एक समय था जब कपल्स बच्चों की पढ़ाई, शादी-ब्याह के बारे में सबसे पहले सोचते थे लेकिन अब उनकी प्राथमिकताओं में परिवर्तन आया है। भारतीय पेशेवर महिलाओं की बात करें तो वे अपनी फाइनेंशियल सिक्योरिटी, रिटायरमेंट प्लानिंग और ट्रेवलिंग प्लांस को फ्रंट सीट और बच्चों के लिये प्लानिंग को बैकसीट पर देखने लगी हैं। गत करीब एक दशक में भारतीय महिलाओं की फाइनेंशियल लाइफ काफी सुदृढ़ हुई है। इसका कारण यह है कि उनकी इनकम का लेवल बढ़ा है और इससे उनमें वित्तीय स्वतंत्रता की सोच को बल मिला है। परिवार के खर्चे, वैल्थ बिल्डिंग, फाइनेंशियल प्लानिंग पर उनकी सोच काफी महत्वकांक्षी हुई है। हाउस ऑफ एल्फा इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स प्रा.लि. की को-फाउंडर के अनुसार उनके फर्म की क्लाइंट्स की डेमोग्राफी बदली है। अब उनके क्लाइंट्स में एक तियाही महिलाएं हैं। इनमें भी 13 प्रतिशत के करीब सिंगल वूमैन हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि 40 प्रतिशत फीमेल क्लाइंट्स अपना फाइनेंस स्वतंत्र रूप से मैनेज कर रही हैं, उन्हें परिवार के मेल सदस्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा। यही नहीं रिलेशनशिप मैनेजर्स, बैंक आदि से भी सलाह लेने की जरूरत ज्यादा नहीं पड़ रही है। उनकी समझ, शिक्षा का दायरा बढ़ रहा है और वे स्वयं अपना फाइनेंशियल मैनेजमेंट सम्भाल रही है। जरूरत पडऩे पर अब वे फाइनेंशियल फ्यूचर की एडवाइस के लिये प्रोफेशनल्स की सलाह लेने के लिये भी हिचकती नहीं हैं। गोलब्रिज फाउंडर के अनुसार एसेट एलोकेशन, रिस्क मैनेजमेंट के बारे में उनकी समझ बढ़ रही है। फाइनेंशियल प्लानर्स के अनुसार करीब दस वर्ष पूर्व की तुलना में अब महिलाओं का फोकस रिटायरमेंट सिक्योरिटी पर बढ़ा है। उनके लिये बच्चों की शिक्षा महत्वपूर्ण है लेकिन कुछ के लिये फाइनेंशियल सिक्योरिटी प्राथमिकता है। मायवैल्थग्रोथ.कॉम के को-फाउंडर के अनुसार अधिकांश महिलाएं अब बच्चों के विवाह के लिये मनी मैनेजमेंट नहीं करती। जिन कपल्स के संतान नहीं है, उनके लिये रिटारयमेंट प्लानिंग सेंटर स्टेज पर है। इसके बाद वे ट्रेवल प्लान पर फोकस करते हैं। बहुतों के लिये ट्रेवल फाइनेंशियल गोल के रूप में इमर्ज हुआ है। महिलाओं की ट्रेवल प्लानिंग भी काफी आगे बढ़ रही है। शॉर्ट ट्रिप पर जाने के लिये वे एडवांस में बुकिंग करती हैं ताकि बजट ट्रिप पर जा सकें। सिंगल मदर अपनी वसियत बनाने के प्रति अवेयर हुई हैं, ताकि उनके बच्चों की फाइनेंशियल सिक्योरिटी रहे। हालांकि उनके लिये यह कू्रशियल है क्योंकि उन्हें गार्जियन अपॉइंट करना होगा ताकि एसेट्स का सीमलैस ट्रांसफर समय पर हो सके। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वैल्थ की ट्रस्ट एंड एस्टेट प्लानिंग हैड के अनुसार 30 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं में एस्टेट प्लानिंग, फाइनेंशियल फ्यूचर सिक्योर करने के लिये जागरुकता बढ़ी है। कपल्स भी अपनी वसियत को लेकर काफी जागरुक हुए हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार रूरल एरिया में अभी भी महिलाएं परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भर है। वित्तीय निर्णय वहीं करते हैं। बेशक वे फाइनेंशियली स्वतंत्र हों लेकिन फिर भी फाइनेंशियल फ्यूचर प्लानिंग की समझ की कमी है। कहने का मतलब यही है कि गत एक दशक में पेशेवर महिलाओं की फाइनेंशियल समझ बढ़ी है और वे अपनी लाइफ में इसकी सिक्योरिटी को लेकर जागरुक हुई है।