इंडिया की जैम और ज्वैलरी इंडस्ट्री का आकार वर्ष 2029 तक 128 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है, जो कि गत वर्ष 2024 83 अरब डॉलर की रही है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई। 1लैटिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि जैम और ज्वैलरी इंडस्ट्री में गोल्ड 86 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ शीर्ष पर है। लैब ग्रोन डायमंड की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट में बताया गया कि लैब ग्रोन डायमंड के मार्केट की मौजूदा वैल्यू 345 मिलियन डॉलर है और वर्ष 2033 तक इन डायमंड के मार्केट की वैल्यू बढक़र 1.2 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है। ग्लोबली लैब ग्रोन डायमंड में भारत का योगदान 15 प्रतिशत का है। गत चार वर्षों में एक्सपोर्ट 8 गुना बढक़र वित्त वर्ष 2024 में 1.3 अरब डॉलर हो गया है। 1लैटिस के सीनियर डायरेक्टर (कन्ज्यूमर एंड रिटेल ) ने कहा कि भारत की जैम और ज्वैलरी इंडस्ट्री विरासत और इनोवेशन के बीच तेजी से विकसित हो रही है। डिजिटल कॉमर्स, अफोर्डेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी के कारण लैब ग्रोन डायमंड ज्वैलरी रिटेल मार्केट के भविष्य को नया आकार दे रहा है। देश की जैम और ज्वैलरी इंडस्ट्री की बढ़त के प्रमुख कारणों में भारत के मध्यम वर्ग की बढ़ती डिस्पोजेबल आय, लग्जरी और निवेश-ग्रेड ज्वैलरी की मांग में वृद्धि, ब्रांडेड और सर्टिफाइड ज्वैलरी का बढ़ता चलन, संगठित रिटेल में उपभोक्ताओं का बढ़ता विश्वास, ई-कॉमर्स के चलते डिजिटल स्पेस की ओर झुकाव और वर्चुअल ट्राई-ऑन हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि 2029 तक देश में होने वाली कुल ज्वैलरी बिक्री में ऑनलाइन की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी नीतियों के कारण लैब ग्रोन डायमंड के मार्केट को बढ़ावा मिल रहा है। इसमें लैब ग्रोन डायमंड के बीज पर 5 प्रतिशत की शुल्क कटौती और मैन्युफैक्चरिंग सुविधा बढ़ाने के लिए 30 मिलियन डॉलर की रिसर्च ग्रांट शामिल है। रिपोर्ट में सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस और ऑप्टिक्स जैसे क्षेत्रों में लैब में उगाए जाने वाले डायमंड की इंडस्ट्रियल क्षमता के बारे में बताया गया है, हालांकि भारत में वर्तमान में घरेलू एचपीएचटी मशीन फैब्रीकेशन की कमी है, जो निवेशकों और तकनीकी खिलाडय़िों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।