नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कुछ उत्पादों के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (क्यूसीओ) लाने को लेकर अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा है कि यह आयात को प्रतिबंधित करने के लिए ‘नुकसानदायक हस्तक्षेप’ है और इससे सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए लागत बढ़ती है। बेरी ने ‘भारत के हाथ और बिजली से चलने वाले इक्विपमेंट क्षेत्र’ 25 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात अवसर’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भारत में लागत के स्तर पर 14 से 17 प्रतिशत नुकसान एक महत्वपूर्ण बाधा है। यह गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जैसे आयात प्रतिबंधों और बढ़े हुए उत्पादन खर्चों से और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी समझ यह है कि हम, कुछ देशों के विपरीत, डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के अनुपालन के लिए इतने उत्सुक हैं कि हम कुछ कच्चे माल को बाहर रखने के लिए अन्य तरीकों की तलाश कर रहे हैं और इसके तहत हम गुणवत्ता नियंत्रण आदेश व्यवस्था पर पहुंचे हैं।’’ सरकार ने इस साल की शुरुआत में, सख्त सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घरेलू इक्विपमेंटों से लेकर औद्योगिक सामग्रियों तक 150 से अधिक उत्पादों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को अनिवार्य करके गुणवत्ता अनुपालन आवश्यकताओं का विस्तार किया था। बेरी ने कहा, ‘‘नौकरशाही के लिए एक निश्चित प्रतिभा की आवश्यकता होती है, जो हस्तक्षेप के साथ सामने आती है और यह मनमानेपन के कारण शुल्क से भी अधिक घातक है। ये सभी अनुपालन लागत एमएसएमई के लिए नुकसानदायक हैं।’’ भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का कहना है कि उसने बेहतर जागरूकता के उद्देश्य से 150 से अधिक उत्पादों को पहले ही सूचीबद्ध कर दिया है। इन अनिवार्य मानकों का दायरा विभिन्न क्षेत्रों तक बढ़ाया गया है। इनके लागू होने की तिथियां अलग-अलग हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में उत्पादन लागत कम करने के लिए इस्पात जैसे आवश्यक कच्चे माल पर क्यूसीओ प्रतिबंधों को तर्कसंगत बनाने की भी वकालत की है।