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11-10-2025

सरकार ने टैक्सटाइल इंडस्ट्री की पीएलआई योजना में कई बदलाव किए

  •  कपड़ा मंत्रालय ने उद्योग की चुनौतियों को दूर करने और नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन’ (पीएलआई) योजना में महत्वपूर्ण संशोधन की घोषणा की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि योजना के तहत उपलब्ध उत्पादों की संख्या बढ़ाना, न्यूनतम निवेश सीमा को आधा करना और प्रोत्साहन के लिए आवश्यक वृद्धिशील कारोबार की सीमा को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना शामिल है।  मंत्रालय ने कहा कि ये कदम वस्त्र उद्योग में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। संशोधित पीएलआई योजना के तहत अब मानव-निर्मित रेशों (एमएमएफ) से बने परिधानों के लिए आठ नए एचएसएन कोड और एमएमएफ कपड़ों के लिए नौ नए एचएसएन कोड को सरकारी वित्तीय सहायता के लिए पात्र सूची में जगह दी गई है। इसके अलावा, आवेदक अब मौजूदा कंपनियों के अंतर्गत ही परियोजना इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। एक अगस्त, 2025 से नए आवेदकों के लिए न्यूनतम निवेश शर्तें भी घटा दी गई हैं। इसे पार्ट-1 श्रेणी में 300 करोड़ रुपये से घटाकर 150 करोड़ रुपये और पार्ट-2 श्रेणी में 100 करोड़ रुपये से घटकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही, प्रोत्साहन पाने के लिए कंपनी को दूसरे वर्ष से न्यूनतम 10 प्रतिशत वृद्धिशील कारोबार दिखाना भी अनिवार्य होगा।मंत्रालय ने कहा कि ये संशोधन प्रवेश बाधाओं और वित्तीय सीमाओं को कम करेंगे, जिससे पीएलआई योजना का तेजी से क्रियान्वयन संभव होगा। वस्त्र उद्योग की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पीएलआई योजना के आवेदन पोर्टल को 31 दिसंबर, 2025 तक खोल दिया गया है। घरेलू कपड़ा विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए पीएलआई योजना 24 सितंबर, 2021 को अधिसूचित की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में एमएमएफ परिधान, कपड़े और तकनीकी वस्त्रों का उत्पादन बढ़ाना, उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाना, रोजगार सृजन करना और टिकाऊ उद्यम स्थापित करना है। अबतक 28,711 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धता वाली 74 कंपनियों को इस योजना का लाभ मिला है।

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सरकार ने टैक्सटाइल इंडस्ट्री की पीएलआई योजना में कई बदलाव किए

 कपड़ा मंत्रालय ने उद्योग की चुनौतियों को दूर करने और नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ‘उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन’ (पीएलआई) योजना में महत्वपूर्ण संशोधन की घोषणा की। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि योजना के तहत उपलब्ध उत्पादों की संख्या बढ़ाना, न्यूनतम निवेश सीमा को आधा करना और प्रोत्साहन के लिए आवश्यक वृद्धिशील कारोबार की सीमा को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना शामिल है।  मंत्रालय ने कहा कि ये कदम वस्त्र उद्योग में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। संशोधित पीएलआई योजना के तहत अब मानव-निर्मित रेशों (एमएमएफ) से बने परिधानों के लिए आठ नए एचएसएन कोड और एमएमएफ कपड़ों के लिए नौ नए एचएसएन कोड को सरकारी वित्तीय सहायता के लिए पात्र सूची में जगह दी गई है। इसके अलावा, आवेदक अब मौजूदा कंपनियों के अंतर्गत ही परियोजना इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। एक अगस्त, 2025 से नए आवेदकों के लिए न्यूनतम निवेश शर्तें भी घटा दी गई हैं। इसे पार्ट-1 श्रेणी में 300 करोड़ रुपये से घटाकर 150 करोड़ रुपये और पार्ट-2 श्रेणी में 100 करोड़ रुपये से घटकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही, प्रोत्साहन पाने के लिए कंपनी को दूसरे वर्ष से न्यूनतम 10 प्रतिशत वृद्धिशील कारोबार दिखाना भी अनिवार्य होगा।मंत्रालय ने कहा कि ये संशोधन प्रवेश बाधाओं और वित्तीय सीमाओं को कम करेंगे, जिससे पीएलआई योजना का तेजी से क्रियान्वयन संभव होगा। वस्त्र उद्योग की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पीएलआई योजना के आवेदन पोर्टल को 31 दिसंबर, 2025 तक खोल दिया गया है। घरेलू कपड़ा विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए पीएलआई योजना 24 सितंबर, 2021 को अधिसूचित की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में एमएमएफ परिधान, कपड़े और तकनीकी वस्त्रों का उत्पादन बढ़ाना, उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाना, रोजगार सृजन करना और टिकाऊ उद्यम स्थापित करना है। अबतक 28,711 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धता वाली 74 कंपनियों को इस योजना का लाभ मिला है।


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