देश में पेट्रोल की खपत में मई के पहले पखवाड़े में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि गर्मी के मौसम में यात्राएं बढऩे से ईंधन की मांग में उछाल आया है। सार्वजनिक क्षेत्र के ईंधन खुदरा विक्रेताओं के अस्थायी बिक्री आंकड़ों के अनुसार, एक से 15 मई के दौरान पेट्रोल की खपत बढक़र 15 लाख टन हो गई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 13.7 लाख टन थी। 2023 की इसी अवधि में दर्ज 13.6 लाख टन की खपत के मुकाबले इसकी मांग 10.5 प्रतिशत अधिक और मई 2021 के कोविड-19 प्रभावित पहले पखवाड़े के मुकाबले करीब 46 प्रतिशत अधिक रही। डीजल की बिक्री दो प्रतिशत बढक़र 33.6 लाख टन हो गई। ईंधन बाजार में डीजल की हिस्सेदारी करीब 90 प्रतिशत है। भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन की खपत पिछले महीने से फिर से बढ़ रही है। परिवहन एवं ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा डीजल की मांग में 31 मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में केवल दो प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। अप्रैल में डीजल की खपत बढक़र 82.3 लाख टन हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब चार प्रतिशत अधिक है। एक से 15 मई के दौरान डीजल की बिक्री पिछले साल की समान अवधि में हुई 32.9 लाख टन खपत से दो प्रतिशत अधिक रही। यह एक से 15 मई 2023 की तुलना में 1.3 प्रतिशत अधिक और मई 2021 के कोविड-19 प्रभावित पहले पखवाड़े की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक रही। अप्रैल 2025 के पहले पखवाड़े में 31.9 लाख टन की तुलना में डीजल की बिक्री में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गर्मियों की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में एसी की मांग बढ़ जाती है। उद्योग जगत के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की खपत में कमी आई है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।