दूरसंचार नियामक ट्राई ने एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी उपग्रह संचार सेवा प्रदाता कंपनियों पर वार्षिक राजस्व का चार पर्सेंट स्पेक्ट्रम शुल्क लगाने की सिफारिश की। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार विभाग को दी गई अपनी अनुशंसा में कहा कि शहरी क्षेत्रों में सेवाएं देने वाले सेवा प्रदाताओं को प्रति ग्राहक 500 रुपये अतिरिक्त शुल्क देना होगा। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं के लिए इन कंपनियों को कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। ट्राई ने सिफारिश की है कि उपग्रह ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम पांच साल के लिए आवंटित किया जाए, जिसे बाद में दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का चार प्रतिशत स्पेक्ट्रम शुल्क भू-स्थैतिक कक्षा (जीएसओ) और गैर-भूस्थैतिक कक्षा (एनजीएसओ) में स्थित उपग्रहों के जरिये सेवाएं देने वाली दोनों तरह की उपग्रह संचार कंपनियों को देना होगा। न्यूनतम वार्षिक स्पेक्ट्रम शुल्क 3,500 रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज होगा। ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने सिफारिशें जारी करते हुए कहा कि उपग्रह संचार सेवाएं उन वंचित क्षेत्रों में संपर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जहां दूरसंचार नेटवर्क उपलब्ध नहीं हैं। इन सेवाओं की आपदाओं, बचाव और राहत कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स अपनी ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा स्टारलिंक को दो दिन पहले ही सेवा शुरू करने के लिए आशय पत्र (एलओआई) दिया गया था। अब कंपनी को भारत में सेवाएं शुरू करने से पहले लाइसेंस हासिल करना होगा। स्पेसएक्स ने भारत में स्टारलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत के लिए पहले ही रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ समझौता कर लिया है।