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15-05-2025

रिश्वत मामले में शापूरजी पोलोनजी के वरिष्ठ प्रबंधन से पूछताछ कर सकती है सीबीआई

  •  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) 85 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के कथित मामले में शापूरजी पोलोनजी इंफ्रास्ट्रक्चर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस मामले में आयकर आयुक्त और कंपनी के एक कार्यकारी अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि आयकर आयुक्त जीवन लाल लाविडिया ने कराधान अपील का शापूरजी पोलोनजी (एसपी) समूह के पक्ष में निपटान करने के लिए कथित तौर पर 1.20 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी और उप महाप्रबंधक (कराधान) विरल कांतिलाल मेहता ने मुंबई के चेंबूर में रहने वाले दो बिचौलियों साजिदा मजहर हुसैन शाह और प्रकाश शंबाजी पवार को 15 लाख रुपये दे दिए थे। सीबीआई ने नौ मई को मुंबई में एक बिचौलिए को 70 लाख रुपये की दूसरी किस्त देने के बाद मेहता को गिरफ्तार कर लिया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में कथित रिश्वत के भुगतान को किसने मंजूरी दी। तफ्तीश के दौरान कथित साजिश में शामिल सभी लोगों की भूमिका की जांच की जाएगी।   दस मई को सीबीआई की कार्रवाई के बाद एक बयान में कंपनी ने कहा था कि समूह संबंधित अधिकारियों को जांच में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।  कंपनी ने बयान में कहा था, ‘एसपी समूह को हमारे समूह की एक सहायक कंपनी के एक कर्मचारी के खिलाफ कदाचार के गंभीर आरोप के बारे में जानकारी मिली है। कथित आचरण के बारे में समूह को जानकारी नहीं थी, न ही समूह ने इसकी मंजूरी दी थी। यह व्यावसायिक संचालन से संबंधित समूह के मूल्यों व नीतियों के खिलाफ है।’

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रिश्वत मामले में शापूरजी पोलोनजी के वरिष्ठ प्रबंधन से पूछताछ कर सकती है सीबीआई

 केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) 85 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के कथित मामले में शापूरजी पोलोनजी इंफ्रास्ट्रक्चर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इस मामले में आयकर आयुक्त और कंपनी के एक कार्यकारी अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि आयकर आयुक्त जीवन लाल लाविडिया ने कराधान अपील का शापूरजी पोलोनजी (एसपी) समूह के पक्ष में निपटान करने के लिए कथित तौर पर 1.20 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी और उप महाप्रबंधक (कराधान) विरल कांतिलाल मेहता ने मुंबई के चेंबूर में रहने वाले दो बिचौलियों साजिदा मजहर हुसैन शाह और प्रकाश शंबाजी पवार को 15 लाख रुपये दे दिए थे। सीबीआई ने नौ मई को मुंबई में एक बिचौलिए को 70 लाख रुपये की दूसरी किस्त देने के बाद मेहता को गिरफ्तार कर लिया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘इस बात की जांच की जानी चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में कथित रिश्वत के भुगतान को किसने मंजूरी दी। तफ्तीश के दौरान कथित साजिश में शामिल सभी लोगों की भूमिका की जांच की जाएगी।   दस मई को सीबीआई की कार्रवाई के बाद एक बयान में कंपनी ने कहा था कि समूह संबंधित अधिकारियों को जांच में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।  कंपनी ने बयान में कहा था, ‘एसपी समूह को हमारे समूह की एक सहायक कंपनी के एक कर्मचारी के खिलाफ कदाचार के गंभीर आरोप के बारे में जानकारी मिली है। कथित आचरण के बारे में समूह को जानकारी नहीं थी, न ही समूह ने इसकी मंजूरी दी थी। यह व्यावसायिक संचालन से संबंधित समूह के मूल्यों व नीतियों के खिलाफ है।’


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