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23-10-2025

सस्ते इंपोर्ट, डंपिंग से देश के स्टील सेक्टर को नुकसान, नीतिगत समर्थन की जरूरत: आरबीआई लेख

  •  देश के स्टील क्षेत्र को 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रमुख वैश्विक स्टील उत्पादकों के सस्ते इंपोर्ट और डंपिंग के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। केंद्रीय बैंक के अक्टूबर बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि स्टील इंपोर्ट में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण इंपोर्ट कीमतें कम होना है। इससे घरेलू स्टील उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। साथ ही इसमें घरेलू स्टील उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन का आह्वान किया गया है। ‘स्टील अंडर सीज: अंडरस्टैंडिंग द इम्पैक्ट ऑफ डंपिंग ऑन इंडिया’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया, ‘‘ वैश्विक उत्पादकों के सस्ते स्टील की डंपिंग से घरेलू स्टील उत्पादन को खतरा हो सकता है। हालांकि, इसे उपयुक्त नीतिगत उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है। हाल ही में सुरक्षा शुल्क लगाने की पहल इंपोर्ट डंपिंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।’’ भारत ने अपनी खपत की मांग को पूरा करने के लिए स्टील उत्पादों का इंपोर्ट किया। देश के लौह एवं स्टील इंपोर्ट में 2024-25 की पहली छमाही में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2024-25 की दूसरी छमाही में इसमें कमी दर्ज की गई जिसका मुख्य कारण रक्षोपाय (सेफगार्ड) शुल्क था। अंतराष्ट्रीय बाजार में स्टील की कम कीमतों से भारत ने 2023-24 में अपने स्टील इंपोर्ट में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। भारत लगभग 45 प्रतिशत स्टील का इंपोर्ट दक्षिण कोरिया (इंपोर्ट हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत), चीन (9.8 प्रतिशत), अमेरिका (7.8 प्रतिशत), जापान (7.1 प्रतिशत) और ब्रिटेन (6.2 प्रतिशत) से करता है। लेख में कहा गया कि 2024-25 के दौरान चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से स्टील इंपोर्ट में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया कि इसके अलावा अप्रैल, 2022 से नवंबर, 2024 तक भारत की स्टील खपत औसतन 12.9 प्रतिशत (मासिक वृद्धि दर का औसत) बढ़ी है। 2022 से घरेलू खपत एवं उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ गया है। अप्रैल, 2022 से घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर स्टील की कीमतों में कमी आई है। आरबीआई के सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन विभाग के अधिकारी अनिर्बन सान्याल और संजय सिंह द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया, ‘‘ हाल के दिनों में भारत के स्टील क्षेत्र को प्रमुख स्टील उत्पादक देशों से बढ़ते इंपोर्ट और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि इन कारकों ने घरेलू बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित किया है। इन्होंने क्षमता उपयोग को कम किया तथा घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ाया है। साथ ही निर्यातक देशों की मूल्य निर्धारण रणनीतियां स्टील उद्योग के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। इसमें कहा गया, ‘‘ इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत समर्थन और नवोन्मेषण, लागत दक्षता एवं टिकाऊ व्यवहार के माध्यम से भारत के स्टील उत्पादन की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए पहल शामिल हैं।’’ लेखकों के अनुसार, इंपोर्ट में वृद्धि मुख्य रूप से स्टील की कम इंपोर्ट कीमतें हैं, जिसका घरेलू स्टील उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। यह लेख अप्रैल, 2013 से मार्च, 2025 तक के मासिक आंकड़ों पर आधारित है।

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सस्ते इंपोर्ट, डंपिंग से देश के स्टील सेक्टर को नुकसान, नीतिगत समर्थन की जरूरत: आरबीआई लेख

 देश के स्टील क्षेत्र को 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रमुख वैश्विक स्टील उत्पादकों के सस्ते इंपोर्ट और डंपिंग के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। केंद्रीय बैंक के अक्टूबर बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि स्टील इंपोर्ट में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण इंपोर्ट कीमतें कम होना है। इससे घरेलू स्टील उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। साथ ही इसमें घरेलू स्टील उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन का आह्वान किया गया है। ‘स्टील अंडर सीज: अंडरस्टैंडिंग द इम्पैक्ट ऑफ डंपिंग ऑन इंडिया’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया, ‘‘ वैश्विक उत्पादकों के सस्ते स्टील की डंपिंग से घरेलू स्टील उत्पादन को खतरा हो सकता है। हालांकि, इसे उपयुक्त नीतिगत उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है। हाल ही में सुरक्षा शुल्क लगाने की पहल इंपोर्ट डंपिंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।’’ भारत ने अपनी खपत की मांग को पूरा करने के लिए स्टील उत्पादों का इंपोर्ट किया। देश के लौह एवं स्टील इंपोर्ट में 2024-25 की पहली छमाही में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2024-25 की दूसरी छमाही में इसमें कमी दर्ज की गई जिसका मुख्य कारण रक्षोपाय (सेफगार्ड) शुल्क था। अंतराष्ट्रीय बाजार में स्टील की कम कीमतों से भारत ने 2023-24 में अपने स्टील इंपोर्ट में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। भारत लगभग 45 प्रतिशत स्टील का इंपोर्ट दक्षिण कोरिया (इंपोर्ट हिस्सेदारी 14.6 प्रतिशत), चीन (9.8 प्रतिशत), अमेरिका (7.8 प्रतिशत), जापान (7.1 प्रतिशत) और ब्रिटेन (6.2 प्रतिशत) से करता है। लेख में कहा गया कि 2024-25 के दौरान चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से स्टील इंपोर्ट में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया कि इसके अलावा अप्रैल, 2022 से नवंबर, 2024 तक भारत की स्टील खपत औसतन 12.9 प्रतिशत (मासिक वृद्धि दर का औसत) बढ़ी है। 2022 से घरेलू खपत एवं उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ गया है। अप्रैल, 2022 से घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर स्टील की कीमतों में कमी आई है। आरबीआई के सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन विभाग के अधिकारी अनिर्बन सान्याल और संजय सिंह द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया, ‘‘ हाल के दिनों में भारत के स्टील क्षेत्र को प्रमुख स्टील उत्पादक देशों से बढ़ते इंपोर्ट और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि इन कारकों ने घरेलू बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित किया है। इन्होंने क्षमता उपयोग को कम किया तथा घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ाया है। साथ ही निर्यातक देशों की मूल्य निर्धारण रणनीतियां स्टील उद्योग के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। इसमें कहा गया, ‘‘ इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें नीतिगत समर्थन और नवोन्मेषण, लागत दक्षता एवं टिकाऊ व्यवहार के माध्यम से भारत के स्टील उत्पादन की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए पहल शामिल हैं।’’ लेखकों के अनुसार, इंपोर्ट में वृद्धि मुख्य रूप से स्टील की कम इंपोर्ट कीमतें हैं, जिसका घरेलू स्टील उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। यह लेख अप्रैल, 2013 से मार्च, 2025 तक के मासिक आंकड़ों पर आधारित है।


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