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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-07-2025

सावे समाप्ति की ओर से दूध पाउडर लुढक़ा, घी में ठहराव

  •  गत सप्ताह शादियां बंद रहने एवं जुलाई में दो-चार दिन साये बचने से दूध पाउडर में लिवाल पीछे हट गए। जिससे इसके भाव 10 रुपए किलो और घट गए। जबकि देशी घी में स्थिरता रही। आलोच्य सप्ताह उत्तर भारत के प्लांटों में कच्चे दूध की आपूर्ति घटकर 60/61 लाख लीटर दैनिक रह गई। जो इस बार सीजन की तुलना में 25 प्रतिशत रह गई है। उक्त अवधि के अंतराल 360/362 टन देशी घी एवं 468/470 टन दूध पाउडर का उत्पादन हुआ। हालांकि ग्लोबल मार्केट में दूध पाउडर के भाव 15-20 डॉलर प्रति टन तेज हो गए। लेकिन महाराष्टï्र एवं तमिलनाडु के दूध पाउडर 240/245 रुपए दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत की मंडियों में आकर बिकने से निर्यात के सौदे ज्यादा उन्हीं मालों के हुए। वेपाउडर एवं माल्टोडैक्स्ट्रिन वाले माल मंदे भाव में बिकने से कु छ दिन बाजार और सुस्त रह सकता है, लेकिन आगे चलकर श्रावणी खपत को देखते हुए दुबारा तेजी लग रही है। इधर देशी घी, बढिय़ा बटर की कमी से पूरे सप्ताह टिका रहा। बाजारों में चर्चा थी कि नकली बटर ऑयल कु छ देशों से मिलावट करने वाले आयात कर रहे हैं। उससे निर्मित देशी घी 5500/5600 रुपए प्रति टीन के पड़ते का बन रहा है। जिसे नामी-गिरामी कंपनियों के  नाम से 7000/7200 रुपए के भाव में हलवाइयों व अन्य मंडियों में बेच आते हैं। यही कारण है कि ओरिजनल कंपनियों के माल बाजार में 100/150 रुपए प्रति टीन सस्ता बिकने लगे हैं। आगे श्रावणी खपत को देखते हुए देशी घी भी तेज लग रहा है क्योंकि नया सीजन शुरु होने में अभी तीन महीने का समय लगेगा।

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सावे समाप्ति की ओर से दूध पाउडर लुढक़ा, घी में ठहराव

 गत सप्ताह शादियां बंद रहने एवं जुलाई में दो-चार दिन साये बचने से दूध पाउडर में लिवाल पीछे हट गए। जिससे इसके भाव 10 रुपए किलो और घट गए। जबकि देशी घी में स्थिरता रही। आलोच्य सप्ताह उत्तर भारत के प्लांटों में कच्चे दूध की आपूर्ति घटकर 60/61 लाख लीटर दैनिक रह गई। जो इस बार सीजन की तुलना में 25 प्रतिशत रह गई है। उक्त अवधि के अंतराल 360/362 टन देशी घी एवं 468/470 टन दूध पाउडर का उत्पादन हुआ। हालांकि ग्लोबल मार्केट में दूध पाउडर के भाव 15-20 डॉलर प्रति टन तेज हो गए। लेकिन महाराष्टï्र एवं तमिलनाडु के दूध पाउडर 240/245 रुपए दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत की मंडियों में आकर बिकने से निर्यात के सौदे ज्यादा उन्हीं मालों के हुए। वेपाउडर एवं माल्टोडैक्स्ट्रिन वाले माल मंदे भाव में बिकने से कु छ दिन बाजार और सुस्त रह सकता है, लेकिन आगे चलकर श्रावणी खपत को देखते हुए दुबारा तेजी लग रही है। इधर देशी घी, बढिय़ा बटर की कमी से पूरे सप्ताह टिका रहा। बाजारों में चर्चा थी कि नकली बटर ऑयल कु छ देशों से मिलावट करने वाले आयात कर रहे हैं। उससे निर्मित देशी घी 5500/5600 रुपए प्रति टीन के पड़ते का बन रहा है। जिसे नामी-गिरामी कंपनियों के  नाम से 7000/7200 रुपए के भाव में हलवाइयों व अन्य मंडियों में बेच आते हैं। यही कारण है कि ओरिजनल कंपनियों के माल बाजार में 100/150 रुपए प्रति टीन सस्ता बिकने लगे हैं। आगे श्रावणी खपत को देखते हुए देशी घी भी तेज लग रहा है क्योंकि नया सीजन शुरु होने में अभी तीन महीने का समय लगेगा।


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