Migration यानि अपने घर, गांव और शहर को छोडक़र दूसरे राज्य या देश में जाकर बसना। पिछले कुछ सालों से विशेषकर वर्ष 2020 के कोविड संकट के बाद जितनी संख्या में लोग अपना जन्म स्थान छोडक़र दूसरी जगहों पर बसे है उतनी संख्या इतिहास में शायद कभी नहीं देखी गई। दिलचस्प बात यह है कि Migration को अपनाने वालों में इनकम के हिसाब से कमजोर लोग तो है ही लेकिन अमीर व पढ़े-लिखे इंटेलिजेंट लोग भी इसे बढ़-चढक़र अपना रहे है। Migration की ओर आगे बढऩे के पीछे सबसे बड़ा कारण ज्यादा कमाई करने के मौको की खोज को माना गया है। साथ ही बेहतर लाइफस्टाइल, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षित जगहे भी Migration के निर्णय में आजकल महत्वपूर्ण रोल निभाने लगे है। अच्छी इनकम वाले व पढ़े-लिखे लोग जो दूसरे देशों में जा रहे है उनकी संख्या का डेटा तो उपलब्ध हो जाता है लेकिन जो लोग देश के अंदर ही एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहे है उनकी गिनती रखने का कोई सटीक तरीका उपलब्ध नहीं है। जितनी बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में जा रहे हैं उसके उदाहरण जयपुर जैसे बड़े शहरों के रेल्वे स्टेशनों पर रोजाना देखे जा सकते हैं जहां देश के कई भागों से आने वाली ट्रेनों से हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। देश के पूर्वी (East) राज्यों में आने वाली ट्रेनों में काम की तलाश में आने वाले लोग खचाखच भरकर आ रहे है जो कंधे पर सिर्फ एक बैग लटकाए स्टेशन से बाहर निकलते हुए ऐसे दिखते है मानों किसी सुपरहिट फिल्म का शो छूट रहा हो। Supremacy के कारोबार के मंझे हुए एक खिलाड़ी ने बताया कि इसका नेटवर्क अपने ही तरीके से काम करने वाला अनूठा नेटवर्क बन गया है। लोगों को भेजने व बुलाने वाले मिलकर इनकी डिमांड और सप्लाई पर अपना कमीशन कमाते है जो देश के कई राज्यों में एकसाथ काम कर रहे हैं। बाहर से आने वाले लोगों ने टैक्सी सर्विस, डिलिवरी सर्विस, ब्यूटी सैलून, रेस्टोरेंट, इलेक्ट्रोनिक रिपेयर, मैकेनिक, साफ-सफाई, नर्सिंग जैसे ढेरों तरह के कामों में अपनी Migration (वर्चस्व) कायम कर ली है जिनकी जरूरत कभी इंडस्ट्री में काम करने के मामलों में सबसे ज्यादा हुआ करती थी।
यही सही है कि काम की तलाश करते हुए कमाई करने के लिए नई जगहों पर शिफ्ट होना कोई नई बात नहीं है पर आजकल यह स्थिति कई शहरों के लिए खतरनाक बनती जा रही है। जिस तरह का विरोध मुम्बई व अन्य बड़े शहरों में बाहर के राज्यों के लोगों के प्रति देखा जाता है वैसी स्थिति अब देश के कई शहरों में बनने लगी है क्योंकि वहां अपराधों में शामिल लोगों में बाहरी लोगों की संख्या ज्यादा पाई जाने लगी है। यह सरकारों की नाकामी ही कही जाएगी कि इतने वर्षों बाद भी वह लोगों को उनकी जगह पर ही काम के मौके उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रही है जिसका खामियाजा दूसरे शहरों के निवासियों को असुरक्षा व काम के काम होते अवसरों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। जयपुर जैसे शहरों के मॉल, बाजार, सडक़े व पब्लिक की जगह और सुविधाएं बाहर के लोगों से भरी रहने लगी है। बाहर के लोग ही टैक्सी चला रहे है जिन्हें रास्तों की कोई जानकारी नहीं है और वे सिर्फ गूगल मैप से ही चलते है। यही हाल डिलिवरी वालों का है यानि छोटे शहरों को बड़ा करने में अपने स्वयं के राज्यों के लोगों का नहीं बल्कि दूसरे राज्य के लोगों का योगदान ज्यादा हो गया है। ऐसा Migration अच्छे डवलपमेंट की निशानी है या कुछ और इसपर आप विचार जरूर करें क्योंकि सरकारों की नाक के नीचे हो रहा बेहिसाब व बेलगाम Migration ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है जो खुद को छिपाकर रखना चाहते है या जो कभी भी गायब हो जाने की आजादी के साथ जीते है। शहरों की बदहाल होती स्थिति, बिगड़ता माहौल, बदलता Culture (संस्कृति), सिकुड़ती जगह, बढ़ती असुरक्षा जैसे न जाने कितने खतरे पैदा हो चुके हैं जो Common Sense के उपयोग से सभी को दिख रहे है पर इंटेलिजेंट लीडर व ऑफिसर इन्हें देखना नहीं चाहते जिसका परिणाम किसी भी हालत में अच्छा तो सामने नहीं आ रहा है।