साठी धान की आपूर्ति उत्तराखंड एवं यूपी के तराई वाले क्षेत्रों में बहुत ही कम हो रही है। मंडियों में जो आवक पिछले सप्ताह औसतन गदरपुर मंडी में 6000 बोरी हो गई थी, वह घटकर 3500-3600 रुपए बोरी रह गई है। इसके अलावा अन्य मंडियों में 2000-2500 दैनिक हो रही थी, वह आवक घटकर 1400/1500 बोरी रह गई। इसके प्रभाव से धान के भाव पूर्ववत मजबूत रहे, लेकिन बासमती चावल में मुनाफावसूली बिकवाली से 100 रुपए की नरमी आ गई। धान एवं चावल का स्टॉक कम होने से आगे बाजार फिर यहां से 500/600 रुपए तेज लग रहा है पुराने धान की आपूर्ति पहले ही मंडियों में समाप्त हो गई थी। अमृतसर जंडियाला गुरु करनाल कुरुक्षेत्र टोहाना चीका तरावड़ी सफीदों आदि मंडियों में पुराने धान का स्टॉक समाप्त हो गया है। इधर नई साठी की बिजाई केवल 20 प्रतिशत हुई थी, उसमें भी उत्पादन और कम हो जाने से मुश्किल से 15-16 प्रतिशत रह जाने की ताजा रिपोर्ट आ रही है। यही कारण है कि गदरपुर बिलासपुर रुद्रपुर काशीपुर रामपुर साइड में आवक घटकर गत वर्ष की तुलना में 70 प्रतिशत कम रह गई है। उक्त मंडियों में आवक घटने से वहां सूखे धान की आवक 1509 के 2900/2950 रुपए तथा 14-15 प्रतिशत नमी वाला धान 2600/2660 रुपए प्रति कुंतल हो गया है। चावल 1509 में पिछले सप्ताह 400 प्रति कुंतल की बढ़त पर 6300 का व्यापार हो गया था, जो नीचे में 5700 बिक गया था। आज उसमें 100 रुपए की गिरावट दर्ज की गई। चावल 1718 सेला भी नीचे में 6300 रुपए बिकने के बाद 6800 रुपए ऊपर में बन गया था, आज 6700 रुपए बोलने लगे। अन्य चावलों में भी आज बाजार चुप रहे। आगे चलकर इसमें बाजार तेज लग रहा है, क्योंकि नए धान आने में अभी 3 महीने से ऊपर का समय बाकी है। हम मानते हैं की नये धान की बिजाई हरियाणा में अच्छी हुई है, लेकिन हाजिर में माल की भारी कमी होने तथा निर्यातकों के हाजिर सौदे ऊंचे होने से यहां से बाजार फिर से तेज लग रहा है। पुराना चावल लगभग समाप्ति की ओर है, जो भारतीय बंदरगाहों पर माल निर्यातकों के पड़े थे, उसमें 70 प्रतिशत शिपमेंट हो चुके हैं तथा धीरे-धीरे माल जाने लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय चावल सस्ते पड़ रहे हैं, इसलिए निर्यातकों की पूछपरख आने लगी है। उधर खाड़ी देशों में भी अब धीरे-धीरे युद्ध की स्थिति समाप्त होने वाली है, इधर पाकिस्तान, जो भारी मात्रा में मंदे भाव में चावल का निर्यात कर रहा था, वहां भी माल समाप्ति की ओर है। तथा वहां की भौगोलिक स्थिति पिछले दिनों की सर्जिकल स्ट्राइक से खराब हो चुकी है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के बारीक चावल में यहां से फिर तेजी के आसार बन रहे हैं। हम मानते हैं कि पिछले सप्ताह की आई तेजी के बाद मुनाफा वसूली बिकवाली चल रही है, इसका प्रभाव बाजार पर पड़ेगा तथा एक-दो दिन और बाजार नरम रह सकता है, लेकिन उसके बाद बाजार बढक़र चावल 1718 सेला 7000 रुपए को पार कर सकता है।