देश में तेज रफ्तार से बढ़ते रोजमर्रा के उपभोग के सामान (एफएमसीजी) क्षेत्र में बिक्री की रफ्तार धीमी पड़ी है जो मुख्य रूप से फूड एंड बेवेरेजेज सेगमेंट में आई सुस्ती का नतीजा है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। उपभोक्ता आंकड़ों पर नजर रखने वाली फर्म ‘वर्ल्डपैनल बाय न्यूमेरेटर’ की यह रिपोर्ट कहती है कि खाद्य मुद्रास्फीति के कारण फूड एंड बेवेरेजेज सेगमेंट में खर्च बढऩे से शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में खरीदारी पर असर पड़ा है। मई, 2025 तक गेहूं से इतर एफएमसीजी क्षेत्र की 12 महीनों की कुल बिक्रि (एमएटी) में वृद्धि घटकर चार प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले छह प्रतिशत थी। इसी तरह मूल्य वृद्धि भी घटकर 7.9 प्रतिशत रही जबकि मई, 2024 में यह 8.3 प्रतिशत थी। खाद्य एवं पेय पदार्थ (गेहूं को छोडक़र) खंड में बिक्री वृद्धि मई, 2025 तक घटकर 4.4 प्रतिशत पर आ गई, जबकि यह गत वर्ष सात प्रतिशत थी। पर्सनल केयर सेगमेंट में सेल्स वॉल्यूम में वृद्धि 4.3 प्रतिशत और मूल्य वृद्धि 8.4 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले यह क्रमश: 4.7 और 11.7 प्रतिशत थीं। घरेलू देखभाल श्रेणी में भी मूल्य वृद्धि 14.9 प्रतिशत से घटकर 7.9 प्रतिशत और सेल्स वॉल्यूम में वृद्धि 3.6 प्रतिशत से घटकर 3.8 प्रतिशत पर आ गई। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का एफएमसीजी बाजार कई उपभोक्ता समूहों में बंटा हुआ है। इसे चार प्रमुख वर्गों- शहरी समृद्ध, शहरी मध्य वर्ग, शहरी जनसमूह और ग्रामीण में विभाजित किया गया है। वर्ल्डपैनल बाय न्यूमेरेटर के प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) ने इन आंकड़ों पर कहा भारत को एक ही नजर से नहीं देखा जा सकता है। हर समूह की अपनी विषयवस्तु और जरूरत है। मसलन, शहरी समृद्ध तबका केवल तीन प्रतिशत घरों वाला है लेकिन सुविधा आधारित उत्पादों की मांग इन्हीं से बढ़ रही है। शहरी मध्य वर्ग प्रीमियम उत्पादों का रुख कर रहा है, जबकि शहरी जनसमूह एवं ग्रामीण क्षेत्र धीरे-धीरे विविध श्रेणियों की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।