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14-05-2025

भारत दिसंबर तक 10 और देशों के साथ पारस्परिक सीमा शुल्क पहचान समझौता करेगा: अधिकारी

  •  भारत ने नौ देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते (एमआरए) पर हस्ताक्षर किए हैं और इस साल दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते करने पर विचार कर रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस समझौते के तहत, व्यापार सुविधा का लाभ पारस्परिक आधार पर दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क निदेशालय के प्रधान आयुक्त अखिल कुमार खत्री ने कहा कि पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। खत्री ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के सहयोग से निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बातचीत में कहा, ‘‘हमने नौ देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। इस साल दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।’’ पिछले साल, सीबीआईसी और रूस की संघीय सीमा शुल्क सेवा विभाग ने अधिकृत आर्थिक परिचालक (एईओ) एमआरए पर हस्ताक्षर किए थे। इसका मकसद आयात करने वाले देश के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा माल की निकासी में दोनों देशों के मान्यता प्राप्त और विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करना था। भारत पहले ही दक्षिण कोरिया, हांगकांग, ताइवान, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और रूस के सीमा शुल्क विभाग के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है। भारत ने युगांडा, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय, दक्षिण अफ्रीका, जापान, बहरीन, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, बेलारूस और ब्रिक्स के साथ एमआरए समझौते को निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए संयुक्त कार्य योजनाओं पर भी हस्ताक्षर किए हैं। एईओ यानी अधिकृत आर्थिक परिचालक विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के अंतर्गत वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने का एक कार्यक्रम है। यह एक स्वैच्छिक अनुपालन कार्यक्रम है। यह भारतीय सीमा शुल्क को आयातकों, निर्यातकों, लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं, संरक्षकों या टर्मिनल परिचालकों और गोदाम परिचालकों सहित अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला के प्रमुख पक्षों के साथ बेहतर सहयोग के माध्यम से कार्गो सुरक्षा को बढ़ाने और सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाता है।   इस कार्यक्रम में फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि 2011 में भारत में शुरू किया गया एईओ कार्यक्रम सीमा शुल्क को सुरक्षित, अनुपालन करने वाले कंपनियों को पहचानने और उन्हें व्यापार सुविधा लाभ प्रदान करने में सक्षम बनाता है।रूस के साथ यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है।   रल्हन ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और भारत से अधिक निर्यात की सुविधा देकर इसे संतुलित बनाना है।’’

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भारत दिसंबर तक 10 और देशों के साथ पारस्परिक सीमा शुल्क पहचान समझौता करेगा: अधिकारी

 भारत ने नौ देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते (एमआरए) पर हस्ताक्षर किए हैं और इस साल दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते करने पर विचार कर रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस समझौते के तहत, व्यापार सुविधा का लाभ पारस्परिक आधार पर दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क निदेशालय के प्रधान आयुक्त अखिल कुमार खत्री ने कहा कि पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। खत्री ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के सहयोग से निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बातचीत में कहा, ‘‘हमने नौ देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। इस साल दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।’’ पिछले साल, सीबीआईसी और रूस की संघीय सीमा शुल्क सेवा विभाग ने अधिकृत आर्थिक परिचालक (एईओ) एमआरए पर हस्ताक्षर किए थे। इसका मकसद आयात करने वाले देश के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा माल की निकासी में दोनों देशों के मान्यता प्राप्त और विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करना था। भारत पहले ही दक्षिण कोरिया, हांगकांग, ताइवान, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और रूस के सीमा शुल्क विभाग के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है। भारत ने युगांडा, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय, दक्षिण अफ्रीका, जापान, बहरीन, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, बेलारूस और ब्रिक्स के साथ एमआरए समझौते को निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए संयुक्त कार्य योजनाओं पर भी हस्ताक्षर किए हैं। एईओ यानी अधिकृत आर्थिक परिचालक विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के अंतर्गत वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने का एक कार्यक्रम है। यह एक स्वैच्छिक अनुपालन कार्यक्रम है। यह भारतीय सीमा शुल्क को आयातकों, निर्यातकों, लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं, संरक्षकों या टर्मिनल परिचालकों और गोदाम परिचालकों सहित अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला के प्रमुख पक्षों के साथ बेहतर सहयोग के माध्यम से कार्गो सुरक्षा को बढ़ाने और सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाता है।   इस कार्यक्रम में फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि 2011 में भारत में शुरू किया गया एईओ कार्यक्रम सीमा शुल्क को सुरक्षित, अनुपालन करने वाले कंपनियों को पहचानने और उन्हें व्यापार सुविधा लाभ प्रदान करने में सक्षम बनाता है।रूस के साथ यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है।   रल्हन ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और भारत से अधिक निर्यात की सुविधा देकर इसे संतुलित बनाना है।’’


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