ब्रिटिश तेल कंपनी बीपी ने सोमवार को कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दम पर भारत की तेल एवं ऊर्जा मांग वर्ष 2050 तक अन्य देशों से अधिक बढ़ेगी और यह वैश्विक ऊर्जा बाजार का 12 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बन जाएगा। बीपी के मुख्य अर्थशास्त्री स्पेंसर डेल ने बीपी की ऊर्जा परिदृश्य 2025 रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि भारत इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक एवं उपभोक्ता देश है और चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की तेल मांग 54 लाख बैरल प्रतिदिन के मौजूदा स्तर से बढक़र 2050 तक 91 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाएगी। इस दौरान प्राकृतिक गैस की खपत भी लगभग दोगुनी होकर 63 अरब घन मीटर से बढक़र 153 अरब घन मीटर हो जाएगी। यदि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 से 2050 तक औसतन पांच प्रतिशत प्रति वर्ष रहती है तो देश की प्राथमिक ऊर्जा खपत में भी मजबूती आएगी। वर्ष 2023 में वैश्विक मांग का सात प्रतिशत हिस्सा रखने वाले भारत की 2050 तक 12 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ विश्व ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका हो जाएगी। रिपोर्ट में दो परिदृश्य पेश किए गए हैं। पहला परिदृश्य मौजूदा वृद्धि-पथ पर आधारित है जबकि दूसरा परिदृश्य वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की कमी लाने से संबंधित है। पहले परिदृश्य में भारत में कोयले का हिस्सा 2050 तक 40 प्रतिशत से ऊपर रहेगा, जबकि दूसरे परिदृश्य में यह घटकर 16 प्रतिशत रह जाएगा। प्राकृतिक गैस की खपत दोनों ही परिदृश्यों में एक से तीन प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ती रहेगी। डेल ने कहा कि भारत विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता ऊर्जा बाजार है। सौर एवं पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों का हिस्सा बढ़ेगा लेकिन जीवाश्म ईंधन की मांग भी बनी रहेगी।  उन्होंने भारत के वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को भी सराहा, जो निर्धारित समय के एक-दो साल आगे जाकर पूरा हो जाएगा। भविष्य में भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू उत्पादन बढ़ाना अहम होगा। अधिकतम तेल मांग के संबंध में डेल ने कहा कि भारत की तेल मांग 2050 तक लगातार बढ़ती रहेगी, और प्राकृतिक गैस की खपत भी दोगुनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि तेजी से कार्बन कटौती के परिदृश्य में भी भारत की तेल एवं गैस मांग वर्ष 2030 के दशक के शुरुआती वर्षों तक बढ़ती रहेगी और फिर इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिलेगी। बीपी के मुख्य अर्थशास्त्री ने अपने निष्कर्ष में कहा, "भारत के ऊर्जा बाजार की वृद्धि तेज है और यह वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में अहम भूमिका निभाएगा। देश को नवीकरणीय ऊर्जा एवं पारंपरिक ईंधन दोनों में संतुलन बनाए रखना होगा।"