है। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता में जामुन के पूरे पौधे के उपयोग का उल्लेख किया गया है। जामुन की छाल, पत्ते, फल, गुठलियां और जड़ आदि सभी आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में काम आते हैं। आयुर्वेद की विभिन्न दवाओं में जामुन के बीज, फल, पत्ते, छाल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जामुन बहुत हैल्दी और स्वादिष्ट फल है। जामुन को खाने के बाद उसकी गुठलियों को फेंकने की बजाय किसी साफ बर्तन में इक_ा करें और उसे धूप में सुखा लें। इसके बाद इसका चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण के बहुत फायदे हैं। अगर आप प्री-डायबिटीज या डायबिटीज के मरीज हैं, तो यह चूर्ण आपके लिए बहुत फायदेमंद है। चूर्ण का इस्तेमाल शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। डायबिटीज के मरीज जामुन के बीज के पाउडर (चूर्ण) का सेवन करते हैं, तो उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहेगा। प्री-डायबिटीज में पाउडर खाने से डायबिटीज होने से रोका जा सकता है। जामुन के बीज में मौजूद गुण ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, इससे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। स्वस्थ रहने के लिए शरीर को समय-समय पर डिटॉक्स करना बहुत जरूरी होता है। प्रतिदिन जामुन के बीजों के चूर्ण के इस्तेमाल से शरीर को डिटॉक्स किया जा सकता है। जामुन के बीज में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में कारगर हैं। इसके चूर्ण के सेवन से लिवर की कोशिकाओं की रक्षा होती है। इसके अलावा, यह हार्ट हेल्थ के लिए भी बहुत बेहतर है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो लिवर और हार्ट की सूजन को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। चूर्ण का सेवन मोटापा घटाने में भी सहायक है। जामुन के बीज के चूर्ण का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। कभी-कभी इसके सेवन से पेट दर्द, एसिडिटी और जलन की समस्या हो सकती है, इसलिए चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।