TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

19-04-2025

अपेंडिक्स कैंसर का देर से पता लगना चिंता का विषय

  •  विशेषज्ञों का कहना है कि अपेंडिक्स कैंसर का समय से पता लगाना मुश्किल होता है। इसके बाद के चरणों में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे उपचार के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।  अपेंडिक्स एक छोटा अंग है जो कोलन से जुड़ा होता है। अपेंडिसाइटिस एक आम समस्या है, लेकिन अपेंडिकुलर कैंसर दुर्लभ है। आमतौर पर इसका पता तब चलता है जब मरीज किसी और बीमारी का इलाज करा रहा हो। विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर सहित अधिकांश बीमारियों में बेहतर जीवन के लिए बीमारी का शुरू में ही पता लगाना महत्वपूर्ण है। राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार अपेंडिकुलर कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे हाल ही में एक अलग इकाई के रूप में पहचाना गया है। पहले इसे आंत के कैंसर यानी छोटी आंत और बड़ी आंत के कैंसर के साथ मिला दिया जाता था। इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। अधिकांश लोगों में इसे सामान्य तीव्र एपेंडिसाइटिस माना जाता है। अधिकांश रोगियों में शुरुआत में अपेंडिसाइटिस होने का गलत निदान किया जाता है। इसके लिए उनकी अपेंडेक्टोमी की जाती है, इसके बाद बायोप्सी रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जाती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह अपेंडिसियल नियोप्लाज्म है या अपेंडिक्स कैंसर। इसके अधिकांश मामलों की पहचान उन्नत चरणों में की जाती है और अधिकांश कैंसर का शुरुआती चरणों में गलत इलाज किया जाता है। हालांकि अपेंडिक्स कैंसर के प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण नजर नहीं आते या यह हल्के और गैर विशिष्ट होते हैं। मगर जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, व्यक्ति को पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द, मल त्याग की आदतों में बदलाव या दस्त, वजन घटना, थकान, पेट में गांठ या द्रव्यमान महसूस होने के साथ अपेंडिक्स के फटने पर पेट की परत में सूजन का अनुभव हो सकता है। गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक के अनुसार अपेंडिकुलर कैंसर महिलाओं में अधिक आम है और बढ़ती उम्र के साथ इसके मामले बढ़ते जाते हैं। धूम्रपान एक जोखिम कारक है। एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस या घातक एनीमिया का इतिहास भी इस बीमारी के विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। दुर्भाग्य से अधिकांश अपेंडिकुलर कैंसर का पता अपेंडिक्स को सर्जरी के बाद हटाने के बाद चलता है, जबकि न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कम-ग्रेड म्यूसिनस ट्यूमर कम आक्रामक होते हैं और बेहतर उपचार परिणाम देते हैं। अपेंडिकुलर एडेनोकार्सिनोमा कोलोरेक्टल कैंसर के समान व्यवहार करते हैं और विशेष रूप से बाद के चरणों में उनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। इसका सामान्य उपचार सर्जरी ही है। इसमें आमतौर पर कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है। यदि उपचार के हिस्से के रूप में कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है, तो इससे प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। अपेंडीक्यूलर कैंसर सभी समूहों को प्रभावित कर सकता है। इसका पता लगाने के साथ इसका उपचार बेहतर जीवन की कुंजी है।

Share
अपेंडिक्स कैंसर का देर से पता लगना चिंता का विषय

 विशेषज्ञों का कहना है कि अपेंडिक्स कैंसर का समय से पता लगाना मुश्किल होता है। इसके बाद के चरणों में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे उपचार के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।  अपेंडिक्स एक छोटा अंग है जो कोलन से जुड़ा होता है। अपेंडिसाइटिस एक आम समस्या है, लेकिन अपेंडिकुलर कैंसर दुर्लभ है। आमतौर पर इसका पता तब चलता है जब मरीज किसी और बीमारी का इलाज करा रहा हो। विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर सहित अधिकांश बीमारियों में बेहतर जीवन के लिए बीमारी का शुरू में ही पता लगाना महत्वपूर्ण है। राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार के अनुसार अपेंडिकुलर कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे हाल ही में एक अलग इकाई के रूप में पहचाना गया है। पहले इसे आंत के कैंसर यानी छोटी आंत और बड़ी आंत के कैंसर के साथ मिला दिया जाता था। इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। अधिकांश लोगों में इसे सामान्य तीव्र एपेंडिसाइटिस माना जाता है। अधिकांश रोगियों में शुरुआत में अपेंडिसाइटिस होने का गलत निदान किया जाता है। इसके लिए उनकी अपेंडेक्टोमी की जाती है, इसके बाद बायोप्सी रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जाती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह अपेंडिसियल नियोप्लाज्म है या अपेंडिक्स कैंसर। इसके अधिकांश मामलों की पहचान उन्नत चरणों में की जाती है और अधिकांश कैंसर का शुरुआती चरणों में गलत इलाज किया जाता है। हालांकि अपेंडिक्स कैंसर के प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण नजर नहीं आते या यह हल्के और गैर विशिष्ट होते हैं। मगर जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, व्यक्ति को पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द, मल त्याग की आदतों में बदलाव या दस्त, वजन घटना, थकान, पेट में गांठ या द्रव्यमान महसूस होने के साथ अपेंडिक्स के फटने पर पेट की परत में सूजन का अनुभव हो सकता है। गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक के अनुसार अपेंडिकुलर कैंसर महिलाओं में अधिक आम है और बढ़ती उम्र के साथ इसके मामले बढ़ते जाते हैं। धूम्रपान एक जोखिम कारक है। एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस या घातक एनीमिया का इतिहास भी इस बीमारी के विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकता है। दुर्भाग्य से अधिकांश अपेंडिकुलर कैंसर का पता अपेंडिक्स को सर्जरी के बाद हटाने के बाद चलता है, जबकि न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और कम-ग्रेड म्यूसिनस ट्यूमर कम आक्रामक होते हैं और बेहतर उपचार परिणाम देते हैं। अपेंडिकुलर एडेनोकार्सिनोमा कोलोरेक्टल कैंसर के समान व्यवहार करते हैं और विशेष रूप से बाद के चरणों में उनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। इसका सामान्य उपचार सर्जरी ही है। इसमें आमतौर पर कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है। यदि उपचार के हिस्से के रूप में कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है, तो इससे प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। अपेंडीक्यूलर कैंसर सभी समूहों को प्रभावित कर सकता है। इसका पता लगाने के साथ इसका उपचार बेहतर जीवन की कुंजी है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news