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26-04-2025

2030 तक 30 लाख से अधिक हो जाएगी जीसीसी वर्कफोर्स

  •  इंडिया में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) में वर्कफोर्स वर्ष 2030 तक बढक़र 30 लाख होने का अनुमान है। इसमें बड़ी संख्या में एंट्री-लेवल जॉब्ज होंगे, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को भी रफ्तार मिलेगी। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। फस्र्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जीसीसी के लिए पसंदीदा डेस्टीनेशन बन गया है और 2030 तक इस बाजार का मूल्य 110 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। वहीं, जीसीसी से 2026 तक लगभग 1.5 लाख नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं। फस्र्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज के सीईओ (आईटी स्टाफिंग) ने कहा कि भारत में जीसीसी सेक्टर एक स्केलेबल इंडस्ट्री से रणनीतिक महत्व वाली इंडस्ट्री के रूप में विकसित हुआ है। देश में मेट्रो शहरों से लेकर टीयर 2 शहरों तक बड़े अपस्किलिंग कार्यक्रमों, नीतियों और विकास पहलों द्वारा समर्थित एक संपन्न इकोसिस्टम बन गया है। वर्तमान में भारत में जीसीसी वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और आने वाले समय में यह आंकड़ा बढऩे की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीसी वर्कफोर्स में लिंग अनुपात स्थिर रहेगा और भारत में वर्कफोर्स में लिंग विविधता में 3-5 प्रतिशत का सुधार देखने को मिल सकता है, क्योंकि कंपनियां विविधता और समानता को प्राथमिकता दे रही हैं। भारत का जीसीसी इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है, जो विविध टैलेंट पूल, उच्च डिजिटल साक्षरता, लागत लाभ और आईटी, एआई/एमएल और डेटा इंजीनियरिंग सहित कई उद्योगों की भागीदारी जैसे कारकों से प्रेरित है। टीयर 2 शहर भारतीय जीसीसी सेक्टर के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये शहर बढ़ते हुए टेलेंट पूल, किफायती इन्फ्रास्ट्रक्चर, कम एट्रिशन दर और बचत प्रदान करते हैं। यह अनुमान है कि अगले तीन से चार वर्षों में इन शहरों में 30-40 प्रतिशत नई जीसीसी नौकरियां सृजित होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेक्नोलॉजी के अलावा मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, रिटेल, हैल्थकेयर, ट्यूरिज्म और हॉस्पीटेलिटी जैसे उद्योग भी भारत में रोजगार बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।

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2030 तक 30 लाख से अधिक हो जाएगी जीसीसी वर्कफोर्स

 इंडिया में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) में वर्कफोर्स वर्ष 2030 तक बढक़र 30 लाख होने का अनुमान है। इसमें बड़ी संख्या में एंट्री-लेवल जॉब्ज होंगे, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को भी रफ्तार मिलेगी। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। फस्र्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जीसीसी के लिए पसंदीदा डेस्टीनेशन बन गया है और 2030 तक इस बाजार का मूल्य 110 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। वहीं, जीसीसी से 2026 तक लगभग 1.5 लाख नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं। फस्र्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज के सीईओ (आईटी स्टाफिंग) ने कहा कि भारत में जीसीसी सेक्टर एक स्केलेबल इंडस्ट्री से रणनीतिक महत्व वाली इंडस्ट्री के रूप में विकसित हुआ है। देश में मेट्रो शहरों से लेकर टीयर 2 शहरों तक बड़े अपस्किलिंग कार्यक्रमों, नीतियों और विकास पहलों द्वारा समर्थित एक संपन्न इकोसिस्टम बन गया है। वर्तमान में भारत में जीसीसी वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और आने वाले समय में यह आंकड़ा बढऩे की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीसी वर्कफोर्स में लिंग अनुपात स्थिर रहेगा और भारत में वर्कफोर्स में लिंग विविधता में 3-5 प्रतिशत का सुधार देखने को मिल सकता है, क्योंकि कंपनियां विविधता और समानता को प्राथमिकता दे रही हैं। भारत का जीसीसी इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है, जो विविध टैलेंट पूल, उच्च डिजिटल साक्षरता, लागत लाभ और आईटी, एआई/एमएल और डेटा इंजीनियरिंग सहित कई उद्योगों की भागीदारी जैसे कारकों से प्रेरित है। टीयर 2 शहर भारतीय जीसीसी सेक्टर के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये शहर बढ़ते हुए टेलेंट पूल, किफायती इन्फ्रास्ट्रक्चर, कम एट्रिशन दर और बचत प्रदान करते हैं। यह अनुमान है कि अगले तीन से चार वर्षों में इन शहरों में 30-40 प्रतिशत नई जीसीसी नौकरियां सृजित होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि टेक्नोलॉजी के अलावा मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, रिटेल, हैल्थकेयर, ट्यूरिज्म और हॉस्पीटेलिटी जैसे उद्योग भी भारत में रोजगार बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।


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