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19-04-2025

अपीलीय न्यायाधिकरण ने बायजू मामले में बीसीसीआई, रिजु रवींद्रन की याचिका खारिज की

  •  राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने बीसीसीआई और रिजु रवींद्रन द्वारा बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही वापस लेने की अपील को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही एनसीएलएटी ने कर्ज में डूबी शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी तथा शीर्ष क्रिकेट निकाय के बीच समझौते पर विचार करने की याचिका को रद्द कर दिया। याचिका में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने 10 फरवरी, 2025 को नए कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) के सामने अपने समझौते के प्रस्ताव को रखने का निर्देश दिया था। अमेरिका स्थित ग्लास ट्रस्ट सीओसी का एक सदस्य है, और बायजू को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने वाले ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है। एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ के न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन और न्यायमूर्ति जतिंद्रनाथ स्वैन ने एनसीएलटी के निर्देशों को बरकरार रखा और कहा कि निपटान प्रस्ताव सीओसी के गठन के बाद दायर किया गया था। इसलिए दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की धारा 12ए के प्रावधानों के अनुसार, इसे ऋणदाता निकाय की मंजूरी की जरूरत है। आईबीसी की धारा 12ए दिवालियेपन से बाहर निकलने का रास्ता निर्धारित करती है।

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अपीलीय न्यायाधिकरण ने बायजू मामले में बीसीसीआई, रिजु रवींद्रन की याचिका खारिज की

 राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने बीसीसीआई और रिजु रवींद्रन द्वारा बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही वापस लेने की अपील को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही एनसीएलएटी ने कर्ज में डूबी शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी तथा शीर्ष क्रिकेट निकाय के बीच समझौते पर विचार करने की याचिका को रद्द कर दिया। याचिका में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने 10 फरवरी, 2025 को नए कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) के सामने अपने समझौते के प्रस्ताव को रखने का निर्देश दिया था। अमेरिका स्थित ग्लास ट्रस्ट सीओसी का एक सदस्य है, और बायजू को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने वाले ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है। एनसीएलएटी की चेन्नई पीठ के न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन और न्यायमूर्ति जतिंद्रनाथ स्वैन ने एनसीएलटी के निर्देशों को बरकरार रखा और कहा कि निपटान प्रस्ताव सीओसी के गठन के बाद दायर किया गया था। इसलिए दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की धारा 12ए के प्रावधानों के अनुसार, इसे ऋणदाता निकाय की मंजूरी की जरूरत है। आईबीसी की धारा 12ए दिवालियेपन से बाहर निकलने का रास्ता निर्धारित करती है।


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