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11-04-2025

एशिया-पैसिफिक के सबसे कंपीटिटिव डेटा सेंटर लीजिंग मार्केट्स में से एक है मुंबई

  •  मुंबई, एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में डेटा सेंटर के लिए सबसे प्रतिस्पर्धी लीजिंग बाजारों में से एक के रूप में उभरा है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। नाइट फ्रैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट में भारत में एक और उभरते हुए डेटा सेंटर डेस्टीनेशन के रूप में चेन्नई को भी उजागर किया गया है। यह शहर अपने रणनीतिक तटीय स्थान (कोस्टल लोकेशन) के कारण ध्यान आकर्षित कर रहा है, जो मजबूत कनेक्टिविटी और आपदा से लचीलापन प्रदान करता है। यह शहर डायवर्सिफाइड इंफ्रास्ट्रक्चर की तलाश करने वाले हाइपरस्केलर्स और एंटरप्राइज-ग्रेड ऑपरेटरों को आकर्षित करता है। एडब्ल्यूएस जैसे हाइपरस्केलर्स को सपोर्ट करने के लिए नवी मुंबई के 90 मेगावाट के डेटा सेंटर को डवलप किया गया है। नाइट फ्रैंक इंडिया के पे्रसीमेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार देश में डेटा सेंटर उद्योग शानदार गति का अनुभव कर रहा है। यह गति तेजी से डिजिटलीकरण, नीति समर्थन और क्लाउड-आधारित सेवाओं की बढ़ती जरूरत की वजह से देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई और चेन्नई जैसे शहर ग्लोबल डेटा सेंटर मैप में प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं, जो स्केलेबल इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली की उपलब्धता और मजबूत कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे हाइपरस्केलर्स और बड़े उद्यमों की मांग बढ़ती जा रही है, भारत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र बनने की स्थिति में है। एशिया-प्रशांत (एपीएसी) में 45.9 बिलियन पाउंड के निवेश के साथ 4,174 मेगावाट (32 प्रतिशत) की वृद्धि होने का अनुमान है। टोक्यो जैसे स्थापित केंद्रों और जोहोर, मलेशिया जैसे उभरते स्थानों के साथ-साथ मुंबई और चेन्नई में भी बढ़ती रुचि देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर, डेटा सेंटर उद्योग के 2027 तक 46 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है, जिससे क्षमता में 20,828 मेगावाट की वृद्धि होगी। यह विस्तार 2030 तक 177 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जिसे पूंजीगत व्यय में अनुमानित 229 बिलियन पाउंड का समर्थन प्राप्त है। उत्तरी अमेरिका प्रमुख वैश्विक बाजार बना हुआ है, जिसमें 11,638 मेगावाट की नई क्षमता है, जो 54 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है और इस अपेक्षित वृद्धि का समर्थन करने के लिए 128 बिलियन पाउंड की पूंजी लगाई जा रही है। यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका (ईएमईए) में 4,529 मेगावाट (44 प्रतिशत) का विस्तार होने वाला है, जिसके लिए 49.8 बिलियन पाउंड के निवेश की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय बाजार मिलान और मैड्रिड जैसे केंद्रों की ओर बदलाव का अनुभव कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से फ्रैंकफर्ट और लंदन जैसे मुख्य बाजारों में बिजली की कमी की वजह से है।

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एशिया-पैसिफिक के सबसे कंपीटिटिव डेटा सेंटर लीजिंग मार्केट्स में से एक है मुंबई

 मुंबई, एशिया-प्रशांत (एपीएसी) क्षेत्र में डेटा सेंटर के लिए सबसे प्रतिस्पर्धी लीजिंग बाजारों में से एक के रूप में उभरा है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। नाइट फ्रैंक की लेटेस्ट रिपोर्ट में भारत में एक और उभरते हुए डेटा सेंटर डेस्टीनेशन के रूप में चेन्नई को भी उजागर किया गया है। यह शहर अपने रणनीतिक तटीय स्थान (कोस्टल लोकेशन) के कारण ध्यान आकर्षित कर रहा है, जो मजबूत कनेक्टिविटी और आपदा से लचीलापन प्रदान करता है। यह शहर डायवर्सिफाइड इंफ्रास्ट्रक्चर की तलाश करने वाले हाइपरस्केलर्स और एंटरप्राइज-ग्रेड ऑपरेटरों को आकर्षित करता है। एडब्ल्यूएस जैसे हाइपरस्केलर्स को सपोर्ट करने के लिए नवी मुंबई के 90 मेगावाट के डेटा सेंटर को डवलप किया गया है। नाइट फ्रैंक इंडिया के पे्रसीमेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार देश में डेटा सेंटर उद्योग शानदार गति का अनुभव कर रहा है। यह गति तेजी से डिजिटलीकरण, नीति समर्थन और क्लाउड-आधारित सेवाओं की बढ़ती जरूरत की वजह से देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई और चेन्नई जैसे शहर ग्लोबल डेटा सेंटर मैप में प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं, जो स्केलेबल इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली की उपलब्धता और मजबूत कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे हाइपरस्केलर्स और बड़े उद्यमों की मांग बढ़ती जा रही है, भारत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र बनने की स्थिति में है। एशिया-प्रशांत (एपीएसी) में 45.9 बिलियन पाउंड के निवेश के साथ 4,174 मेगावाट (32 प्रतिशत) की वृद्धि होने का अनुमान है। टोक्यो जैसे स्थापित केंद्रों और जोहोर, मलेशिया जैसे उभरते स्थानों के साथ-साथ मुंबई और चेन्नई में भी बढ़ती रुचि देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर, डेटा सेंटर उद्योग के 2027 तक 46 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है, जिससे क्षमता में 20,828 मेगावाट की वृद्धि होगी। यह विस्तार 2030 तक 177 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जिसे पूंजीगत व्यय में अनुमानित 229 बिलियन पाउंड का समर्थन प्राप्त है। उत्तरी अमेरिका प्रमुख वैश्विक बाजार बना हुआ है, जिसमें 11,638 मेगावाट की नई क्षमता है, जो 54 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है और इस अपेक्षित वृद्धि का समर्थन करने के लिए 128 बिलियन पाउंड की पूंजी लगाई जा रही है। यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका (ईएमईए) में 4,529 मेगावाट (44 प्रतिशत) का विस्तार होने वाला है, जिसके लिए 49.8 बिलियन पाउंड के निवेश की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय बाजार मिलान और मैड्रिड जैसे केंद्रों की ओर बदलाव का अनुभव कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से फ्रैंकफर्ट और लंदन जैसे मुख्य बाजारों में बिजली की कमी की वजह से है।


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